वर्ष भर के इंतजार के बाद शिव भक्तों के लिए एक बार फिर से बड़ा दिन आ गया है। हम बात कर रहे हैं महाशिवरात्रि की। महाशिवरात्रि का पर्व पंचांग के हिसाब से फल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन हिंदुओं के देवता महादेव और पार्वती जाी का विवाह हुआ था। इस दिन को शिव भक्त देश के हर कोने में धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अराधना कर उन पर बेल पत्र आदि चढ़ाए जाते हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में यदि आप विधि विधान के साथ शिव-पार्वती की पूजा करते हैं और मंत्रों को उच्चारण करते हैं तो यह शुभ माना जाता है।
आपको बता दें कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन एक विशेष योग पड़ रहा है। यह सभी कुछ हम पंडित दयानंद शास्त्री से जानेंगे।
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निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 24:09:17 से 24:59:51 तक
अवधि : 0 घंटे 50 मिनट....
महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त: 06:54:45 से 15:26:25 तक 22, फरवरी तक
आपको बता दें कि महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा बच्चे से लेकर वृद्ध व्यक्ति तक कर सकता है। अगर आप महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव-माता पार्वती के लिए व्रत रखते हैं तो यह और भी अच्छी बात है। इस दिन सुबह उठ कर आपको स्नना करके अच्छे वस्त्र पहनने चाहिए और भगवान शिव- माता पार्वती की तस्वीर या मूर्ति के सामने व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आपको साथ ही शिवलिंग पर बेल पत्र और फूल आदि भी चढ़ाना चाहिए। ज्वालामुखी के ऊपर विराजे इंडोनेशिया के गणेश का है 700 साल पुराना इतिहास
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पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं, 'महाशिवरात्रि के दिन जो भक्त शिवलिंग का दूध, पानी या शहद आदि से अभिषेक करना चाहिए। उन पर बेल पत्र, दूर्वा या धतूरा आदि चढ़ाना चहिए। इस दिन मध्यरात्रि में भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए और रात भर जागरण करना चाहिए। ' पंडित जी से जानें राशि के अनुसार कैसे करें भगवान शिव की पूजा
पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार, 'इस दिन पांच ग्रहों की राशि की पुनरावृत्ति होगी। इस दिन शनि व चंद्र मकर राशि, गुरु धनु राशि, बुध कुंभ राशि तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे। इस तरह की स्थिती वर्ष 1961 में बनी थी। तब से अब तक 59 वर्षों में ऐसा नहीं हुआ था। इसे 'शश योग ' कहते हैं। महाशिवरात्रि 2020 पर सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग भी है। इस योग में शिव पार्वती का पूजन श्रेष्ठ माना गया है। इसके प्रभाव से देश में सुख शांति का वातावरण निर्मित होगा। साथ ही व्यापार व्यवसाय में वृद्धि होगी। 'क्या है ॐ के उच्चारण का सही तरीका और समय
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