सारा ने हमें कहा कि वो बहुत खुश और प्राउड फील करती हैं कि उनके पेरेंट्स एक अच्छे और जाने माने स्टार्स हैं मगर जब उन्हें कोई स्टार डॉटर कहता है तो उन्हें यह अच्छा नहीं लगता। सारा ने हमसे बातचीत के दौरान बताया कि वो अपनी मां अमृता सिंह की तरह बनना चाहती हैं और पिता सैफ उनके इंस्पिरेशन है। आइए जानते हैं पूरी बात-
बॉलीवुड इंडस्ट्री में फ़िल्म ‘केदारनाथ’ से अपना डेब्यू करने एक बाद रणवीर सिंह के साथ फ़िल्म ‘सिम्बा’ में अपनी एक्टिंग से सभी को इम्प्रेस करने वाली सारा अली ख़ान बहुत ही कम समय में सभी चहेती बन गई है। लेकिन एक बात है जो सारा को बिलकुल अच्छी नहीं लग रही और वो है उन्हें ‘स्टार डॉटर’ कहना।
सारा ने हमें कहा कि वो बहुत खुश और प्राउड फील करती हैं कि उनके पेरेंट्स एक अच्छे और जाने माने स्टार्स हैं मगर जब उन्हें कोई स्टार डॉटर कहता है तो उन्हें यह अच्छा नहीं लगता। सारा ने हमसे बातचीत के दौरान बताया कि वो अपनी मां अमृता सिंह की तरह बनना चाहती हैं और पिता सैफ उनके इंस्पिरेशन है। आइए जानते हैं पूरी बात-
मैं अपने पेरेंट्स की identity से भाग नहीं रही मगर, लोग मुझे भी तो जानें
सारा ने कहा कि ‘स्टार डॉटर’...यह सही शब्द नहीं है। स्टार किड तो मैं हूं, लेकिन जब यह शब्द आपकी पहचान के साथ जुड़ जता है तो अच्छा नहीं लगता। आप मुझे ‘केदारनाथ’ की हीरोइन कहो, या पागल लड़की कहो, चलेगा पर, इस तरह स्टार डॉटर कहना ग़लत है। मैं अपने पेरेंट्स की identity से भाग नहीं रही, बस यह चाहती हूं कि लोग मुझे और मेरे काम को पहचानें। हां, मुझे यह opportunity मिली कि मैं सीधे धर्मा ऑफिस गई, रोहित शेट्टी से मिली, लेकिन मैंने अपनी दोनों फिल्मों के लिए बहुत मेहनत की है और आगे आने वाली फिल्मों में भी करुंगी। मैंने फ़िल्में स्टार्ट भी नहीं की थीं कि लोग मुझे पसंद कर रहे थे तो, अब मेरी बारी है कि मैं सभी उम्मीदों पर खरा उतरूं...जिसके लिए मुझे स्टार डॉटर ना कहें, सारा अली ख़ान कहें।
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पापा मेरी इंस्पिरेशन है और मां जैसी मैं बनना चाहती हूं
सारा ने आगे कहा कि जब उन्होंने यह फ़ैसला किया कि उन्हें एक्टिंग करनी है तो उनकी मां अमृता और पिता सैफ ने उनका बहुत साथ दिया। सारा ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि मैं हमेशा अपने पिता से इंस्पायर हुई हूं और फ़िल्मी करियर के लिए भी वही मेरे इंस्पिरेशन हैं। मैंने उन्हें देखा है जब उनकी कोई फ़िल्म नहीं चलती थी और तब भी वो बिना हारे अपने आपको साबित करने में लगे रहते थे।
मुझे लगता है कि मुझे मेरे पापा जैसी सहनशक्ति चाहिए। और एक इंसान के तौर पर मैं अपनी मां जैसा बनना चाहती हूं। मैं बहुत अजीब हो जाती हूं जब कोई चीज़ मुझे नहीं मिलती, जिससे मेरा लगाव है। मैं बहुत जल्दी परेशान हो जाती हूं लेकिन, मां आज भी परेशानियों के बावजूद चैन से सोती हैं। मैं बहुत यंग हूं, फिर भी परेशान रहती हूं। घर वालों की या फिर ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने में भी मां कभी पीछे नहीं रहतीं। मुझे लगता है कि मैं एक परसेंट भी मां जैसी बन गई तो बहुत है।
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