पूरा देश इस वक्त कोविड-19 संक्रमण से निपटने की जंग लड़ रहा है। कई शहरों में अभी भी लॉकडाउन की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। यातायात सेवाएं भी अभी ठीक से शुरू नहीं हुई हैं। इन सबके साथ ही त्योहारों का मौसम भी शुरू हो चुका है। सावन के महीने का सबसे बड़ा त्योहार रक्षाबंधन 3 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाएगा। भाई-बहन के प्यार भरे रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है, मगर इस बार शायद इस त्योहार पर वो रौनक नहीं नजर आएगी, जैसी बीते वर्षों में देखी जाती थी। कई बहन-भाई तो इस बार साथ में रक्षबंधन का पर्व भी न मना पाएं क्योंकि कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए सभी ने एक दूसरे के घर आना-जाना कम कर दिया। ऐसे में जो बहन-भाई अलग शहरों में रह रहे हैं, उनके लिए तो साथ में पर्व मनाना संभव ही नहीं है।
जो बहने इस बार भाई के पास नहीं पहुंच पा रही हैं, उन्होंने स्नेह के साथ राखी अपने भाई को पोस्ट कर दी है। वहीं भाई भी बहनों को ऑनलाइन गिफ्ट पहुंचाने में लगे हुए हैं। मगर बड़ा सवाल यह है कि आखिर बहन नहीं होगी तो भाई के हाथों पर राखी कौन बांधेगा? वहीं बहन रक्षाबंधन पर भाई के स्थान पर किसे राखी बांध कर अपना त्योहार मनाएगी? इन दोनों ही प्रश्नों का जवाब दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद विनोद सोनी पोद्दार। वह कहते हैं, 'हिंदू धर्म में रक्षबंधन के त्योहार को बहुत महत्व दिया गया है। यह दिन भाई-बहन का होता है। राखी के रश्मी धागे को कलाई पर बांध कर बहन अपने भाई से अपनी सुरक्षा का वचन लेती है। मगर संक्रमण के इस दौर में कई भाई-बहन हर साल की तरह त्योहार को साथ में नहीं मना पाएंगे। लेकिन धर्म के मुताबिक रक्षाबंधन के दिन किसी भी भाई के हाथ की कलाई सूनी नहीं होनी चाहिए ।'
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पंडित जी आगे बताते हैं, 'जिन भाईयों की बहन उन्हें खुद राखी नहीं बांध पा रही हैं, वह बहन की भेजी राखी को परिवार में मौजूद किसी भी बच्ची, बुआ, मां, बेटी और भांजी से बंधवा सकते हैं।' हिंदू धर्म में बुआ और भांजी को बहुत महत्व दिया जाता है। कई घरों में बुआ और भांजी द्वारा राखी बंधवाने का रिवाज भी होता है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात आदि कुछ प्रदेशों में बहन होने के बाद भी पुरुष अपनी बुआ और भांजी से राखी बंधवाते हैं। (ऐस सजाएं भाई की राखी की थाली)
जिस तरह रक्षाबंधन के दिन किसी भाई के हाथों की कलाई सूनी नहीं होनी चाहिए, उसी तरह हर बहन को रक्षाबंधन पर किसी न किसी भाई तुल्य व्यक्ति या फिर जिससे रक्षा का वचान लिया जा सके, उसे राखी जरूर बांधनी चाहिए। बेशक इस बार आप भाई के हाथों पर राखी न बांध पाएं, मगर भाई के स्थान पर आप देवर, मामा, चाचा, पिता, भांजे , भतीजे आदि को राखी बांध सकती हैं। यदि इनमें से कोई भी आपके समीप न हो तो आप भगवान कृष्ण को राखी बांध सकती हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण की सखी द्रौपदी (द्रौपदी के थे 8 नाम) ने उन्हें रक्षा सूत्र के रूप में अपनी साड़ी के आंचल का टुकड़ा बांधा था, उसके बाद से भगवान कृष्ण ने भी सदैव द्रौपदी की रक्षा की थी। पंडित जी कहते हैं, ' रक्षाबंधन के दिन सुबह उठ कर स्नान करें और उसके बाद भगवान कृष्ण की पूजा कर उन्हें राखी बांध दें। अगर घर में लड्डू गोपाल हैं तो यह और भी अच्छी बात है वरना आप भगवान की तस्वीर पर राखी चढ़ा भी सकती हैं।'
तो अगर इस बार आप भी रक्षाबंधन पर अपने भाई-बहन से नहीं मिल पा रहे हैं तो पंडित जी की बताई विधि के अनुसार पर्व को हर्ष और उल्लास के साथ मनाएं। राशिफल, वास्तु , हिंदू तीज-त्योहार, व्रत-पूजा और धर्म से जुड़ी रोचक बातें जानने के लिए जुड़ी रहे हरजिंदगी से।
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