आज के समय में टैटू बनवाना यंगस्टर्स को बेहद ही क्रेजी लगता है। कई बार प्यार में पड़ने के बाद लड़कियां अक्सर अपने पार्टनर के नाम का टैटू करवाती हैं। लेकिन कभी-कभी जब रिश्ते उस तरह से वर्कआउट नहीं करते, जिस तरह से आपने सोचा होता है। ऐसे में पार्टनर से अलग हो जाने के बाद बॉडी पर बना वह परमानेंट टैटू आपको परेशान करता है और तब आप उसे रिमूव करने का मन बनाती है। वैसे तो टैटू रिमूवल के कई तरीके होते हैं- जैसे सर्जरी व लेजर तकनीक। लेकिन इनके अलावा एक तरीका और भी है, जिसे ओवरलैपिंग। यह तरीका अन्य दोनों तरीकों से अधिक प्रभावी माना जाता है। ओवरलैपिंग करवाने से आपको कई फायदे मिलते हैं, हालांकि इसकी अपनी सीमितताएं भी है। तो चलिए आज Tattosphere के टैटू आर्टिस्ट गौरव अग्रवाल आपको ओवरलैपिंग से होने वाले फायदों व नुकसान के बारे में बता रहे हैं-
क्या है ओवरलैपिंग
ओवरलैपिंग तरीका अपनाने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि वास्तव में ओवरलैपिंग क्या है। यह वास्तव में एक तरीका है, जिसमें पहले से बने हुए टैटू के उपर दूसरा टैटू कुछ इस तरह बना दिया जाता है कि उससे आपका पहले वाला टैटू नजर नहीं आता। इस तरह अगर देखा जाए तो इससे आपका पहले वाला टैटू रिमूव नहीं होता, लेकिन वह कुछ इस तरह छिप जाता है कि किसी को पता ही नहीं चलता कि उस एरिया पर पहले भी कोई टैटू मौजूद था।
पॉकेट फ्रेंडली
टैटू आर्टिस्ट गौरव बताते हैं कि यह अधिक पॉकेट फ्रेंडली है। अगर आप सर्जरी या लेजर ट्रीटमेंट करवाने का मन बना रही हैं तो आपको कम से कम चालीस से पचार हजार रूपए खर्च करने पड़ सकते हैं। वहीं अगर आप ओवरलैपिंग करवाती हैं तो टैटू के साइज के अनुसार आपको चार्जेस देने पड़ते हैं। यह अपेक्षाकृत काफी सस्ता है।
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समय की बचत
यह भी ओवरलैपिंग करवाने का एक फायदा है। मसलन, अगर आप लेजर ट्रीटमेंट करवाती हैं तो आपको कम से कम आठ से दस सिटिंग करनी होंगी। खासतौर से अगर टैटू में ब्लैक के अलावा रेड या ब्लू इंक का इस्तेमाल किया जाता है तो इसमें काफी अधिक समय लग सकता है। लेकिन अगर आप ओवरलैपिंग करवाती है तो इसमें आपको सिर्फ उतना ही समय लगता है, जितना एक टैटू बनवाने में लगता है। आपको टैटू हटाने के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
छिप जाता है टैटू
कई बार बॉडी पर बनवाया गया टैटू आपके लिए मुसीबत बन जाता है और आप उसे किसी भी तरह रिमूव करना चाहती है। ऐसे में अगर आप टैटू को जल्द से जल्द रिमूव करवाना चाहती हैं तो ऐसे में ओवरलैपिंग करना एक अच्छा आईडिया है। टैटू एक्सपर्ट गौरव कहते हैं कि अगर आप ओवरलैपिंग करवाती हैं तो इससे आपकी स्किन डैमेज नहीं होती, जबकि लेजर तकनीक आपकी स्किन पर बुरा प्रभाव डालती है।
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पूरी तरह से बदल जाता है टैटू
जब आप टैटू रिमूव करवाने के लिए लेजर तकनीक अपनाती हैं तो इससे टैटू पूरी तरह से रिमूव नहीं होता। करीबन 20 से 30 प्रतिशत टैटू के निशान रह जाते हैं, जबकि ओवरलैपिंग तकनीक को अपनाने से आपका टैटू पूरी तरह से हाईड हो जाता है। बॉडी पर वह टैटू होने के बाद भी उसे पहचान पाना किसी के लिए संभव नहीं होता।
होती है अपनी सीमितता
टैटू आर्टिस्ट गौरव के अनुसार, ओवरलैपिंग तकनीक की भी अपनी सीमितता है। मसलन, जब आप ओवरलैपिंग करवाती हैं तो इससे आपके नए टैटू का साइज पहले ही अपेक्षा थोड़ा बड़ा हो जाता है। इसके अलावा, ओवरलैपिंग करवाते समय टैटू के डिजाइन सीमित ही होते हैं, जिन्हें आप अपने टैटू के अनुसार करवा सकती हैं। इसके लिए आपको टैटू आर्टिस्ट सलाह दे सकता है। जबकि जब आप एक नया टैटू करवाती हैं तो आपके पास ऑप्शन की कोई कमी नहीं होती।
इस स्थिति में नहीं है कारगर
कुछ स्थितियों में ओवरलैपिंग बिल्कुल भी कारगर नहीं होती। मसलन, अगर आप एविएशन इंडस्ट्री में अपना करियर देख रही हैं तो वहां पर बॉडी टैटू करवाने की मनाही होती है। ऐसे में आपको अपना टैटू रिमूव करवाना पड़ता है। ऐसे में सर्जरी का तरीका ही बेस्ट माना जाता है, क्योंकि ओवरलैपिंग आपके टैटू को छिपाएगी, उसे हटाएगी नहीं।
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