टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारत की वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीत लिया है। चानू ने क्लीन एवं जर्क में 115 किग्रा और स्नैच में 87 किग्रा वेट लिफ्ट किया, जो कुल 202 किग्रा था।चलिए आज हम आपको इस होनहार खिलाड़ी की और भी उपलब्धियों के बारे में बताते हैं।
मणिपुर देश की पूर्व-उत्तर में बसा एक छोटा सा राज्य जो अपनी बेमिसाल खूबसूरती के लिए जाना जाता है। आज मणिपुर का नाम उसकी बेटी के कारण रोशन हो रहा है। मीराबाई चानू देश की तरफ से इकलौती ऐसी महिला वेटलिफ्टर हैं जिन्होंने टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए भारत की तरफ से क्वालीफाई किया है। उन्होंने इस खेल में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। 12 जून को अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (IWF) ने यह पुष्टि करते हुए कहा कि 2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक खेलों में मणिपुर की मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में भारत की तरफ से क्वालीफाई किया है।
2017 में बनीं विश्व चैंपियन
आपको बता दें कि मीराबाई चानू ने 2017 में हुए एशियाई चैम्पियनशिप में क्लीन एंड जर्क में विश्व रिकॉर्ड के साथ कांस्य पदक जीतकर टोक्यो में अपना स्थान सुरक्षित किया था। इस बात की आधिकारिक पुष्टी अब की गई है। मीराबाई चानू 26 साल की हैं और आईडब्ल्यूएफ के 49 किग्रा वर्ग में 4133,6172 अंक के साथ दूसरे नंबर पर काबिज है।
कौन है मीराबाई चानू?
मीराबाई चानू का पूरा नाम साइखोम मीराबाई चानू है। उनका जन्म सुदूर के मणिपुर में हुआ था। आपको बता दें कि मीराबाई चानू बचपन से ही भारी वजन उठाने में चैंपियन थीं लेकिन, उन्होंने कभी भी इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का नहीं सोचा। पहले वह तीरंदाजी में अपना करियर बनाना चाहती थीं लेकिन, 8वीं कक्षा तक आते-आते उन्हें वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने का सोचा। एक मीडिया हाउस से बात करते हुए चानू ने बताया था कि उनके जीवन में वेटलिफ्टर कुंजरानी का बहुत प्रभाव था। आपको बता दें कि कुंजरानी इम्फाल की रहने वाली थीं और उन्हें देखकर ही चानू को भी वेटलिफ्टिंग में दिलचस्पी हुई थी।
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कई कठिनाइयों से भरा रहा है वेटलिफ्टिंग का सफर
आपको बता दें कि मीराबाई चानू का यह वेटलिफ्टिंग का सफर बहुत कठिनाइयों से भरा रहा है। उनके घर के पास कोई भी ट्रेनिंग सेंटर ना होने के कारण उन्हें 60 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ता था। उनके घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। उनके मां एक छोटी सी दुकान चलाती थीं जबकि पिता छोटा मोटा काम करके घर का खर्चा चलाते थें।
2014 में जीता पहला मेडल
मीराबाई चानू की मेहनत रंग लाई। साल 2014 में हुई ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता। यह पहला मौका था मीराबाई चानू का नाम लोगों ने पहली बार नोटिस किया। खास बात यह रही कि इस कैटेगरी का गोल्ड भी भारत के खाते में ही आया। 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स के क्वालीफाई मैच में मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टर कुंजरानी को हराकर रियो ओलंपिक गेम्स में अपनी जगह पक्की की। यह मौका उनके लिए बेहद खास था क्योंकि वेटलिफ्टर कुंजरानी को वह अपना आदर्श मानती थी। हालांकि रियो ओलंपिक खेलों में वह कुछ खास कमाल नहीं कर सकीं और क्लीन एंड जर्क के अपने तीनों प्रयासों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस कारण उन्हें कई आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।
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कई मेडल अपने नाम किए हैं
आपको बता दें कि भले ही मीराबाई रियो ओलंपिक में कुछ खास कमाल ना कर पाई हो लेकिन उन्होंने 2017 में हुई वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल कर देश का नाम रोशन किया था। 2018 में हुई कॉमन वेल्थ गेम्स में भी चानू ने गोल्ड मेडल जीता था। इस उपलब्धि के लिए उन्हें मणिपुर के मुख्यमंत्री की तरफ से 20 लाख रुपए का इनाम भी दिया था। अपने प्रदर्शन से उन्होंने हमेशा मणिपुर और देश का नाम रौशन किया है।
टोक्यो ओलंपिक में भारत को है मेडल की उम्मीद
आपको बता दें कि खेलों का सबसे बड़ा महाकुंभ टोक्यो ओलंपिक गेम्स 23 जुलाई से लेकर 8 अगस्त तक चलेगा। गौरतलब है कि यह खेल साल 2020 में ही होने वाले थें पर कोरोना महामारी के कारण खेलों को 2021 तक के लिए टाल दिया गया था। बता दें कि इस बार टोक्यो ओलंपिक गेम्स में भारत का अबतक का सबसे बड़ा 126 खिलाड़ियों का दल खेलों में भाग लेने के लिए जा रहा है। यह सभी खिलाड़ी 18 खेलों की 69 प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेगें। यह दल 17 जुलाई 2021 को टोक्यो रवाना होगा। मीराबाई चानू समेत सभी खिलाड़ियों से भारत को मेडल की बहुत उम्मीदें है।
ओलंपिक खेलों में भारत ने जीते है इतने पदक
आपको बता दें कि अब तक भारत ने ओलंपिक खेलों साल 1900 से 2016 तक कुल 28 पदक जीते हैं। इनमें 9 गोल्ड, 7 सिल्वर और 12 कांस्य पदक है। जिस खेल में भारत को सबसे ज्यादा पदक दिलाए हैं वह खेल है हॉकी। भारत ने इसमें 8 गोल्ड, 1 सिल्वर और 1 कांस्य पदक अपने नाम किया है।
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