महाभरत का युद्ध सबसे विध्वंसक युद्धों में से एक माना जाता है। 18 दिन चले इस युद्ध ने भयंकर विनाश रच डाला था। यूं तो इस युद्ध में एक से एक महान योद्धा थे लेकिन आज हम बात करेंगे पितामह भीष्म की।
हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पितामह भीष को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। इसी कारण से उन्हें युद्ध में हरा पाना किसी के भी बस की बात नहीं थी।
युद्ध में जब कौरव पितामह भीष्म की प्रखर युद्ध विद्या की वजह से पांडवों पर भारी पड़ने लगे थे तब श्री कृष्ण ने एक ऐसे पात्र का सहारा लिया जिसने भीष्म की मृत्यु का भयंकर षड्यंत्र रचा। चलिए जानते हैं इस पात्र के बारे में।
- युद्ध की शुरुआत में जब कौरव पांडवों से हारने लगे तब कौरवों ने भीष्म को सेना का नेतृत्व करने के लिए कहा। भीष्म के नेतृत्व में कौरव सेना लगातार पांडवों की सेना पर भारी पड़ती जा रही थी।
- वहीं, भीष्म के बाणों से पांडवों के मध्य भी भारी हलचल मच गयी थी। उनके दिव्य तीरों का सामना करने की हिम्मत पांडवों में भी नहीं थी। तब श्री कृष्ण (कैसे हुई श्री कृष्ण की मृत्यु) ने युक्ति लगाई और भीष्म पितामह को पराजित करने के लिए शिखंडी को अपना अस्त्र बनाया।

- शिखंडी एक ऐसा पात्र है जो महाभारत के दौरान रहस्यमयी रूप से सामने आया था। महाभारत ग्रंथ के अनुसार, शिखंडी पूर्वजन्म में स्त्री था जिसने भीष्म की मृत्यु की कामना से शिखंडी रूप में दोबारा जन्म लिया था।
- दरअसल, भीष्म ने हस्तिनापुर के सर्वप्रथम राजा और कौरव वंश के पहले वंश अधिकारी महाराज विचित्रवीर्य के विवाह के लिए काशीराज की तीन पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का अपहरण किया था।
- जब भीष्म को इस बात का पता चला कि तीनों बहनों में से अम्बा राजा शाल्व से प्रेम करती हैं तो उन्होंने अंबा को राजा शाल्व के पास भेज दिया लेकिन राजा शाल्व ने अम्बा को अपनाने से मना कर दिया।

- इस घटना के बाद अम्बा ने भीष्म से बदला लेने की ठान ली। पहले तो अंबा ने भीष्म को उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करने को कहा लेकिन जब भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो अम्बा ने परशुराम जी को अपनी आपबीती बताई।
- अम्बा के साथ हुए दुराचार को देख परशुराम जी भीष्म से युद्ध के लिए उनके महल पहुंचे। भयंकर युद्ध हुआ। जब युद्ध के कारण समस्त सृष्टि आहत होने लगी तब स्वयं महादेव ने प्रकट होकर युद्ध पर विराम लगाया।
- भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) ने अंबा को भी यह आशीर्वाद दिया कि वह अगले जन्म में भीष्म की मृत्यु का कारण बनेंगी और जब युद्ध में वह घड़ी आई कि भीष्म को हरा पाना असंभव हो गया तब श्री कृष्ण ने शिखंडी को युद्ध में उतारा।

- शिखंडी अंबा का पुनर्जन्म था लेकिन वास्तव में स्त्री था। परंतु युद्ध में भाग लेने के लिए उसने पुरुष वेश धारण किया था। चूंकि इस बात से भीष्म भी अवगत थे तो उन्होंने शिखंडी को स्त्री रूप मान अपने शस्त्र उसके समक्ष रख दिए।
- तब अर्जुन ने श्री कृष्ण के कहने पर भीष्म पितामह को अपने बाणों से छलनी कर दिया और बाणों की शैय्या पर भीष्म को लिटा दिया। ऐसे शिखंडी बनी थी भीष्म की मृत्यु का कारण।
तो ये था महाभारत का वो रहस्यमयी पात्र शिखंडी जिसके कारण भीष्म की मृत्यु संभव हो पाई थी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Shutterstock, Pinterest, Twitter
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