आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ज़्यादातर लोग अपना दिन घर से बाहर ही बिताते हैं। ऐसे में कई बार आप बाजार में या सफर में होते हैं और अचानक से वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ जाती है, तो हम आसपास साफ-सुथरा टॉयलेट ढूंढने लगते हैं। वहीं, महिलाओं के लिए तो साफ-सुथरे और प्राइवेट वॉशरूम की जरूरत ज्यादा होती है। शहरों में सुलभ शौचालय बने तो हैं, लेकिन वे हर जगह नहीं मिलते। और अगर मिल भी जाएं, तो इतने गंदे होते हैं कि इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कई बार हम होटल या रेस्टोरेंट में जाकर टॉयलेट करना ठीक समझते हैं।
कुछ दिनों पहले मेरी दादी किसी काम से बाजार गई थीं और उन्हें अचानक से वॉशरूम जाना पड़ा। उन्होंने आसपास देखा, तो सुलभ शौचालय नहीं मिला। तभी उनकी नजर सामने वाले होटल पर पड़ी और उन्होंने होटल के रिसेप्शन पर जाकर टॉयलेट इस्तेमाल करने की बात कही, तो उनसे कहा गया कि यह सुविधा सिर्फ उन्हीं ग्राहकों के लिए है जो यहां रुके हुए हैं। अगर आपको टॉयलेट इस्तेमाल करना है, तो 100 रुपये देने होंगे। दादी ने बिना सोचे-समझे 100 का नोट निकाला और देकर वॉशरूम की तरफ चल दीं। जब उन्होंने यह बात मुझे बताई, तो मैंने खोजा कि क्या भारत में रेस्टोरेंट या होटल में टॉयलेट इस्तेमाल करने या पानी मांगने के लिए पैसे लिए जाते हैं। तब पता चला कि भारत में 158 साल पुराना एक कानून है जिसे 'सराय अधिनियम' कहते हैं और यह 1867 में लागू हुआ था।
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सराय अधिनियम 1867 के तहत, सफर पर निकले लोग किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या लॉज जैसी जगहों पर मुफ्त पानी पीने और टॉयलेट का इस्तेमाल करने का अधिकार रखते हैं, भले ही वे वहां के ग्राहक हों या न हों। अंग्रेजों ने साल 1867 में यह कानून इसलिए बनाया था ताकि होटलों और सराय जैसी जगहों का कामकाज ठीक से चल सके। बाद में, जब उन्हें लगा कि यह कानून उतना असरदार नहीं है, तो उन्होंने इसे 'पब्लिक हेल्थ एक्ट, 1874' में जोड़ दिया। फिर, इस अधिनियम के तहत, अगर कोई मजिस्ट्रेट या सरकारी अधिकारी किसी होटल, लॉज या सराय में घुसना चाहे, तो मालिक या मैनेजर के रोके बिना अंदर जा सकता था। वह चाहे तो पानी और शौचालय का मुफ्त में इस्तेमाल कर सकता था।
इस कानून की धारा 7 (2) के तहत, सफर करने वाले लोग किसी भी रेस्टोरेंट, होटल या लॉज में पानी मांगने और टॉयलेट का इस्तेमाल फ्री में कर सकते हैं, चाहे वे वहां ठहरे हों या नहीं। इसके अलावा, कई अदालतों ने भी कई मामलों में साफ कर दिया है कि किसी होटल या रेस्टोरेंट में किसी को सिर्फ इसलिए टॉयलेट या पानी का इस्तेमाल करने से रोकना गलत है क्योंकि वह ग्राहक नहीं है। यह तरीका कानून के खिलाफ भी है।
अगर कोई होटल या रेस्टोरेंट सराय अधिनियम 1867 का पालन नहीं करता है, तो धारा 14 के तहत उस पर 20 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि आज के समय में यह रकम बहुत कम है, लेकिन कानूनी तौर पर यह मान्य है।
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अगर आपको होटल या रेस्टोरेंट का स्टाफ पानी मांगने या टॉयलेट का इस्तेमाल करने से रोकता है, तो आप उसे बताएं कि आपको सराय अधिनियम 1867 के तहत यह सुविधा मुफ्त में लेने का अधिकार है। अगर फिर भी आपको एंट्री नहीं मिलती है, तो आप उस होटल का नाम, तारीख, समय और स्टाफ का नाम नोट कर लें।
इसके बाद, आप स्थानीय नगरपालिका में जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसके अलावा, आप राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 1800-11-4000 पर कॉल करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
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