Maternity Leave: क्या महिलाओं को मिलेगी 9 महीने की मैटरनिटी लीव? जानें इसके फायदे और नुकसान

मैटरनिटी लीव को 6 महीने से 9 महीने करने का सुझाव दिया जा रहा है। यह अवधि बढ़ने पर क्या वाकई महिलाओं और नवजातों की जिंदगी पर असर पड़ेगा?

What is the importance of maternity leaves

मैटरनिटी लीव जरूरत है या फिर एक फायदा जो महिलाओं को दिया जाता है? हो सकता है कि मेरा यह सवाल आपको पेचीदा लगे, लेकिन यकीन मानिए यह बहुत वाजिब है। मैटरनिटी लीव से वापस आई कई महिलाओं को लगता है कि मैटरनिटी लीव को लोग एक बेनिफिट समझते हैं। हाल ही में नीति आयोग द्वारा मैटरनिटी लीव को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, इस सुझाव को लॉ बनने में बहुत समय लग सकता है।

मैटरनिटी लीव को लेकर पुणे की अंकिता कहती हैं, "मैटरनिटी लीव लेने के बाद जब उन्होंने वापस ऑफिस ज्वाइन किया तब लोगों को लगा था कि वह अब थोड़े दिन में ऑफिस छोड़ देंगी। कई लोगों ने यह ताना भी मारा कि उन्हें तो 6 महीने घर में आराम करने को मिल गया।" क्या वाकई मैटरनिटी लीव आराम के लिए होती है? इसके फायदे और नुकसान के बारे में बात करने से पहले हम यह जान लेते हैं कि पिछली बार जब मैटरनिटी लीव बढ़ी थी तब कैसे हालात थे।

जब मैटरनिटी लीव 6 महीने की गई थी तब ऐसे थे हाल

2017 में जब मोदी सरकार ने मैटरनिटी लीव को जब 3 महीने से बढ़ाकर 6 महीने कर दिया था तब भी इस तरह की बातें उठी थीं। प्राइवेट सेक्टर में 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव पॉलिसी 2016 में प्रपोज की गई थी और 2017 में इसे लागू कर दिया गया। उसके बाद कई एक्सपर्ट्स ने इसे फीमेल वर्कफोर्स के खिलाफ बताया था।

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ऐसा देखने को मिला था कि कई प्राइवेट कंपनियां महिलाओं को हायर करने से बचने लगी थीं। इस पर 2018 में TeamLease द्वारा एक स्टडी भी की गई थी। इसके आंकड़े बता रहे थे कि 1.1-1.8 मिलियन महिला कर्मचारियों को 10 मुख्य जॉब सेक्टर्स में जॉब नहीं मिल पाती क्योंकि एम्प्लॉयर्स को मैटरनिटी लीव और उसके बेनिफिट्स को लेकर आपत्ति होती है। उनके हिसाब से यह लॉस है।

कई कंपनियां तो इंटरव्यू के दौरान ही महिलाओं से फ्यूचर प्लानिंग के बारे में पूछने लगी थीं।

नीति आयोग ने दिया ऐसा सुझाव

नीति आयोग के मेंबर वीके पॉल ने कहा था कि प्राइवेट और पब्लिक दोनों ही सेक्टर्स को मैटरनिटी लीव 9 महीने तक कर दिया जाना चाहिए। Ficci Ladies Organization (FLO) के एक स्टेटमेंट के मुताबिक ग्लोबल केयर इकोनॉमी में पेड और अनपेड लेबर जुड़ा होता है। चाइल्ड केयर, एल्डर केयर, घर का काम आदि इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सेक्टर्स हैं। जेंडर इक्वालिटी और वुमन एम्पावरमेंट के लिए यह बहुत जरूरी है कि महिलाओं को सही सुविधाएं दी जाएं।

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यह बिल्कुल सही है। केयरगिविंग बहुत जरूरी है, लेकिन इसे आर्थिक तौर पर कैल्कुलेट नहीं किया जाता। आप यह नहीं बता सकते कि एक मां को कितनी सैलरी मिलनी चाहिए। भारत की केयर इकोनॉमी काफी नीचे है और ऐसे में पॉलिसीज में सुधार करने की जरूरत है।

महिलाओं की जरूरत क्यों नहीं समझी जाती?

मैटरनिटी बेनेफिट्स की बात की जाए, तो ऐसा मान लिया जाता है कि महिलाओं को तो बस 6 महीने की छुट्टी मिल रही है। उस छुट्टी की जरूरत क्यों है इसके बारे में चर्चा कम ही होती है। MICA की प्रोफेसर, TedX स्पीकर, वुमन राइट्स एक्टिविस्ट और बॉडी पॉजिटिविटी की समर्थक फाल्गुनी वसावड़ा का कहना है, "लोग इक्विटी और इक्वालिटी में फर्क नहीं समझते हैं। मैटरनिटी और पैटरनिटी लीव को लेकर यह माना जाता है कि महिलाओं को ज्यादा छुट्टी मिल रही है। यह क्यों नहीं समझा जाता कि उनके शरीर को डिलीवरी के बाद हील होने में ही 6 महीने का समय लग जाता है। ऐसे में आप यह नहीं समझ सकते हैं कि यह फायदा है।"

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क्या है मैटरनिटी लीव्स के फायदे?

  • मां के शरीर को पूरी तरह से हील होने का समय मिल जाता है।
  • बच्चे की केयर ठीक तरह से हो जाती है।
  • केयरगिविंग के लिए किसी और की मदद नहीं लेनी पड़ती।
  • सही समय पर ब्रेस्टफीडिंग की वजह से बच्चे की हेल्थ अच्छी होती है।
  • महिला को अपनी केयर करने का भी मौका मिल जाता है।
  • मां आराम के बाद ऑफिस में वापस आकर और ज्यादा क्रिएटिव हो जाती है।
  • प्रोडक्टिविटी पर बेहतर असर पड़ता है।

क्या है मैटरनिटी लीव्स के नुकसान?

अगर महिलाओं के एंगल से देखा जाए, तो कोई नुकसान नहीं है, बल्कि फायदे ही हैं। हालांकि, प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के कई ऑर्गेनाइजेशन इसे सही नहीं मानते हैं। उनके हिसाब से अगर ऐसा होता है, तो कंपनियों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए मैटरनिटी लीव के डर से कई बार कंपनियां फीमेल वर्कफोर्स को हायर ही नहीं करना चाहती हैं।

कुल मिलाकर मेरी राय में मैटरनिटी लीव अगर ज्यादा मिलती है, तो महिलाएं अपने काम को और ज्यादा बेहतर कर पाएंगी। जिस चीज की जरूरत है उसके लिए नियम बनाना बिल्कुल गलत नहीं है। आपकी इस मामले में क्या राय है? हमें अपने जवाब आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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