दुनिया की सबसे महंगी धूल, करोड़ों रुपये है कीमत

धूल-मिट्टी को हम गंदगी समझकर साफ कर देते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर धूल न रहे तो हमारा जीवन खतरे में पड़ जाएगा। ना तो अनाज उगेगा और न ही पेड़- पौधे उग पाएंगे।

 
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धूल को लेकर एक बहुत पुरानी कहावत है कि 'तुम मेरे पैरों की धूल के बराबर भी नहीं'.....जिसका मतलब धूल का कोई मोल ना होना है। साथ ही, हमारे लिए उस इंसान का भी जिसके लिए यह कहावत बोली जा रही है। अगर देखा जाए तो मिट्टी की धूल महीन चूरे को कहते हैं जिसके बनने में लाखों साल लग जाता हैं।

इसे बनाने में काफी वक्त लगता है, लेकिन इसके बावजूद भी इसकी कोई कीमत नहीं होती। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि दुनिया में एक ऐसी धूल भी है, जिसकी कीमत लाखों में है...तब आपका क्या सोचेंगे...? यही कि ऐसा कैसे हो सकता है, तो बता दें कि दुनिया में कई ऐसी धूल हैं,जो दुर्लभ होती हैं और उनकी कीमत भी अधिक होती है।

सोने धूल भी काफी महंगी होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी धूल कौन सी है, कुछ धूल की तो कीमत सोने भी ज्यादा है। इसमें से एक धूल के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये है।

दुनिया की सबसे महंगी धूल के बारे में जानें

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यह कोई आम धूल नहीं है, बल्कि चांद पर पाई जाने वाली अहम धूल है। इसकी कीमत लाखों में नहीं, बल्कि करोड़ो में है। रिपोर्ट के मुताबिक एक चुटकी चंद्रमा धूल की नीलामी न्यूयॉर्क के बोनहाम्स में हुई थी। (धूल साफ करने के 5 हैक्स) इसकी कीमत 4 करोड़ रुपये थी। कहा जाता है कि यह वही धूल है, जो 50 साल पहले अपोलो 11 अभियान के जरिए पृथ्वी पर लाई गई थी।

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आखिर इतनी महंगी क्यों है चंद्रमा की धूल?

चांद की मिट्टी आसानी से नहीं मिलती। इसे लाने के लिए काफी वक्त और मेहनत लगती है। साथ ही, ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की मिट्टी का इस्तेमालकई तरह से किया जा सकता है। कहा जाता है कि चंद्रमा की मिट्टी से पौधे लगाए जा सकते हैं।

इससे पौधे लगाने से ग्रोथ अच्छी होती है। साथ ही, इसकी दुर्लभता भी इसे महंगा बनाने का काम करती है।

किन देशों में मौजूद है चंद्रमा की धूल

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चंद्रमा की धूल अभी तक सिर्फ 3 देशों के पास है। इसमें अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश शामिल है। कहा जाता है कि अमेरिका के NASA के अपोलो अभियानों ने 382 किलो के चंद्रमा की चट्टान और धूल का टुकड़ा भी जमा किया है।

वहीं, सोवियत संघ ने अपने अभियानों से सिर्फ 300 ग्राम चंद्रमा की धूल जमा की है। हालांकि, अब चांद की धूल को इकट्ठा करने की लोगों में होड़ पैदा हो गई है। आने वाले साल में कई देशों में चांद की धूल जमा हो जाएगी।

पहली बार कौन लाया था चांद की धूल

Why is Martian soil expensive

चांद की धूल पहली बार नील आर्मस्ट्रॉन्ग लाए थे। इसमें एडविन एल्ड्रिन भी शामिल थे, जो लगभग 22 किलो चांद की मिट्टी लाए थे। यह 1969 में चलने वाला अहम मिशन था, जिसमें नाम अपोलो- 11 था। यह पहला मिशन था जब किसी इंसान ने चांद पर कदम रखा था।

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हालांकि, पिछले साल एक चुटकी चंद्रमा की कीमत लगभग 504375 डॉलर थी, जिसे नीलामी में बोन हाम्स ने खरीदा था। कहा जाता है कि धूल के और महंगे होने की संभावना थी।

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