Maharshi Vedvyas aur Bhagwan Shiv: आखिर क्यों महर्षि वेदव्यास ने भगवान शिव को अपने घर से दिया था निकाल

आज हम आपको एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जिसके अनुसार भगवन शिव के परम भक्त महर्षि वेदव्यास ने उन्हें घर से बाहर जाने के लिए कह दिया था।  

rishi ved vyasa aur bhagwan shiv story in hindi

Maharshi Vedvyas aur Bhagwan Shiv Ki Katha: हिन्दू धर्म में कई ऐसी पौराणिक कथाएं हैं जिनके बारे में जानना न सिर्फ रोचक हो सकता है बल्कि हैरत में डाल देने वाला भी। आज हम आपको एक ऐसी ही कथा से अवगत कराने वाले हैं। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको भगवान शिव और महाभारत जैसे ग्रंथ के महा रचयता महर्षि वेदव्यास से जुड़ी कथा बताएंगे। इस कथा के अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान शिव को अपने घर से जाने के लिए कह दिया। आइये जानते हैं रिशिने ऐसा क्यों किया और क्या था इसका कारण।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती भगवत कथा पर चर्चा कर रहे थे कि तभी माता पार्वती ने भगवान शिवसे अमृत कथा सुनाने का निवेदन किया। भगवान शिव ने माता पार्वती (माता पार्वती के मंत्र) की बात मानी लेकिन कथा शुरू करने से पहले माता पार्वती को यह देखने के लिए कहा कि उन दोनों के अलावा उस स्थान पर कोई और तो मौजूद नहीं।

कथा सुनने के लिए आतुर माता पार्वती ने उस स्थान को ध्यान से देखने के बजाय यूंही नजर ऊपर-ऊपर से घुमा ली और भगवान शिव से कथा आरंभ करने की बात कही। भगवान शिव ने कथा आरंभ की लेकिन गुफा में माता पार्वती और भगवान शिव के अलावा अंडे के रूप में छुपकर शुक देव बैठे हुए थे। भगवान शिव ने कथा सुनाना शुरू किया।

maharshi ved vyas and bhagwan shiv

कथा केक बीच में ही माता पार्वती सो गईं और भगवान शिव कथा न रोक दें इसलिए शुक देव जी ने माता के स्थान पर हामि भरना शुरू कर दिया। महादेव ध्यान में बैठकर कथा सुना रहे थे तो उन्हें माता पार्वती की निद्रा के बारे में पता ही नहीं चला। जब माता पार्वती नींद से जागीं तो उन्होंने भगवान शिव से कौन सा प्रसंग चल रहा है इस बारे में पूछा।

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भगवान शिव समझ गए कि माता और उनके अलावा कोई और भी वहां मौजूद है और उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से शुकदेव जी का पता लगा लिया। भगवान शिव क्रोध में शुक देव जी के पीछे दौड़े तो शुक देव जी खुद को बचाने क लिए वेदव्यास जी के आश्रम में उनकी पत्रनी के गर्भ में जाकर छिप गए। स्त्री पर महादेव हाथ नहीं उठा सकते थे तो वह ऋषि आश्रम के बाहर बैठे रहे।

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12 तक जब शुक देव ऋषि वेदव्यास जी की पत्नी के गर्भ से बाहर नहीं आए तब अपनी पत्नी की पीड़ा को देख उन्होंने भगवान शिव(भगवान शिव के प्रतीक)से उनके आश्रम एवं घर से चले जाने की विनती करते हुए शिव स्तुति की। जिसके बाद भगवान शिव ने शुक देव को बुद्धिमान और तेजस्वी होने का आशीर्वाद दिया और महर्षि वेदव्यास के आश्रम से प्रस्थान कर गए।

तो इस कारण से महर्षि वेदव्यास ने भगवान शिव को अपने घर से जानें के लिए कह दिया था। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Social Media

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