हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। अमावस्या तिथि हर महीने के कृष्ण पक्ष में होती है और इस तिथि में पितरों और पूर्वजों को याद करते हुए उनके लिए जल तर्पण किया जाताहै। हर महीने की इस तिथि का पुराणों में विशेष महत्व बताया गया है। इसी प्रकार सावन के महीने में होने वाली अमावस्या तिथि भी अपने आप में अलग महत्त्व रखती है। सावन के महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या और श्रावणी अमावस्या भी कहा जाता है।
हरियाली अमावस्या के दिन पितृ पूजा, पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करना श्रेष्ठ माना जाता है और ऐसा करने वालों को श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति भी होती है। हरियाली अमावस्या का संबंध पेड़ पौधों से है इसलिए इस पूरे महीने में हरे पेड़ लगाना शुभ माना जाता है। खासतौर पर हरियाली अमावस्या के दिन पीपल, बरगद, तुलसी, नींबू आदि पौधों को रोपना अत्यंत शुभ होता है। आइए अयोध्या के जाने माने पंडित श्री राधे शरण शास्त्री जी से जानें इस साल सावन के महीने में कब है हरियाली अमावस्या, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्त्व।
हरियाली अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 7 अगस्त 2021, शनिवार को शाम 7 बजकर 13 मिनट पर होगा जो 8 अगस्त, रविवार के दिन को शाम 07:21 पर समाप्त होगी।
- सावन अमावस्या तिथि प्रारंभ:- 07 अगस्त 2021, शनिवार शाम 07:13
- सावन अमावस्या तिथि समापन:- 08 अगस्त 2021, रविवार शाम 07:21
- उदया तिथि के अनुसार हरियाली अमावस्या 08 अगस्त 2021, रविवार को होगी इसलिए इसी दिन को अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा।
अमावस्या में पवित्र स्नान और तर्पण का महत्त्व
हिन्दुओं में हरियाली अमावस्या तिथि के दिन पवित्र नदियों के स्नान को शुभ बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन यदि गंगा जैसी नदियों का स्नान किया जाता है जो अत्यंत शुभ माना जाता है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों को याद करते हुए उनके नाम का दान पुण्य करने और पितरों को जल देने से पूर्वजों की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। इसलिए इस दिन पितरों को जरूर याद करें। यदि आप नदियों में स्नान नहीं कर रहे हैं तब भी नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करना लाभकारी होता है।
सावन हरियाली अमावस्या का महत्व
शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है लेकिन सावन की हरियाली अमावस्या अलग ही महत्व रखती है। इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। यही नहीं पितृ पूजा के साथ-साथ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी सावन मास की अमावस्या तिथि को अति उत्तम माना गया है।
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हरियाली अमावस्या के दिन क्या करें
- इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर सूर्य को अर्घ्य दें ।
- पितरों को जल तर्पण करें इसके लिए जल के लोटे में तिल डालकर पूर्वजों को याद करें और तर्पण करें।
- इस दिन तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जरूर जलाएं।
- यदि संभव हो तो गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान जरूर करें।
- ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार दान पुण्य करें।
- इस दिन किसी पेड़ को रोपना अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस प्रकार सावन की हरियाली अमावस्या बहुत अधिक महत्त्व रखती है और इस दिन पेड़ पौधे लगाना हरियाली की ओरसंकेत करता है और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
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