How India Got Freedom From British:साल 1947 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद हर साल 15 अगस्त को देश भर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस पर उन जांबाज शहीद जवानों और हस्तियों को याद किया जाता है कि जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी थी।
लेकिन हर 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मानना ही काफी नहीं है, बल्कि यह जानना भी बहुत जरूरी है कि इतने बड़े देश को कैसे ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली और क्यों अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागनी पड़ी थी?
इस आर्टिकल में हम आपको भारत की आजादी से जुड़ी 10 रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में आप भी जरूर जानना चाहेंगे।
भारत को आजादी कैसे मिली थी?
भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलना कोई संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई वर्षों का संघर्ष, करोड़ों लोगों का बलिदान और निरंतर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लेने के बाद ही मिली थी। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, भगत सिंह और दादा भाई नौरोजी जैसे लाखों स्वतंत्रता सेनानीयों के आजादी के लिए जान तक कुर्बान का दी थी।
1757 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों का गुलाम रहा था भारत
आजादी की लड़ाई किसी एक निश्चित तारीख में नहीं, बल्कि हर दिन होती है। कहा जाता है कि 1757 से लेकर 1947 तक भारत अंग्रेजों का गुलाम रहा और इस बीच समय-समय पर आजादी की चिंगारी चलती रहती हैं।
1857 से लेकर 1947 के बीच ऐसे कई आंदोलन और संघर्ष इतिहास के पन्नों में दर्ज है जिसकी वजह से भारत को आजादी मिली। देश के कई महान स्वतंत्रता सेनानियों के साहस और बलिदान के आगे ब्रिटिश हुकुमत घुटने टेक दिए और लगभग 200 साल बाद भारत को 15 अगस्त, 1947 के दिन आजादी मिली।
भारत की आजादी में 1857 की क्रांति की भूमिका
शायद आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत की आजादी और अंग्रेजों को देश छोड़ने के पीछे 1857 की क्रांति की अहम् भूमिका रही है। कहा जाता है कि भारत की आजादी की पहली लड़ाई 1857 की क्रांति से ही शुरू हुई थी और धीरे-धीरे पूरे देश में आजादी की लहर दौड़ गई।
भारत की आजादी में चंपारण आंदोलन की भूमिका
कहा जाता है कि भारत की आजादी में चंपारण आंदोलन की भूमिका काफी अहम् रही है। चंपारण आंदोलन की वजह से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को तेजी मिली और देश के सभी नागरिक अपने हितों की लड़ाई के लिए सामने आने लगे। महात्मा गांधी की नेतृत्व में चली यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार को जड़ से हिला चुकी थी।
भारत की आजादी में जलियांवाला बाग हत्याकांड की भूमिका
13 अप्रैल 1919 में अमृतसर में हुई जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस घटना के बाद पूरे हिंदुस्तान में गुस्से का माहौल था और हर तरफ आजादी-आजादी के नारे लग रहे थे। इस घटना ने आजादी की लड़ाई में आग में घी डालने का काम किया।
भारत की आजादी में असहयोग आंदोलन की भूमिका
भारत की आजादी में और अंग्रेजों को देश को छोड़कर जाने में असहयोग आंदोलन की भूमिका भी बेहद खास रही है। 1920 में शुरू इस आंदोलन में बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया, वकीलों ने अदालत जाना छोड़ दिया, कई शहरों में आम लोगों ने काम करना बंद कर दिया या हड़ताल पर चले गए। इससे आजादी को बहुत बड़ी ताकत मिली।
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पूर्ण स्वतंत्रता की मांग
साल 1921 में देश की आजादी के लिए कांग्रेस द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठी और यह मांग देश भर में फैलने लगी। पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को लेकर देश भर में जगह-जगह कई सभाएं भी आयोजित किए गए थे।(लीजिए 10 महिला स्वतंत्रता सेनानियों से)
भारत की आजादी में सविनय अवज्ञा आंदोलन की भूमिका
भारत की आजादी में सविनय अवज्ञा आंदोलन की भूमिका बेहद खास मानी जाती है। इस आंदोलन को नमक नमक सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है। यह महत्मा गांधी ने नेतृत्व में शुरु अहिंसक आंदोलन था, जिसने ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिलाकर रख दिया था।
भारत की आजादी में गोलमेज सम्मेलन की भूमिका
भारत की आजादी में गोलमेज सम्मेलन की भूमिका भी अहम रही है। देश भर में तीन गोलमेज सम्मेलन हुआ था। इन तीनों गोलमेज सम्मेलन में अंग्रेज सरकार द्वारा भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के साथ-साथ आजादी की भी चर्चा होती रहती थी।
भारत की आजादी में भारत छोड़ो आंदोलन की भूमिका
भारत की आजादी में भारत छोड़ो आंदोलन की भूमिका सबसे अधिक मानी जाती है। भारत छोड़ो आंदोलन सन 1942 में 8 अगस्त को शुरू हुआ था। इस आंदोलन के लगातार संघर्ष की वजह से 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सरकार से भारत को आजादी मिल गई। आजादी मिलने के बाद हर साल देश भर में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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