हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। प्रत्येक महीने में पूर्णिमा तिथि एक बार होती है और पूरे साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं जिनका अलग ही महत्व होता है। इन सभी पूर्णिमा तिथियों में मार्गशीर्ष मास का बहुत अधिक महत्व है। इस पूरे महीने को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।
वैसे तो इस पूरे महीने का महत्व अलग ही होता है लेकिन पूर्णिमा तिथि का सबसे अधिक महत्व बताया गया है। पूर्णिमा तिथि को चंद्र दर्शन का भी बहुत अधिक महत्व है। कुछ लोग मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनते हैं और इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आइए प्रख्यात ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें जानें दिसंबर के महीने में कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि और इसका क्या महत्व है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 तिथि
- मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में होने वाली पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है।
- पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ -18 दिसंबर, शनिवार को प्रात: 07 बजकर 24 मिनट से
- पूर्णिमा तिथि समाप्त 19 दिसंबर, रविवार को सुबह 10 बजकर 05 मिनट तक
- ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर 2021 को मनाई जाएगी।
शुभ योग में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021
- इस साल की मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ योग में है। 18 दिसंबर को साध्य योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक है, उसके बाद शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा।
- इसके बाद शुभ योग पूर्णिमा तिथि तक बना रहेगा।
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर के दिन चंद्रमा शाम 04 बजकर 46 मिनट पर उदय होगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का महत्व
पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का भी अलग महत्त्व है। ऐसा माना जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि में यदि दान-पुण्य किया जाए तो कई पुण्यों का फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा करवाना भी बहुत शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि के दिन चन्द्रमा की पूजा करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा तिथि के दिन माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें।
- इन दिन भगवान विष्णु जी की पूजा माता लक्ष्मी जी के साथ करें।
- विष्णु जी को पीले फूल अर्पित करें और पीले वस्त्र धारण करके पूजन करें।
- परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर सत्यनारायण की कथा का पाठ करें।
- दही का पंचामृत तैयार करें और पंजीरी का भोगलगाएं।
- प्रसाद सभी लोगों में वितरित करके स्वयं भी ग्रहण करें।
इस प्रकार पूर्णिमा में पूजन और चंद्र दर्शन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है और इसका बहुत अधिक महत्त्व है। उपरोक्त तरीके से पूजन करें आपके लिए निश्चित ही फलदायी होगा।
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Image Credit: freepik, unsplash, pixabay
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