बॉलीवुड की बेहतरीन और खूबसूरत एक्ट्रेस की बात हो और अदाकारा मधुबाला का नाम ना लिया जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। बेहद कम उम्र से ही सिनेमा में कदम रखने वाली मधुबाला फिल्म मुगल ए आजम को आज भी लोग उतने ही चाव से देखते हैं। इसके अलावा महल, अमर, मि. एंड मिस 55, बरसात की रात जैसी फिल्मों में भी मधुबाला ने एक दमदार भूमिका निभाई। वैसे अपनी बेहतरीन अदाकारी के अलावा मधुबाला बला की खूबसूरत थीं। उन्हें देखने वालों की निगाहें बस उन पर ही टिकी रह जाती थीं। उनकी खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शम्मी कपूर ने अपनी ऑटोबॉयोग्राफी शम्मी कपूर द गेम चेंजर में इसका जिक्र किया है। उन्होंने अपनी ऑटोबॉयोग्राफी में कहा है कि मैं उनसे पागलों की तरह प्यार करने लगा था। इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता था, क्योंकि मैं ने उनसे ख़ूबसूरत औरत कभी नहीं देखी। इतना ही नहीं, उन्हें यह भी खुलासा किया कि वह अपनी डेब्यू फ़िल्म रेल का डब्बा फ़िल्म की शूटिंग के दौरान मधुबाला को देखते ही अपने डॉयलाग भूल जाया करते थे। कहते हैं कि आजतक मधुबाला जैसी दूसरी खूबसूरत अदाकारा पैदा नहीं हुई। हालांकि कभी-कभी कुछ अदाकाराओं की तुलना उनके साथ की जाती रही है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ एक्ट्रेसेस के बारे में बता रहे हैं-
यास्मीन

पाकिस्तानी अभिनेत्री यास्मीन वह पहली एक्ट्रेस थीं जिनकी मधुबाला के साथ तुलना की गई। एक्ट्रेस यास्मीन ने 1950 और 1960 के दशक के दौरान कई कमर्शियल सक्सेसफुल फिल्में दीं, जिसमें आदमी (1958) और बाघी (1956) शामिल थीं। हालांकि, एक एक्ट्रेस के रूप में वह कभी भी बहुत अधिक सक्सेफुल नहीं रहीं।
सोना

70 के दशक से बी-ग्रेड की भारतीय अभिनेत्री, सोना की प्रसिद्धि का एकमात्र कारण था कि वह मधुबाला की तरह नजर आती थीं। वह मधुबाला के रूप में ही जानी जाती थीं। वह पूर्व-माफिया किंगपिन हाजी मस्तान की विधवा है।
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चंचल

चंचल मधुबाला की बहन थीं जिन्होंने एम सादिक की फिल्म परदेस से 1950 में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। हालाँकि वह मधुबाला से काफी मिलती जुलती थीं, लेकिन उन्हें ज्यादातर फिल्मों में सर्पोटिंग रोल्स में देखा गया। चंचल ने मधुबाला द्वारा निर्मित मधुबाला प्राइवेट लिमिटेड की तीन में से दो फिल्मों नाता (1955) और महलों के ख्वाब (1960) में भी अभिनय किया।
मधुर

मधुबाला की सबसे छोटी बहन, मधुर भी कुछ हद तक मधुबाला से मिलती जुलती थी। मधुर को 1976 में विक्रम और कबीर बेदी के साथ फिल्म सांझी के साथ कास्ट किया गया था। हालांकि, यह फिल्म कभी रोशनी में नहीं आ सकी और यह उनके करियर की पहली और आखिरी फिल्म बन गई।
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माधुरी दीक्षित

1980 के दशक में जब माधुरी अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाना शुरू किया तो अक्सर उनकी तुलना मधुबाला के साथ की गई। खासतौर से, माधुरी की मुस्कान में मधुबाला की झलक नजर आती है और इसलिए उनकी तुलना मधुबाला के साथ की जाती रही है।
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