एक कहावत है बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं और उन्हें जिस सांचे में ढाला जाएगा वो वैसे ही बन जाएंगे। बच्चे इतने मासूम होते हैं कि माता-पिता ही उनके भविष्य और भाग्य के निर्माता होते हैं। बच्चों की पहली पाठशाला उनका घर होता है जहाँ उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। बच्चा अपने पैरेंट्स और घर के अन्य सदस्यों से बहुत कुछ सीखता है। बच्चों को संस्कार और नैतिक शिक्षा का ज्ञान भी घर के सदस्यों से ही होता है। बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए कुछ ऐसे संस्कार होते हैं जो उनमें जरूर होने चाहिए। आइए आपको बताते हैं उन्हीं संस्कारों के बारे में जिनसे बच्चे के उज्जवल भविष्य की नींव रखी जा सकती है।
बच्चों को हमेशा यही सिखाना चाहिए कि वो बड़ों का सम्मान करें और उनकी हर बात मानें । बच्चा कितना भी प्यारा क्यों न हो लेकिन वो अगर बड़ों से ठीक से बात नहीं करता है, तो उसे ऐसा करने को कहें। कभी भी बच्चों के सामने दूसरों को अपशब्द न कहें नहीं तो बच्चा भी वही सीखता है।
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आजकल ज़माना कितना भी मॉडर्न क्यों न हो लेकिन बच्चों की भगवान के प्रति आस्था जरूरी है। बच्चों को बताएं कि ईश्वर में आस्था रखने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती हैं। उसको यह विश्वास दिलाइए कि ईश्वर की उपस्थिति हर जगह है इसलिए भगवान की पूजा करते हुए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। ईश्वर के प्रति आस्था का भाव एक ऐसी पूंजी है जिससे बच्चा उन्नति के चरम शिखर तक पहुंच जाता है।
बच्चे के अंदर सच बोलने की आदत डालनी चाहिए इसके लिए माता -पिता को स्वयं भी इसी रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। माता -पिता को कभी भी बच्चे के सामने झूठ नहीं बोलना चाहिए नहीं तो वो भी ऐसे ही झूठ बोलना सीखेगा ।
अपने बच्चे के अंदर दूसरों की मदद करने की भावना जागृत करें । यह आदत बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए जिससे वो बड़े होने तक इस आदत का अनुसरण करना सीख जाए। एक माता-पिता होने के नाते आप अपने बच्चे को बचपन से ही अपने साथ काम पर लगाएं या उसको बताते रहें कि परिवार में सभी काम एक दूसरे की मदद से ही संभव हैं।
प्रेम का भाव हर बच्चे के अंदर ज़रूर होना चाहिए जिससे वह सभी के साथ प्रेम से रहे। आपसी प्रेम और भाईचारे की भावना के बल पर वह अपने परिवार , विद्यालय और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता है । इसके लिए हमेशा बच्चे को डांटने की बजाय उसके साथ प्यार से पेश आएं (बच्चे के साथ ऐसे आएं पेश )। बीच-बीच में बच्चे का किसी काम के लिए उत्साह बढ़ाते रहें।
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बच्चों को उनके शुरूआती दौर से ही आत्मनिर्भरता सिखानी चाहिए। कोशिश करें कि बच्चों के बचपन से ही स्वयं के छोटे -छोटे काम करने दें। घर के छोटे काम जैसे बड़ों को पानी देना या कोई चीज़ उठाकर सही जगह पर रखना ऐसे काम बच्चे से कराएं (बच्चे को ऐसे सिखाएं घर के काम)। इससे बच्चों का स्वयं पर विश्वास बढ़ेगा और दूसरों पर निर्भर होने की बजाय वो स्वयं ही अपने काम करना सीख लेंगे
बच्चों को शुरुआत से ही जिम्मेदारियों का एहसास कराना बहुत आवश्यक है। जैसे शुरुआत में जब बच्चा स्कूल जाता है तो उसकी जिम्मेदारी अपना स्कूल का काम पूरा करने की है। ऐसी छोटी जिम्मेदारियों से बच्चे में बड़ी जिम्मेदारियां उठाने का हुनर भी जगता है।
ये कुछ ऐसे संस्कार हैं जो बच्चे के भविष्य को उज्जवल कर सकते हैं, इसलिए हमेशा अपने बच्चे को प्यार से समझाते हुए इन नैतिक भावों और संस्कारों की शिक्षा दें। ऐसा करने से बच्चा हमेशा उन्नति के मार्ग पर जाएगा।
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Image Credit: freepik and unsplash
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