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Mahakumbh 2025:मेला शुरू होने से पहले जान लें महाकुंभ मेले में खोए अपनों को वापस पाना हुआ और भी आसान, डिजिटल रजिस्ट्रेशन से मिलेगी मदद

महाकुंभ में होने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया है, जिसमें खोए हुए अपनों को वापस पाना और खोजना काफी आसान हो गया जाएगा। चलिए जानते हैं क्या है डिजिटल रजिस्ट्रेशन और कैसे कर सकते हैं इसका इस्तेमाल।
Editorial
Updated:- 2024-12-03, 20:33 IST

महाकुंभ मेला, जिसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले के रूप में जाना जाता है। यहां पर प्रत्येक 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। यह मेला भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है, जहां हर साल विभिन्न राज्यों और देशों से लोग गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर पवित्र स्नान के लिए आते हैं। महाकुंभ मेले के दौरान भारी भीड़,भव्यता और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता हैं।

ऐसे में  कई बार लोग अपने रिश्तेदारों और बच्चे-बुजुर्ग से बिछड़ जाते हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ 2025 में प्रशासन की तरफ से एक बड़ा कदम उठाया गया, जिससे खोए हुए अपनों को वापस पाना और भी आसान हो गया है। इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कि आप खोया-पाया केंद्र के अलावा डिजिटल रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था के जरिए अपनों को खोज सकते हैं।

क्या है डिजिटल रजिस्ट्रेशन?

Mahakumbh Mela 2025

प्रयागराज में लगने वाले कुंभ-महाकुंभ के दौरान खोया-पाया केंद्र बनाया जाता हैं, जिससे मेले में बिछड़े हुए अपनों को खोजने में मदद मिलती है। लेकिन बदलते समय के साथ साल 2025 में लगने वाले महाकुंभ में खोया पाया केंद्र के अलावा डिजिटल रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी शुरू की जा रही है। इसके जरिए अपनों को मेले में खोजना और भी आसान होने वाला है। सीधे शब्दों में कहा जाए, तो श्रद्धालु और उनके परिजन मेले में बिछड़े सदस्य को खोजने के लिए अब डिजिटल प्लेटफॉर्म का सहारा ले सकते हैं।

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डिजिटल रजिस्ट्रेशन कैसे करें अपनों को खोजने में मदद?

Lost and Found Kumbh Mela

डिजिटल रजिस्ट्रेशन के तहत, प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक यूनिक आईडी कार्ड मिलेगा, जिसमें उनका पूरी जानकारी और एक डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम जुड़ा होगा। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति मेला क्षेत्र में खो जाता है, तो संबंधित अधिकारी आसानी से इस आईडी से उनकी पहचान कर पाएंगे और उन्हें उनके परिवार से मिलाने में मदद कर सकते हैं।

यह पहल न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि प्रशासन के लिए भी बेहद मददगार साबित होगी, क्योंकि यह कॉग्निटिव ट्रैकिंग और स्मार्ट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा। रजिस्ट्रेशन होने के बाद एआई कैमरे गुमशुदा को खोजने में लग जाएगा। यही नहीं बल्कि जानकारी को फेसबुक और एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी शेयर किया जाएगा।

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