डिजिटल युग में पढ़ाई का मतलब भी पूरी तरह से बदल गया है। टेक्नोलॉजी की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं, जिनमें से कई सकारात्मक रहे हैं और कई नकारात्मक। लेकिन, आज हम टेक्नोलॉजी के उन दो सकारात्मक पहलूओं के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने देशभर के छात्रों को घर बैठे पढ़ने और डिग्री लेने का मौका दिया है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन एजुकेशन के बारे में। देशभर में ऐसे हजारों और लाखों स्टूडेंट्स हैं, जो किसी वजह से रेगुलर स्कूल या कॉलेज का ऑप्शन नहीं चुन पाते हैं। ऐसे में इन स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन किसी वरदान से कम नहीं है।
ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन की वजह से सिर्फ डिग्री ही नहीं मिलती है, बल्कि कई स्टूडेंट्स को करियर में ग्रोथ का मौका भी मिलता है। लेकिन, क्या आप ऑनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन को एक ही समझती हैं। अगर हां, तो सबसे पहले बता दें यह दोनों अलग-अलग होते हैं।
आजकल ज्यादातर नेशनल और इंटरनेशनल यूनिवर्सिटीज में ऑनलाइन एजुकेशन और डिस्टेंस लर्निंग का ऑप्शन दिया जाता है। ऐसे में अगर आप भी ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग से पढ़ने के बारे में सोच रही हैं, तो पहले दोनों के बीच का अंतर जान लीजिए।
ऑनलाइन एजुकेशन में जैसा नाम से ही पता लग रहा है, सबकुछ यानी पढ़ाई, लेक्चर और एग्जाम डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ही होते हैं। इसमें वीडियो लेक्चर, वेबिनार, असाइनमेंट, इंटरएक्टिव क्लासरूम और अन्य के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे ई-लर्निंग, डिजिटल या वर्चुअल एजुकेशन भी कहा जाता है।
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ऑनलाइन एजुकेशन में स्टूडेंट्स अपनी सुविधा और समय के अनुसार ही पढ़ाई करते हैं। इसमें स्टूडेंट्स को ऑनलाइन स्टडी मटीरियल मिलता है और लाइव क्लासेस से पढ़ाई की जा सकती है। यह उन स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो रेगुलर स्कूल या कॉलेज का हिस्सा नहीं बन सकते हैं।
डिस्टेंस लर्निंग कोई नई चीज नहीं है, यह एक लंबे समय से हमारे एजुकेशन सिस्टम का हिस्सा है। डिस्टेंस लर्निंग को पहले Correspondence Course भी कहा जाता था। इसमें स्टूडेंट्स को किताबे और नोट्स आदि पोस्ट के माध्यम से भेजे जाते हैं। डिजिटल युग में रिसोर्सेज को बचाने के लिए स्टडी मटीरियल पीडिएफ के रूप में ईमेल पर भेज दिया जाता है।
डिस्टेंस लर्निंग में कई बार क्लासेस फिजिकल रूप से लगती हैं और कई बार लाइव वीडियो क्लासेस भी होती हैं। लेकिन, रेगुलर स्कूल या कॉलेज की तरह टीचर और स्टूडेंट के बीच पर्सनल कनेक्शन नहीं होता है। डिस्टेंस लर्निंग में स्टूडेंट्स को असाइनमेंट फिजिकल रूप से जमा कराना पड़ता है और एग्जाम भी सेंटर पर जाकर देना होता है। एग्जाम के बाद पास होने वाले स्टूडेंट्स को पोस्ट के माध्यम से ही डिग्री भेज दी जाती है। भारत में कई मान्यता प्राप्त डिस्टेंस लर्निंग यूनिवर्सिटीज हैं।
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