एडल्ट वेबसाइट्स में दिख रहा है कोलकाता केस विक्टिम का नाम, आखिर क्यों लोग बार-बार सर्च करते हैं ऐसे वीडियोज?

कोलकाता रेप केस विक्टिम के साथ जिस तरह की दरिंदगी हुई उसके बाद भी लोगों ने उस विक्टिम का पीछा नहीं छोड़ा है। उसके साथ अभी तक ऑनलाइन शोषण हो रहा है।

Why do people search rape videos

कोलकाता रेप और मर्डर केस ने एक बार फिर पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भारत में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। लोग सड़कों पर निकल कर गुस्सा कर रहे हैं, कैंडल मार्च निकाल रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि कैंडिल मार्च के बाद वापस घर जाती हुई लड़कियां भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्हें भी घर जाते हुए इस बात का डर सताता होगा कि कहीं कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा। हमारे देश में विक्टिम ब्लेमिंग के साथ-साथ विक्टिम को हैरेस करने का चलन भी है। हमें यही सही लगता है क्योंकि समाज की गलतियों पर पर्दा डालना ही तो समाज का काम है। अगर ऐसा है, तो एक और गलती के बारे में हम बात कर लेते हैं।

कोलकाता केस की विक्टिम अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन अभी भी उसे हैरेस किया जा रहा है। लोग उसकी तस्वीरें, उसका नाम सोशल मीडिया पर उजागर कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उस विक्टिम के बारे में लोग पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स में भी सर्च कर रहे हैं। उसकी आखिरी तस्वीर लोग सर्च कर रहे हैं।

हमारे देश में हर 1 मिनट में 51 बच्चे पैदा होते हैं, हर एक मिनट में 19 लोग मरते हैं, हर 1 मिनट में कोई ना कोई लड़की किसी ना किसी तरह के अपराध का शिकार होती है और हर 16 मिनट में किसी लड़की का रेप होता है।

मौत के बाद भी हो रहा है हैरेसमेंट

कोलकाता डॉक्टर के बेरहमी से रेप और कत्ल किए जाने के बाद भी उसके साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिससे इंसानियत शर्मसार हो जाए। 8 और 9 अगस्त की दरमियानी रात को उस लेडी डॉक्टर के साथ जो दरिंदगी हुई, लोग उसका वीडियो इंटरनेट पर खोज रहे हैं। लोग चाह रहे हैं कि किसी तरह से उसकी तस्वीर देखने को मिल जाए। कोलकाता डॉक्टर का नाम और उसकी फोटो गूगल पर ट्रेंड कर रही है। गूगल ट्रेंड्स में उससे जुड़े सर्च टर्म आ रहे हैं।

आप देख सकते हैं कि सर्च रिजल्ट्स में लोग क्या-क्या सर्च कर रहे हैं।

google trends screenshots

हैरानी की बात है कि 31 साल की एक लड़की को हमारे देश में बेरहमी से मार दिया जाता है और हमारे समाज के कुछ लोग उसकी आखिरी वायरल वीडियो सर्च करते हैं। इतना ही नहीं, एक इंफ्लूएंसर के वीडियो को उस विक्टिम का वीडियो बताकर इंस्टाग्राम पर वायरल भी किया गया है।

रेप के बाद उन वीडियोज को सर्च करने का ट्रेंड

यह पहली घटना नहीं है जब ऐसा हुआ है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, जिस भी जगह पर ऐसा विभत्स्य रेप होता है, लोग उससे जुड़े वीडियोज पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स पर ढूंढने लग जाते हैं। आजकल एब्यूज करने के बाद वीडियोज बनाने का ट्रेंड भी चल निकला है और शायद यही कारण है कि लोग इस तरह के वीडियोज सर्च करते हैं।

Screenshots of Google trens

आपको याद होगा कि कठुआ गैंगरेप केस में भी यही बात सामने आई थी। कठुआ में 9 साल की छोटी बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया था और उसे बेरहमी से मार दिया गया था। इसके बाद लोग उस लड़की की तस्वीर, उसका नाम और वीडियोज सर्च करने लगे थे।

ऐसा ही हाल हैदराबाद की वेटेनरी डॉक्टर के केस में भी हुआ था। हैदराबाद विक्टिम का गैंगरेप कर उसकी बॉडी को आग लगा दी गई थी। इसके बाद भी लोगों ने उसका वीडियो सर्च करना शुरू कर दिया था। यही हाल उन्नाव विक्टिम का भी था।

इस तरह के वीडियोज देखने के लिए 100% से 1000% सर्च रिजल्ट इंक्रीज होते हैं। गूगल ट्रेंड्स के स्क्रीनशॉट्स दिखाते हैं कि किस तरह से एक के बाद एक ऐसी घटनाओं के वीडियो लोग देखना चाहते हैं।

similar incidents happened with other rape victim

आखिर क्यों रेप के वीडियोज देखना चाहते हैं लोग?

हमने इसके बारे में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की। डॉक्टर भावना के अनुसार, इस तरह के सर्च ट्रेंड के पीछे कुछ कारण गिनवाए जा सकते हैं।

expert views on search of victim video

दूसरों के प्राइवेट मोमेंट देखने की इच्छा

कुछ लोगों में ऐसी इच्छाएं होती हैं कि उन्हें दूसरों के प्राइवेट मोमेंट देखने में थ्रिल मिलता है। यह अनहेल्दी और खतरनाक व्यवहार की ओर इशारा करता है। लोगों के अंदर ऐसी इच्छाएं होती हैं और उन्हें समाज में नॉर्मल नहीं माना जा सकता। ऐसे लोगों को किसी के प्राइवेट मोमेंट देखने में अजीब का सुकून मिलने लगता है। ऐसे लोग अक्सर इस तरह के वीडियोज सर्च करते हैं।

हिंसा को आम मानने लगना

आप टीवी ओटीटी पर देखें या फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर, लोग वॉयलेंस को आम मानने लगे हैं। वॉयलेंस की बातें मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती हैं। आए दिन किसी ना किसी रेप या ऐसी घटना की खबर से हम इसे लेकर सेंसिटिव नहीं रह गए हैं। यही कारण है कि ऐसे वीडियोज को सर्च करना लोगों के लिए सिर्फ एक जिज्ञासा का कारण बन गया है।

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संवेदना की कमी

हमारे देश में इस तरह के आंकड़े सामने आते हैं जिसमें किसी ना किसी लड़की के साथ कोई ना कोई घटना होती है। जब तक ये आंकड़े किसी का नाम नहीं बनते, तब तक हमें उसकी संवेदना का अहसास नहीं होता। किसी और के घर में कोई घटना हो रही है, तो हम संवेदनहीन बन जाते हैं। लोग शायद भूल जाते हैं कि उस वीडियो के पीछे एक इंसान है, जो ट्रामा और पेन से गुजर रहा है।

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दोस्तों का दबाव

डॉक्टर भावना मानती हैं कि इसका एक पहलू दोस्तों का दबाव भी हो सकता है। लोग सोशल इंफ्लूएंस के अंदर आकर भी ऐसे सर्च करते हैं। दोस्तों के प्रेशर में आकर लोग समझते हैं कि उन्हें भी ऐसा सब देखना चाहिए। बिना सोचे कि इसका विक्टिम पर क्या असर पड़ेगा।

एजुकेशन की कमी

हमारी सोसाइटी में आज भी सेक्शुल वॉयलेंस और उसके असर को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है। एजुकेशन की कमी है। यह जरूरी है कि लोग समझें कि ऐसे कंटेंट को सर्च करना या देखना क्राइम ही है।

अब यह ट्रेंड पहले से और ज्यादा विभत्स्य होता जा रहा है। लोग वीडियोज लगातार सर्च कर रहे हैं। किसी ना किसी पोर्न वेबसाइट पर इस तरह के वीडियोज सर्च टर्म में मिल जाएंगे। आपको बताते चलें कि कोलकाता केस का आरोपी संजय रॉय भी पोर्नोग्राफिक कंटेंट का एडिक्ट बताया जा रहा है।

जब इस तरह का कंटेंट लोगों के पास फोन में और उनकी जेब में उपलब्ध है, तो फिर इसे रोकने का क्या तरीका हो सकता है? कैसे हम विक्टिम की मौत के बाद भी उसे शांति दे सकते हैं? इसका जवाब क्या है? आप बताएं...

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