भारतीय कानून में गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड से जुड़े अधिकारों के बारे में कितना जानते हैं आप?

भारतीय कानून किसी भी नागरिक की आजादी और गरिमा के अधिकारों को भी मान्यता देता है। साथ ही संविधान किसी बालिग जोड़े को मौलिक अधिकार के तहत ये सुविधाएं मुहैया कराती है।

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भारत में गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड से जुड़े अधिकारों के लिए कुछ ऐसे नियम और कानून हैं जो किसी एडल्ट कपल यानी बालिग जोड़े को मौलिक अधिकार के तहत ये सुविधाएं मुहैया कराती है। पब्लिक प्लेस से लेकर किसी होटल के रूम तक किसी कपल के लिए भारत में क्या कानून है आज हम जानेंगे एडवोकेट प्रीति सिंह से और जानेंगे रोकटोक पर किस तरह से केस किया जा सकता है।

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असल में भारतीय कानून में "गर्लफ्रेंड" और "बॉयफ्रेंड" के लिए कोई खास दर्जा नहीं है। हालांकि, ऐसे कानून हैं जो उनकी रक्षा करते हैं और उनके कुछ अधिकारों को मान्यता देते हैं। किसी बालिग कपल को सामान्य नागरिक जैसे अधिकार की सुविधा मिलती है।

भारतीय कानून किसी भी नागरिक की आजादी और गरिमा के अधिकारों को भी मान्यता देता है। इसका मतलब यह है कि गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने के हकदार हैं, जिसमें वे किससे प्यार करते हैं और किसके साथ रहते हैं। इस बात की सुरक्षा कानून करता है।

क्यों है गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के सीमित अधिकार

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है कि गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के अधिकार सीमित हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें विवाहित जोड़े के समान कानूनी अधिकार नहीं हैं। इसके अलावा, भारतीय समाज में लिव-इन रिलेशनशिप को अभी भी पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है। जबकि श्रद्धा वॉकर और आफताब अमीन पूनावाला केस में श्रद्धा हत्याकांड के बाद लिव-इन रिलेशनशिप का मुद्दा सुर्खियों में रहा है।

इसलिए, गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड को भारतीय कानून में अपने अधिकारों के साथ साथ सार्वजनिक स्थान पर मिलने वाले अधिकार के बारे में जागरूक होना चाहिए और कानूनी कैसे सहायता ली जा सकती है। इन बातों का ख्याल भी रखा जा सकता है।

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भारतीय कानून के तहत, एक लिव-इन रिलेशनशिप को एक ऐसे रिश्ते के तौर पर जाना जाता है जिसमें एक पुरुष और एक महिला एक साथ रहते हैं, एक साथ ही खाते-पीते हैं और एक दूसरे की आर्थिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करते हैं। इस तरह के रिश्ते को "घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005" के तहत संरक्षित किया जाता है।

इस अधिनियम के तहत, लिव-इन पार्टनर को ये अधिकार दिए गए हैं:

  • भरण-पोषण का अधिकार: अगर लिव-इन पार्टनर एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध में हैं, तो पुरुष को महिला को भरण-पोषण देने के लिए जिम्मेदार है।
  • निवास का अधिकार: अगर लिव-इन पार्टनर एक साथ रहते हैं, तो महिला को पुरुष के साथ रहने का अधिकार है।
  • सुरक्षा का अधिकार: अगर लिव-इन पार्टनर यानी पुरुष द्वारा महिला के साथ घरेलू हिंसा की जाती है, तो वह कोर्ट में सुरक्षा के लिए आवेदन कर सकती है।

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किसी कपल के लिए भारतीय कानून में क्या है अधिकार

एडवोकेट पंकज शुक्ला बताते हैं कि अगर कोई बालिग कपल बिना शादी के किसी होटल में एक साथ रहता है। चुकि भारत कानूनी तौर पर वेश्यावृत्ति अपराध माना जाता है और इसी दौरान पुलिस के वेश्यावृत्ति के खिलाफ होटलों या गुप्त ठिकानों पर रेड डालती है। ऐसी हालत में अगर पुलिस किसी कपल को परेशान करती है तो यह उस कपल के मौलिक अधिकार का हनन माना जाएगा।

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वहीं, अगर होटल में ठहरने के दौरान बिना शादीशुदा जोड़े को पुलिस परेशान करती है या फिर बिना किसी संगीन अपराध के जबर्दस्ती गिरफ्तार करने की कोशिश करती है, तो यह भी उनके मौलिक अधिकारों के हनन अंतर्गत आता है। भारतीय कानून में पुलिस के या किसी संगठन के खिलाफ कपल संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर सकता है। साथ ही अनुच्छेद 226 के तहत राज्य पुलिस के खिलाफ हाईकोर्ट में अपने अधिकार के लिए रिट दायर कर सकता है। भारतीय कानून में गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड संविधान के अनुच्छेद 21 तहत राहत मिलती है।

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क्या है अनुच्छेद 21: जिसमें प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण में मिलती है सुरक्षा

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21, "प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण" प्रदान करता है। यह अनुच्छेद सभी व्यक्तियों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
  • अगर किसी व्यक्ति के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया जाता है, तो वह अदालत में जाकर राहत मांग सकता है। अदालत उल्लंघन को रोकने, मुआवजा देने या अन्य उचित राहत देने का आदेश दे सकती है।
  • अगर किसी व्यक्ति को बिना किसी कानूनी आधार के हिरासत में लिया जाता है, तो वह अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के लिए अदालत में जा सकता है। अदालत व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दे सकती है।

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Image credit: Freepik

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