आज के समय में लोग अपने जीवन को अधिक बेहतर और सकारात्मक बनाने के लिए कई रास्त अपनाते हैं। इन्हीं में से एक है वास्तु शास्त्र के नियमों को फॉलो करना। आलम तो यह है कि लोग अपने घर से लेकर ऑफिस तक तो वास्तु शास्त्र के अनुसार ही डिजाइन करवाते हैं। पिछले कुछ सालों में वास्तु शास्त्र के प्रति लोगों का झुकाव काफी बढ़ा है। हालांकि, यह एक बेहद प्राचीन विज्ञान है और इसमें इतने सारे छिपे हुए ज्ञान समाहित है कि एक आम इंसान के लिए पूरी तरह से समझ पाना आसान नहीं है। शायद यही कारण है कि लोग अब वास्तु शास्त्र से जुड़ी कई तरह की धारणाओं व कई भ्रांतियों को भी सच मान लेते हैं।
विशेष रूप से, जिन लोगों को वास्तु शास्त्र की बहुत अधिक समझ व ज्ञान नहीं है, वह लोगों की सुनी-सुनाई बातों पर ही आंख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं। ऐसा शायद इसलिए भी है, क्योंकि उन्हें सच्चाई बताने वाला कोई नहीं है। तो चलिए आज इस लेख में वास्तु शास्त्री डॉ. आनंद भारद्वाज आपको वास्तु शास्त्र से जुड़ी कुछ भ्रांतियों व उसकी वास्तविक सच्चाई से अवगत करवा रहे हैं-
मिथ- वास्तु शास्त्र धर्म-कर्म से संबंधित है
सच्चाई- बहुत से लोग वास्तु शास्त्र को अलग-अलग विद्याओं से जोड़कर देखते हैं। उन्हें लगता है कि इसमें भी धर्म-कर्म की तरह ही पूजा-पाठ आदि करवाने से लाभ मिलता है। जबकि वास्तव में वास्तु शास्त्र एक अलग विज्ञान है, जो मुख्यतः दिशाओं व उनकी एनर्जी के आधार पर कार्य करता है। वास्तु शास्त्र में मुख्य रूप से दिशाओं की दशा को ठीक करके लोगों के जीवन से नकारात्मकता को दूर करने का प्रयास किया जाता है। ध्यान रखें कि यह किसी भी विशेष धर्म या जाति से नहीं जुड़ा है। बल्कि यह हर किसी को समान रूप से लाभ पहुंचाता है।
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मिथ- सिर्फ इंसानों को मिलता है लाभ
सच्चाई- कुछ लोगों की यह भी धारणा होती है कि वास्तु शास्त्र से केवल मनुष्यों को ही लाभ मिलता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। वास्तु शास्त्र भिन्न-भिन्न तरह के जीव-जंतुओं को भी व्यापक लाभ पहुंचाता है। मसलन, कुछ लोग घर में कुत्ते, बिल्ली या गाय आदि को पालते हैं। ऐसे में अगर वास्तु के अनुसार उनके रहने व सोने का स्थान सुनिश्चित किया जाए तो इससे वह जानवर लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं।
मिथ- दक्षिणमुखी मकान अच्छे नहीं होते
सच्चाई- कुछ लोगों यह भी मानते हैं कि दक्षिणमुखी मकान अच्छे नहीं होते। दरअसल, इस दिशा में यम का वास होता है। यम मृत्यु के देवता है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। दक्षिण से लेकर पश्चिम, पूर्व व उत्तर सभी दिशाओं से अलग-अलग तरह की वाइब्रेशन आती हैं और हम उन्हें इस तरह इस्तेमाल करते हैं, जिससे वह हमें लाभ पहुंचाए। बस, दक्षिणमुखी मकान का रख-रखाव व उसके लिए कुछ नियमों का पालन किया जाना चाहिए ताकि घर में पॉजिटिविटी को बरकरार रखा जा सके।
मिथ- कुबेर कृपा के लिए उत्तर दिशा में पैसे की अलमारी रखनी चाहिए
सच्चाई- उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी गई है। अमूमन लोग इसके बारे में सुन लेते हैं और इसलिए वह उत्तर की दिशा की दीवार के साथ अपनी पैसों व धन संचय करने वाली अलमारी को रख देते हैं। जबकि यह तरीका गलत है। अगर आप अलमारी को हमेशा दक्षिण की दिशा में रखें ताकि उसका मुंह हमेशा उत्तर की दिशा में खुले।
मिथ- हर चीज के लिए एक दिशा होती है सुनिश्चित
सच्चाई- कई बार लोग ऐसा भी मान लेते हैं कि वास्तु के अनुसार हर चीज को रखने की एक दिशा होती है और इसलिए उन्हें उस चीज को केवल वहीं रखना चाहिए। वह उसे अन्य कहीं नहीं रख सकते। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। वास्तु शास्त्र आपको कई ऑप्शन देता है। मसलन, ऐसा माना जाता है कि किचन के लिए किचन हमेशा साउथ ईस्ट अर्थात् दक्षिण पूर्व में होनी चाहिए। लेकिन अगर आप आग्नेय कोण में किचन नहीं बना सकते हैं तो ऐसे में उसे वायव्य कोण अर्थात् उत्तर-पश्चिम में भी बनाया जा सकता है।
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Image Credit- pexels, freepik
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