वैसे तो ग्रहण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं एक सूर्य ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण। सूर्य ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है और इसका ज्योतिष से भी गहरा संबंध है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि के दिन होता है और चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रमा की रात यानी कि पूर्णिमा के दिन होता है।
बता दें कि साल का पहला सूर्य ग्रहण 30 अप्रैल के दिन पड़ चुका है और दूसरा ठीक दिवाली के दिन लगने वाला है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन सूर्य पर ग्रहण लगने से इसका प्रभाव कुछ राशियों पर भी पड़ता है। इस सूर्य ग्रहण को इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि ये दिवाली के त्योहार पर भी अपना प्रभाव डाल सकता है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें साल के दूसरे सूर्य ग्रहण की तिथि और सूतक काल से जुड़ी बातों के बारे में।
साल के दूसरे सूर्य ग्रहण की तिथि
- साल का दूसरा सूर्य ग्रहण प्रारंभ- 25 अक्टूबर, शाम 04:29:10 से
- साल का दूसरा सूर्य ग्रहण समाप्त- 25 अक्टूबर, शाम 05 :42:01 तक
इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को लगेगा। लेकिन यह सूर्य ग्रहण आंशिक रहेगा और भारतीय समय अनुसार 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा और यह सूर्य ग्रहण 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। वैसे तो ये सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा लेकिन इसका प्रभाव कुछ समय तक के लिए देखा जाएगा।
दुनिया के किन हिस्सों में दिखेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण
25 अक्टूबर को लगने वाला साल का दूसरा सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से एशिया के दक्षिण-पश्चिमी भाग, यूरोप, अफ्रीका महाद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग और अटलांटिक में दिखाई देगा।
कब लगेगा सूतक काल
ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण शुरू होने से लगभग 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है और इस दौरान मंदिर के कपाट बंद होने के साथ पूजा पाठ जैसे कोई भी कार्य नहीं किए जाते हैं। लेकिन यदि इस सूर्य ग्रहण की बात की जाए तो यह भारत में आंशिक ही रहेगा। इसी वजह से सूतक काल नहीं लगेगा। क्योंकि सूतक काल उसी स्थान पर मान्य होता है जहां पर पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है।
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दिवाली पर रहेगा सूर्य ग्रहण का साया
इस साल दिवाली की तिथि 24 अक्टूबर शाम 05:29 से शुरू होकर 25 अक्टूबर शाम 04:20 तक है। उदया तिथि की मानें तो दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। लेकिन सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर की शाम को होगा इसलिए दिवाली पूजन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस सूर्यग्रहण का कोई प्रभाव भारत में नहीं देखने को नहीं मिलेगा इसलिए पूजा पर भी कोई प्रभाव न पड़ने के संकेत हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या न करें
- ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए।
- इस दौरान कुछ भी काटना या सिलना नहीं चाहिए। ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं को इस दौरान चाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें और नंगी आंखों से सूर्य को न देखें।
सूर्यग्रहण की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुआ है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जिसमें 14 रत्न निकले और समुद्र मंथन में जब अमृत निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब श्री हरि ने मोहिनी अवतार धारण किया और और देवताओं को अमृत पान करवाने लगे। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया।
चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। तब विष्णु जी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि राहु ने भी अमृत पान किया था इसलिए वह अमर हो गया। तभी से राहु चंद्र और सूर्य को अपना शत्रु मानता है और सूर्य और चंद्र ग्रहण के दिन उन्हें प्रभावित करता है।
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भले ही दिवाली के पर्व के दौरान पड़ेगा लेकिन इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit: freepik.com and unsplash
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