herzindagi
types of pitru paksah

Types of Shradh in Hindi: जानें श्राद्ध के कितने प्रकार होते हैं और उनका क्या महत्व है

Types of Shradh & their Significance: आइए इस लेख में ज्योतिष एक्सपर्ट से जानें श्रेष्ठ के प्रकारों और पितृ पक्ष में किये गए श्राद्ध कर्म के महत्व के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2023-09-29, 16:09 IST

पितृ पक्ष में पितरों के लिए किए गए श्राद्ध का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। वायु पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितरों को सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के 16 दिनों में हमारे मृत पूर्वज हमारे आस -पास उपस्थित होते हैं और किसी न किसी रूप में अन्न जल ग्रहण करते हैं। पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए भक्ति और कर्मकांड से किया गया यज्ञ श्राद्ध कहलाता है। 

श्राद्ध की प्रथा वैदिक काल से चली आ रही है। श्राद्ध का उद्देश्य अपने पूर्वजों का सम्मान करना और उनकी आत्मा की संतुष्टि के लिए प्रार्थना करना होता है। कहा जाता है कि श्राद्ध यानी कि पितृ पक्ष में तर्पण किए गए जल से ही पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है। श्राद्ध कई तरीकों से किया जाता है और इसके कई प्रकार हैं। आइए अयोध्या के जाने माने पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें श्राद्ध के प्रकारों के बारे में। 

श्राद्ध के प्रकार (Types of Shradh & their Significance)

pitru paksha types

वैसे तो साल में एक बार 16 दिनों के लिए पितृ पक्ष का समय आता है लेकिन मान्यता है कि श्राद्ध के कुल 12 प्रकार होते हैं। आइए जानें उन प्रकारों और पितृ पक्ष के महत्व के बारे में। 

नित्य श्राद्ध

यह श्राद्ध नित्य श्राद्ध कहलाता है क्योंकि यह श्राद्ध जल और अन्न द्वारा प्रतिदिन होता है। श्रद्धा भाव से माता-पिता एवं गुरुजनों के नियमित पूजन को नित्य श्राद्ध कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अन्न के अभाव में जल से भी श्राद्ध किया जा सकता है। 

नैमित्तिक श्राद्ध

मान्यतानुसार किसी एक व्यक्ति को निमित्त बनाकर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं।

काम्य श्राद्ध

जब किसी कामना की पूर्ति हेतु श्राद्ध कर्म किये जाते हैं तो इसे काम्य श्राद्ध कहा जाता है। मान्यता है कि इस श्राद्ध कर्म को करके मनुष्य की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति  होती है। 

वृद्ध श्राद्ध

विवाह, उत्सव आदि अवसरों पर वृद्धों के आशीर्वाद लेने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध वृद्ध श्राद्ध कहलाता है। लोग विवाह के अवसर पर सर्वप्रथम पितरों का आह्वान करते हैं जिससे उनके जीवन में आने वाले बाधाएं दूर हो जाएं। 

इसे जरूर पढ़ें: Jal Tarpan Vidhi for Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में पितरों को इस विधि से करें जल तर्पण

सपिंडी श्राद्ध

सपिण्डन शब्द का अभिप्राय पिण्डों को मिलाना। पितर में ले जाने की प्रक्रिया ही सपिण्डन है। प्रेत पिण्ड का पितृ पिण्डों में सम्मेलन कराया जाता है। इसे ही सपिण्डन श्राद्ध कहते हैं।

पार्वण श्राद्ध

पार्वण श्राद्ध इसी पर्व से संबंधित होता है। किसी पर्व जैसे पितृ पक्ष, अमावस्या  या पितरों को मृत्यु की तिथि आदि पर किया जाने वाला श्राद्ध पार्वण श्राद्ध कहलाता है।

pitru paksh shradh

गोष्ठी श्राद्ध

गोष्ठी शब्द का अर्थ समूह होता है। इसलिए अपने अर्थ को चरितार्थ करते हुए यह श्राद्ध सामूहिक रूप से किए जाते हैं। 

शुद्धयर्थ श्राद्ध

शुद्धि के निमित्त जो श्राद्ध किए जाते हैं। उसे सिद्धयर्थ श्राद्ध कहते हैं। इस श्राद्ध में मुख्य रूप से ब्राह्मणों को भोजन कराना अच्छा होता है। 

कर्माग श्राद्ध

कर्माग का अर्थ कर्म का अंग होता है, अर्थात किसी प्रधान कर्म के अंग के रूप में जो श्राद्ध सम्पन्न किए जाते हैं। उसे कर्म श्राद्ध कहते हैं।

यात्रार्थ श्राद्ध

यात्रा के उद्देश्य से किया जाने वाला श्राद्ध यात्रार्थ श्राद्ध कहलाता है। जैसे- तीर्थ में जाने के उद्देश्य से या देशांतर जाने के उद्देश्य से किया गया श्राद्ध। 

 

पुष्ट्यर्थ श्राद्ध

पुष्टि के निमित्त जो श्राद्ध सम्पन्न हो, जैसे शारीरिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए किया जाना वाला श्राद्ध पुष्ट्यर्थ श्राद्ध कहलाता है।

दैविक श्राद्ध

देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य से जो श्राद्ध किया जाता है उसे दैविक श्राद्ध कहा  जाता है। इसे करने से अन्न-धन्न की कमी नहीं होती है और डिवॉन के साथ पितर भी प्रसन्न होते हैं।

इसे जरूर पढ़ें: Pind Daan Place in India: भारत की इन टॉप 5 जगहों पर पिंड दान करने पहुंचें, पूर्वजों को मिलेगा मोक्ष

श्राद्ध का महत्व

pitru paksh shradh significance

ऐसी मान्यता है कि 84 लाख योनियों को छोड़कर मनुष्य का जीवन प्राप्त होता है। पंडित राधे शरण शास्त्री जी बताते हैं कि जब कोई बच्चा जन्म लेता है तब वह बच्चे के रूप में होता है लेकिन जब वह श्राद्ध कर्म में सम्मिलित होता है तब उसे सही मायने में पुत्र कहा जाता है। पितृ पक्ष में पूरे मनोयोग से पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष का प्रभाव नहीं होता है। पितृ पक्ष के दौरान ऐसा माना जाता है कि मृत पूर्वज धरती पर 16 दिनों के लिए विराजमान उन्हें उनकी मृत्यु की तिथि में श्राद्ध कर्म करते हुए गोबर  उपले को जलाकर धुंए के माध्यम से आहुति दी जाती है तथा उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति  की जाती है।  

इस प्रकार पुराणों में श्राद्ध के प्रकारों के साथ उनके महत्त्व का वर्णन भी किया जाता है और पंडित जी बताते हैं कि पितृ पक्ष में किया गया श्राद्ध कर्म उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। 

 

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: pixabay and shutterstock 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।