हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। किसी भी पूजा का अलग फल मिलता है और वहीं कई तरह के मंत्रोच्चारण से भी हमारे मन मस्तिष्क में ऊर्जा का संचार होता है। ऐसी मान्यता है कि अलग-अलग मंत्रों का आपके जीवन में विशेष प्रभाव होता है और ये मंत्र आपको आगे बढ़ने की शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते है।
ऐसे ही मंत्र और स्तोत्रों में से एक है विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना। इस स्तोत्र का पाठ आपके मन को शांति प्रदान करने के साथ कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को
सोते समय बुरे सपने दिखते हों या मन में डर रहता हो, तो उसे विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने की सलाह दी जाती है जिससे मन में शांति बनी रहे। यही नहीं घर में धन के आगमन को बढ़ाने के लिए भी इस स्तोत्र का पाठ फलदायी माना जाता है।
ज्योतिष में इसके माहत्म्य को जानते हुए इस पाठ को नियमित करने की सलाह दी जाती है। लेकिन इस स्तोत्र का पाठ करते समय यदि आप कुछ छोटी से गलतियां करती हैं तो आपके घर में इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है और पूजा का पूर्ण फल भी नहीं मिलता है। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें विष्णु सहस्रनाम के पाठ के समय आपको किन गलतियों से बचना चाहिए।
यदि आप इस महान स्तोत्र का पाठ अशुद्ध तन और मन से करती हैं तो इसका नकारात्मक फल मिल सकता है। हमेशा इस पवित्र स्तोत्र का पाठ आपको प्रातः जल्दी उठकर साफ़ वास्तव को धारण करने के बाद पूजा के स्थान में साफ़ आसान बिछाकर करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की पूर्ण कृपा दृष्टि बनी रहती है।
यदि आप विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करते समय मन में बुरे विचार मन में लाती हैं या किसी के बारे में अनुचित बातें सोचती हैं तो कभी भी इस स्तोत्र के पाठ का सही फल नहीं मिल सकता है। इस पाठ के लिए आपके मन में कोई भी नकारात्मक विचार नहीं आना चाहिए और किसी के बारे में कोई गलत धारणा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
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यदि आप घर में विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करती हैं तो ध्यान रखें कि यह पाठ प्रातः काल सूर्योदय के तुरंत बाद के समय में करना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि आपके पास समय का अभाव है तो ये पाठ संध्या काल में स्नान आदि करके करें। कभी भी दोपहर के समय विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ नहीं करना चाहिए। दोपहर का समय (दोपहर के समय पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए) भगवान के विश्राम का समय माना जाता है इसलिए इस समय पूजा पाठ न करने की सलाह दी जाती है।
यदि आप विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से पहले या बाद में तामसिक भोजन जैसे मांस मदिरा आदि का सेवन करती हैं तो पूजा का सकारात्मक फल नहीं मिलता है बल्कि ऐसी पूजा भगवान विष्णु को स्वीकार्य नहीं होती है। जिस घर में इस स्तोत्र का पाठ होता है वहां कोई भी तामसिक भोजन न करने की सलाह दी जाती है।
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यदि आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ काले या गंदे वस्त्र धारण करके करती हैं तो ऐसा करना आपके लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ पीले रंग के वस्त्रों में करना सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। पीला रंग भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र ) को सबसे ज्यादा प्रिय है, वहीं काले रंग को शनि का रंग माना जाता है। काले रंग किसी भी पूजा पाठ में वर्जित माने जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो लोग नियमित रूप से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हैं उनके हर काम सफल हो जाते हैं और समस्त कष्टों से मुक्ति के मार्ग खुलते हैं। यहां बताए गए कुछ विशेष ज्योतिष नियमों का पालन करके किया गया पाठ सर्वोत्तम फलदायी माना जाता है।
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