रामायण से लेकर महाभारत तक, ये थीं 5 सबसे बहादुर महिला योद्धा

हमने अपने पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में हमेशा पुरुषों के शौर्य की कहानियां सुनी हैं, लेकिन आज हम आपको रामायण और महाभारत की सबसे बहादुर महिलाओं के बारे में बताते हैं। 

 Most fierce female warriors of mythology

एक योद्धा कौन होता है? क्या हम सिर्फ उसे ही योद्धा या फिर सिपाही कहते हैं जो युद्ध भूमि में लड़ता है या फिर उसे भी हम योद्धा मान लेंगे जो हर तरह से आगे बढ़ता है और हर मुश्किल का सामना करता है? योद्धा के बहुत सारे गुण होते हैं जिनमें अक्ल, कूटनीति, शौर्य और कला सभी शामिल होते हैं। अगर हम अपने पौराणिक ग्रन्थों की बात करें तो हर बार हमें पुरुषों की वीरता और उनके योद्धा होने के बारे में बताया जाता है, लेकिन अगर महिलाओं को देखें तो उन्हें बहुत ही अलग तरह से पेश किया जाता है।

आज हम उन महिला योद्धाओं की बात करने जा रहे हैं जो ना सिर्फ युद्ध स्तर में अच्छी थीं बल्कि उनमें और भी बहुत सारी खूबियां थीं।

1. कैकई

रामायण में भगवान श्री राम की सौतेली मां कैकेयी को हम जिन कारणों से याद करते हैं उनके परे अगर उनका जीवन देखें तो वो एक कुशल योद्धा थीं। राजा दशरथ के साथ वो खुद युद्ध पर गई थीं और उनकी विजय का कारण बनी थीं। राजा दशरथ की जान बचाकर ही कैकई को तीन वरदान का वचन मिला था। कैकई ने युद्ध भूमि पर भी अपने पति की रक्षा की थी और वो कई तरह की कलाओं से निपुण थीं। उन्हें बहुत बहादुर माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन की चिंता किए बिना राजा दशरथ के जीवन को बचाने की कोशिश की थी।

kaikai and manthara

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2. कुंती

कुंती को महाभारत में एक बेचारी की तरह दिखाया गया है, लेकिन पांच पांडवों की मां कुंती ना सिर्फ शास्त्रों में निपुण थीं बल्कि वो शस्त्रों में भी महारत हासिल किए हुए थीं। कुंति जंगलों में अपना तीर कमान लेकर जाया करती थीं और मासूम जानवरों की शिकारियों से रक्षा किया करती थीं। कुंती में अकेले इतना शौर्य था कि वो अपने पति की मृत्यु के बाद भी पांच पांडवों को जंगलों में पाल सकीं। उन्होंने अपने पांचों बेटों को शिक्षा का हुनर दिया।

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3. शिखंडी

महाभारत में द्रौपदी के पिता सम्राट द्रुपद की बेटी शिखंडी को एक किन्नर भी माना जाता है। वो काशी की राजकुमारी अंबा का पुनर्जन्म थी। महाराज द्रुपद की सेनापति शिखंडी युद्ध कला में बहुत माहिर थी और शिखंडी के साथ युद्ध में कोई भी जीत नहीं सकता था। वो इतनी ज्यादा हुनरवान थी कि उन्हें लगभग हर शस्त्र चलाना आता था और वो महाभारत के युद्ध में भी हिस्सा ले चुकी थीं। भीष्म पितामह की मौत का कारण शिखंडी ही थी।

shikhandi and warrior

4. द्रौपदी

तीर-कमान चलाना हो या फिर अपने सम्मान की रक्षा करना हो द्रौपदी को किसी की जरूरत नहीं थी। द्रौपदी के पांच पति होते हुए भी उसका अपमान भरी सभा में हुआ था। द्रौपदी ने अपने सम्मान के लिए लड़ाई की। शूर वीरों की पत्नी होने का ही नहीं बल्कि द्रौपदी का अपना अलग चरित्र भी था। द्रौपदी ना सिर्फ अक्लमंद थी बल्कि उसके अंदर समर्पण की भावना भी थी। द्रौपदी की खूबसूरती नहीं उसकी अक्ल की भी सभी तारीफ करते थे।

draupadi and mahabharat

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5. सावित्री

एक वरदान की तरह अपने माता-पिता को मिली सावित्री ना सिर्फ खूबसूरती की परिभाषा थी बल्कि शौर्य की भी परिभाषा थी। सावित्री वो थी जो अपने पति की जान के लिए यमराज से भी लड़ गई थी। ऐसा माना जाता है कि कोई अपनी मौत से नहीं लड़ सकता, लेकिन सावित्री ने अपने पति के लिए यमराज से बैर लिया और अपनी बुद्धि के बल पर सत्यवान को जीवित किया।

इन पांचों ने अपनी वीरता के बल पर ही अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। हो सकता है कि मेरी राय के परे आपकी राय हो, लेकिन यकीन मानिए ये पांचों हिंदू पुराणों में महान योद्धाओं की तरह ही देखी जाती हैं। आपका इस मामले में क्या ख्याल है? अपनी राय हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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