हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। सावन के महीने को सभी मासों में श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस पूरे महीने में यदि श्रद्धा भाव से शिव जी का पूजन अर्चन किया जाए तो विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसी वजह से श्रावण मास को मनोकामनाओं को पूरा करने का महीना भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस महीने में भोलेनाथ की पूजा करने से व्यक्ति को कई जन्मों की पूजा का फल मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन सावन के महीने में मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है और यदि उन नियमों से शिव पूजन किया जाता है तो निश्चय ही घर में सुख समृद्धि आने के साथ आर्थिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। आइए जानी मानी ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें कि सावन में शिव पूजन के समय किन नियमों का पालन करना जरूरी है।
शिव और सावन का संबंध
भगवान शिव को सावन का महीना प्रिय होने का एक कारण यह भी है कि भगवान शिव, सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। माना जाता है कि प्रत्येक वर्ष सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल आते हैं। भू लोक वासियों के लिए शिव कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसलिए ये समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है।
ऐसे चढ़ाएं शिवलिंग पर जल
जब आप शिवलिंग या शिव मूर्ति पर जल चढ़ाएं तो सबसे पहले प्रथम पूजनीय गणेश जी को जल चढ़ाएं। कभी भी जल चढ़ाते समय स्टील के पात्र का इस्तेमाल न करें और तांबे के पात्र से जल चढ़ाना ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। दक्षिण दिशा की ओर या शिवलिंग के पीछे से जल चढ़ाने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है और नकारात्मक प्रभाव होते हैं। इसके अतिरिक्त शिव जी को हमेशा जलधारा के रूप में जल अर्पित करना चाहिए।
बेल पत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं
ऐसी मान्त्यता है कि शिव जी को बेल पत्र अत्यंत प्रिय है और इसके साथ भांग और धतूरा अर्पित करना और ज्यादा अच्छा माना जाता है। यदि आप मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु शिव पूजन करते हैं तो बेल पत्र के साथ भांग धतूरा अवश्य चढ़ाएं और बेल पत्र अर्पित करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि कोई भी बेल पत्र कटा फटा या खंडित न हो। बेल पत्र में तीन पत्तियों का एक निश्चित क्रम दिखना चाहिए। यदि कटा हुआ बेल पत्र चढ़ाया जाता है तो ये शिव जी को मान्य नहीं होता है और पूजा का सम्पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है।
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दूध में तिल डालकर करें अर्पित
ऐसे मनुष्यों के लिए जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं उन्हें शिव जी को दूध अर्पित करते समय दूध के लोटे में काले तिल और गंगाजल डालकर स्नान कराना चाहिए। ऐसा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं।
ॐ नमः शिवाय का जाप करें
सावन के महीने में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए रोज़ 108 बार ॐ नमः शिवाय का जाप करें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है।
रुद्राभिषेक करें
ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने से चार महीनों तक विष्णु जी निद्रा में चले जाते हैं इसलिए सृष्टि के संचालन का कारभार शिव जी को सौंप दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और समस्त पापों से मुक्त कराते हैं।
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माता पार्वती समेत शिव जी का पूजन करें
सावन के महीने में पूजन करते समय हमेशा शिव जी का माता पार्वती समेत पूजन करना चाहिए। माता पार्वती, शिव जी की वामांगी अर्थात अर्धांगिनी हैं। इसलिए ऐसा करने से शिव जी भक्तों से प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। सावन के महीने में माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें और पूजन करें।
उपर्युक्त नियमों का पालन करके सावन के महीने में शिव पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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