हिन्दुओं में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन शिव पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है। शिवरात्रि के दिन का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों तरह से विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। वैसे आमतौर पर साल में 12-13 शिवरात्रि तिथियां मनाई जाती हैं महा जिनमें से महाशिवरात्रि सबसे प्रमुख है। शिवरात्रि की तिथि प्रत्येक माह की चतुर्दशी को होती है लेकिन इनमें से महाशिवरात्रि सबसे प्रमुख है।
शिवरात्रि हर महीने के चौदहवें दिन यानी कि अमावस्या के एक दिन पहले होती है और प्रत्येक शिवरात्रि में शिव पूजन को विशेष माना जाता है। लेकिन जो शिवरात्रि फ़रवरी या मार्च के महीने में आती है उसे महा शिवरात्रि कहा जाता है। शिवरात्रि शब्द दो शब्दों, शिव और रात्रि का समामेलन है, जहां शिव का अर्थ है 'भगवान शिव' और रात्रि का अर्थ है रात। इस प्रकार शिवरात्रि का मतलब होता है भगवान शिव की रात। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा-आराधना करते हैं एवं उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न धार्मिक कार्य करते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें इस साल महाशिवरात्रि कब मनाई जाएगी और इसका क्या महत्व है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन व्रत करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इसी वजह से महा शिवरात्रि के दिन व्रत रखने का रीति काफी लंबे समय से चली आ रही है। यही नहीं डॉ. आरती दहिया जी बताती हैं कि कुंवारी लड़कियां यदि शिवरात्रि के दिन लड़कियां शिव पूजन करती हैं तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव को दूध और बेलपत्र (शिवलिंग पर ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र)चढ़ाना मुख्य रूप से फलदायी माना जाता है। कुछ लोग इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक कराने से घर में सुख संपत्ति आती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियों और बाधाओं से छुटकारा मिलता है। इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव का पूजन माता पार्वती समेत करता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
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महा शिवरात्रि के दिन मंदिर जाना अच्छा माना जाता है। यदि आप मंदिर जा सकते हैं तो दूध, फल, बेलपत्र, धतूरा आदि शिवलिंग पर चढ़ाएं। बेलपत्र चढ़ाते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी बेल पत्र खंडित नहीं होना चाहिए, हो सके तो बेलपत्र पर चन्दन से ॐ नमः शिवाय या सिर्फ ॐ लिख कर चढ़ाएं। यदि ऐसा संभव न हो तो घर में भगवान शिव और माता पार्वती को अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा और फल चढ़ा कर पूजा करें और अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। इस दिन आप ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप फलदायी होता है।
इस प्रकार महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का पूजन और ध्यान सच्चे मन से करना चाहिए और व्रत का पालन करना चाहिए जिसे उनकी कृपा सदैव बनी रहे।अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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