अधिकतर भारतीयों को इंग्लिश बचपन से ही सिखाई जाती है, लेकिन अगर इसे आप यूके या फिर अमेरिका में बोलेंगे, तो भी कम्युनिकेशन गैप आएगा ही। किसी नए देश में जाकर ठीक से कम्युनिकेट करने में बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। यह समझने में समय लगता है कि किसी अन्य देश में आप सही कम्युनिकेशन कैसे करें। अगर यूरोप, थाईलैंड जैसे किसी देश में गए हैं, तो वहां की भाषा सीखने और सही कम्युनिकेट करने में समय लगता है।
ऐसे में विदेशों में अपने कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर बनाने के लिए हम आपको कुछ टिप्स देते हैं।
कम्युनिकेशन स्किल बेहतर बनाने के लिए आपको पहले एक अच्छा लिसनर बनना होगा। लोगों को यह अच्छा लगता है कि उन्हें सुना जाए। ऐसे में आप किसी और देश में हैं, तो लोगों के हाव-भाव को समझें और उनकी बातों को सुनने की कोशिश करें। खुद से ही उनके सवालों के जवाब ढूंढने की जगह पहले उन्हें ठीक से सवाल पूछने दें। कई बार हम एंग्जाइटी में ही बोल जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना है।
जब भी आप किसी से फोन पर बात कर रहे हैं, तो टेक्स्ट मैसेज का जवाब देना, ईमेल करना आदि बहुत खराब होता है। ऐसे में आपके कम्युनिकेशन स्किल कभी बेहतर नहीं हो पाएंगे। विदेशों में इस तरह की चीज को असभ्य माना जाता है।
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कई बार हम अगर किसी अन्य नेशनालिटी के व्यक्ति से बात करते हैं, तो हम बहुत ही कॉन्शियस हो जाते हैं। यह कई बार अशिष्ट लगता है। कम्युनिकेशन स्किल को बेहतर बनाने का यह एक बहुत सही तरीका है कि आप अपने व्यवहार को बेहतर बनाएं।
कई बार हम किसी वेटर या फिर किसी सब्जी बेचने वाले से भारत में बहुत रूड तरह से बात करते हैं। बाहरी देशों में प्लंबर, कारपेंटर, वेजिटेबल वेंडर, वेटर और ऐसे सभी काम स्किल्ड लेबर में आते हैं। चाहे भारत हो या कहीं और आपको हर काम की इज्जत करनी चाहिए और अपने व्यवहार और बॉडी लैंग्वेज को ऑफेंसिव नहीं रखना चाहिए।
कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर बनाने के लिए फैक्ट्स का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। आपको ध्यान से बोलना होगा और सही बोलना होगा। हम कई बार अपनी तारीफ के चक्कर में कुछ एक्स्ट्रा ही बोल जाते हैं। ऐसा नहीं करना है। ऐसा करने से आपके साथ समस्या बढ़ेगी।
अगर आपको किसी को इम्प्रेस करना है, तो स्माइल से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता है। ऐसे में आप हमेशा पॉजिटिव रहें और स्माइल करते रहें। गर्मजोशी से हाथ मिलाएं और फिर आगे बढ़ें। कई बार फर्स्ट इम्प्रेशन ही इससे बहुत अच्छा पड़ता है।
हिंदुस्तान में कॉर्पोरेट ईमेल्स भी बहुत लंबे होते हैं पर यह सही तरीका नहीं है। मेल पर सिर्फ प्वाइंटर आदि होने चाहिए और बाकी चीजों के लिए कॉल या फेस टू फेस कंवर्जेशन ज्यादा बेहतर है। कई बार हम इसे अवॉइड करने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। इससे यह दिखता है कि आप एक अच्छे स्पीकर या लिसनर नहीं हैं।
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कम्युनिकेशन का एक अहम नियम है। आप कुछ भी गलत ना बोले ना ही लिखें। आप कोई मेल या टेक्स्ट कर रहे हैं, तो उसे ठीक से पढ़ लें। अगर टेक्स्ट या ईमेल में कोई गलती जाती है, तो लोगों पर आपका इम्प्रेशन सही नहीं पड़ेगा। लिखने के बाद पढ़ने की आदत आपको एम्बैरेस्मेंट से बचा सकती है।
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