हिंदू धर्म में सभी व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इस दिन का सीधा संबंध सूर्य देव से होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य उत्तरायण दिशा की ओर जाता है और सूर्य देव को हिंदुओं का प्रत्यक्ष देव कहा गया है जिनकी पूजा अर्चना करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। सूर्य देव के लिए मान्यता है कि वो समय के अनुसार अपनी राशि में प्रतिवर्तन करते हैं और वो सभी ग्रहों के स्वामी के रूप में पूजे जाते हैं। सूर्य समय-समय पर राशि परिवर्तन करता है और सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है।
इस तरह साल में 12 संक्राति तिथियां पड़ती हैं। जिनमें से मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इस राशि परिवर्तन से सूर्य उत्तरायण होकर ऋतु परिवर्तन करता है जिससे कई बदलाव होने लगते हैं। यह त्योहार आमतौर पर 14 जनवरी के दिन बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है लेकिन कई बार इसे 15 जनवरी को भी मनाया जाता है। आइए प्रख्यात ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल कब मनाया जाएगा मकर संक्रांति का त्योहार और इसका क्या महत्व है।
मकर संक्रांति तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म और ज्योतिष के अनुसार सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो इस घटना को ही मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। चूंकि सूर्य की गति नियमित होती है इसलिए मकर संक्राति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी के दिन होती है। इस साल भी मकर संक्रांति 14 जनवरी, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।
- इस साल मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी के दिन पड़ेगा।
- मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल- दोपहर 02.43 से शाम 05.45 तक.
- पुण्य काल की कुल अवधि- 03 घंटे 02 मिनट.
- मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल- दोपहर 02.43 से 04:28 तक.
- कुल अवधि - 01 घण्टा 45 मिनट
मकर संक्रांति का महत्व
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व एक बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से स्नान, दान , तर्पण और पूजा का खास महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है और सर्दियों से गर्मी की ओर मौसम परिवर्तन होता है। मकर संक्रांति के दिन से बसंत ऋतु शुरू होने लगती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु को आत्मज्ञान का दान दिया था। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपनी देह का त्याग किया था इसलिए इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है।
इसे भी पढ़ें:खिचड़ी के बिना क्यों अधूरा है मकर संक्रांति का त्योहार, जानें
मकर संक्रांति में दान होता है महत्वपूर्ण
मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। यानि धनु से मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मान्यतानुसार इस दिन से खरमास भी समाप्त होता है और शुभ दिनों की शुरुआत हो जाती है। यही समय होता है जब खेतों में चावल, गन्ना आदि की फसल कट चुकी होती है। मकर संक्रांति पर सबसे खास स्नान और दान का महत्वमाना जाता है। इस दिन दान में खिचड़ी को सबसे उत्तम बताया गया है। वैसे इस दिन 14 तरह की वस्तुओं का दान किया जाता है जिसमें खिचड़ी के साथ तिल, गुड़, घी,पापड़ और अचार जैसी चीज़ें शामिल होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान पुण्य करने से और पवित्र नदी के स्नान करने से कई जन्मों के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
अलग जगहों पर अलग हैं नाम
मकर संक्रांति का दिन बहुत शुभ और विशेष माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन पूरे भारत में अलग त्योहार मनाए जाते हैं। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी या उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल और असम में बिहू के नाम से मनाने की परंपरा है।
इस प्रकार हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत अधिक महत्व है और इस दिन दान पुण्य करके शुभ फलों की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit:freepik and wallpapercave.com
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों