भारत का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है, जिसमें कई शासकों के नाम दर्ज हैं। पर इस देश की रानियां भी वीरता और बुद्धि के मामले में कम नहीं रही हैं। इससे पहले भी हम आपको भारत के इतिहास से जुड़ी रानियों, बेगमों से जुड़े रोचक तथ्य बता चुके हैं।
हमने आपको कई मुगल रानियों के बारे में जानकारी दी है। इसी कड़ी में हरजिंदगी अपनी सीरीज 'क्वीन्स ऑफ इंडिया' में आपको मराठा साम्राज्य और इससे जुड़ी रानियाों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनके नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।
बता दें कि इस साम्राज्य में काफी शक्तिशाली शासकों ने राज किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मराठा साम्राज्य का उदय मुगल काल में दक्कन के दौरान हुआ था। कहा जाता है कि भारत में मुगल साम्राज्य को क्षीण करने में इस साम्राज्य की अहम भूमिका रही है।
मराठा साम्राज्य का इतिहास
इसका साम्राज्य का आरम्भ 1674 ईसवी में शिवाजी के राज्याभिषेक के साथ हुआ था। मराठा साम्राज्य-एक नए साम्राज्य का उदय बुक में उल्लेख मिलता है कि 16वीं शताब्दी में जब आक्रमणकारियों ने हिंदुस्तान पर कब्जा करने के लिए छोटे-छोटे गांवों पर हमले किए, तो 17वीं शताब्दी में शिवाजी नाम का एक युवा आक्रमणकारियों से लड़ने के लिए खड़ा हुआ और स्वतंत्रता का दीपक जलाया। (मुगल इतिहास की इन शक्तिशाली रानियां)
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अहिल्याबाई होल्कर के बारे में जानिए
बता दें कि अहिल्याबाई होल्कर मराठा साम्राज्य की प्रसिद्ध महारानी तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की धर्मपत्नी थीं। इन्होंने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया। बता दें कि अहिल्याबाई होल्कर ने कई धार्मिक कार्य किए। इन्होंने पूरे भारत में श्रीनगर, हरिद्वार, केदारनाथ, महाबलेश्वर, पुणे, इंदौर, उडुपी, गोकर्ण, काठमांडू आदि में बहुत से मंदिर बनवाए हैं।
सकवारबाई के बारे में जानिए
साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी प्रथम की चौथी और सबसे ताकतवर पत्नी थीं। वह एक मराठा अभिजात, नंदजी राव गायकवाड़ की बेटी थीं। सकवारबाई गायकवाड़ ने जनवरी 1657 में शिवाजी प्रथम से शादी की, उस समय उनकी छठी पत्नी थीं। बाद में उन्होंने कमलाबाई नाम की एक बेटी को जन्म दिया। कहा जाता है कि सकवारबाई ने अपने शासन के दौरान कई निमार्ण कार्य भी करवाए थे। (मुगल शासकों की ये हिंदू रानियां)
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ताराबाई के बारे में जानिए
महारानी ताराबाई राजाराम महाराज की दूसरी पत्नी तथा छत्रपति शिवाजी महाराज के सरसेनापती हंबीरराव मोहिते की कन्या थीं। इनका जन्म 1675 में हुआ था, जिनका पूरा नाम ताराबाई भोसले था। बता दें कि ताराबाई ने 1700 लेकर 1707 तक मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली, जो कि उनका एक महानतम कार्य था।
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Image Credit- (@Freepik)
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