शब्दों में एक अजीब सी ताकत होती है। जरूरी नहीं है कि आप दूसरों के साथ या जोर-जोर से जो कहती हैं, सिर्फ उन्हीं शब्दों का महत्व होता है। बल्कि हम सभी खुद से भी कुछ बातें कहते हैं और आपके द्वारा कही गई यह बातें ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि आप जो कुछ भी खुद को बताती हैं वह आपकी वास्तविकता बन जाता है। जब आप खुद से जो कहती हैं, आप खुद और अपने आसपास दुनिया को उसी नजरिए से देखना शुरू कर देती हैं और फिर चीजें भी उसी तरह से बदलने लगती हैं।
यहां हैरान करने वाली बात यह है कि हम सभी खुद से नेगेटिव टॉक अधिक करते हैं। यह भी एक कारण होता है लोगों के असफल होने का। मेरा खुद का पर्सनल एक्सपीरियंस यही रहा है। जब कोई नया प्रोजेक्ट लेते समय मैं खुद से यह कहती हूं कि मुझसे यह काम नहीं होगा, तब मैं उस काम को वास्तव में नहीं कर पाती। वहीं जिस काम को लेकर मैं अपने मन में मान लेती हूं कि मैं इस काम को कर लूंगी, तो वह काम खुद ब खुद मेरे लिए आसान बन जाता है। ऐसा एक बार नहीं, कई बार हुआ है मेरे साथ। इसलिए आप अपने आप से जो कहती हैं, उस पर बारीकी से निगरानी करें, क्योंकि आप पाएंगे कि आपका जीवन आपके विचारों से मेल खाता है।
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रिसर्च भी कहती हैं कि हम एक दिन में 50000 से 70000 विचारों के बारे में सोचते हैं और उन विचारों में से लगभग 80 प्रतिशत नकारात्मक हैं। शायद यही कारण है कि हम नेगेटिव सेल्फ टॉक करते हैं। लेकिन लगातार खुद से नकारात्मक बातें करने से आपकी लाइफ को कई harmful effects झेलने पड़ते हैं। तो चलिए जानते हैं उन हानिकारक प्रभावों के बारे में-
सफलता होती है बाधित
नेगेटिव सेल्फ टॉक एक नहीं, कई तरह से आपकी सफलता को बाधित करती है। सबसे पहले जब आप अपने मन में यह मान लेती हैं कि यह काम आपसे नहीं होगा, तो वह काम आपके लिए वास्तविकता से कहीं अधिक कठिन बन जाता है। वहीं दूसरी ओर, कई बार यह नेगेटिव सेल्फ टॉक आपके आत्मविश्वास और मन के भीतर की हिम्मत को तोड़ देता है।
जिसके कारण आप कई बार प्रयास ही नहीं करते। मसलन, अगर आप खुद से यह कहती हैं कि बिजनेस करना आपके बस की बात नहीं है, तो आप बिजनेस शुरू करने की प्लानिंग तक भी नहीं करती और एक अच्छे अवसर से चूक जाती हैं। भले ही आप सफलता ना हासिल करें, लेकिन उसके लिए प्रयास तो करना ही चाहिए। असफलता भी आपको जीवन के कई जरूरी पाठ सिखाती है।
कमियां देखना
यह सच है कि हर किसी में कुछ ना कुछ कमियां होती हैं, लेकिन हर किसी में कोई ना कोई गुण भी होता है। लेकिन जब हम नेगेटिव सेल्फ टॉक करते हैं तो हमें सिर्फ और सिर्फ खुद की कमियां ही नजर आती हैं और हम अपनी अच्छाईयों की तरफ देखते तक नहीं है। ऐसे में मन में नकारात्मकता भर जाती है। यह भी मेरे साथ हुआ है।
मुझे हाइपोथॉयराइड होने के कारण मेरा वजन काफी अधिक है। कुछ सालों पहले मैंने खुद से यह कहना शुरू कर दिया था कि मैं कितनी मोटी हूं और बिल्कुल भी सुंदर नहीं हूं। मैं अपनी पसंद के कपड़े नहीं पहन सकतीं।लगातार ऐसा बोलने से मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मुझे इस स्थिति से उबरने में काफी वक्त लगा। मैं आज भी ओवरवेट हूं और इसे कम करने की कोशिश करती हूं, लेकिन अब मैंने खुद को सिर्फ अपने मोटापे से नापना छोड़ दिया, क्योंकि मैं जानती हूं कि मुझमें ऐसे कुछ गुण हैं, जो सिर्फ मुझमें ही हैं और यह चीज मुझे खुशी देती है। मैं यह नहीं कहतीं कि अपनी कमियों को ना देखें, लेकिन उन्हें देखने का भी एक तरीका होता है।
आप अपनी कमियों पर खुद को कोसने की जगह संकल्प लें कि आप अपनी उस कमियों को दूर करके एक बेहतर इंसान बनेंगी। इस तरह आप नेगेटिव नहीं पॉजिटिव सेल्फ टॉक करें।
नकारात्मक भावनाएं
कहते हैं कि व्यक्ति जैसा सोचता है, बोलता है, वैसा ही बन जाता है। यह वास्तव में सच है। जब आप हमेशा नेगेटिव सेल्फ टॉक करती हैं तो इससे आपके मन में नकारात्मकता भर जाती है और फिर आपके साथ कुछ भी अच्छा नहीं होता।
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इतना ही नहीं, नेगेटिव सेल्फ टॉक अपने साथ अन्य कई नकारात्मक भावनाएं लेकर आती है। जैसे- डिप्रेशन, दूसरों से जलन होना, खुद की हमेशा तुलना करना, अपने जीवन को कोसना आदि। यह सभी चीजें आपको जीवन में कभी खुश नहीं रहने देतीं।
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