कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में इस बार देश की बेटियों ने बनाए ये तीन इतिहास

इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन ही नहीं किया बल्कि महिला खिलाड़ियों ने ये तीन इतिहास भी बनाए।

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ऑस्ट्रेलिया में 21वें कॉमनवेल्थ खेलों का समापन हो गया। इस बार का कॉमनवेल्थ गेम्स कई सारे इतिहास सेट कर के जा रहा है और इसमें भारत ने अब तक का अपना तीसरा सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। CWG के आखिरी 10वें दिन में भारत ने 66 पदकों के गोल्ड कोस्ट में अपने अभियान का समापन किया। करोड़ों हिंदुस्तानी खेलप्रेमियों की नजरें आखिरी दिन इस बात पर लगी थीं कि क्या भारत साल 2014 में ग्लास्गो के प्रदर्शन को पीछे छोड़ पाएगा या नहीं। और रविवार को करोड़ों दिलों की मुराद पूरी हो गई और भारत ने ग्लास्गो के 64 पदकों को पीछे छोड़ते हुए इतिहास रच दिया।

बैडमिंटन के साथ हुई शुरुआत

आखिरी दिन में मेडल की शुरुआत बैडमिंटन से हुई जिसमें साइना नेहवाल ने गोल्ड जीता और बैडमिंटन में पुरुष डबल्स में सिल्वर मेडल जीता। लेकिन इसके साथ भारतीयों को थोड़ा यह मलाल जरूर होगा कि वे मैनचेस्टर (साल 2002, 69 पदक) के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए। बहरहाल कुल मिलाकर भारत ने इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में 66 पदक जीते जिनमें 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल हैं। यह भारत का कुल मिलाकर खेलों के इतिहास में तीसरा सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। लेकिन इस बार का कॉमनवेल्थ गेम्स कुछ खास कारणों से भी याद किया जाएगा। इस बार के गेम्स में कई सारे नए रिकॉर्ड बने। वहीं महिला खिलाड़ियों ने यह तीन हिस्ट्री भी सेट की।

पहली बार बैडमिंटन के फाइनल में दोनों भारतीय

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वह दिन आने वाले कई सालों तक कोई नहीं भूलने वाला जब बैडमिंटन के फाइल में साइना और सिंधु एक-दूसरे से लड़ रहे थे। बैडमिंटन में यह पहला मौका था जब फाइनल में दो भारतीय आपस में भिड़े हों। इन दोनों के फाइनल में हर भारतीय रिलैक्स होकर बैठ चुका था कि जीते कोई भी, गोल्ड औऱ सिल्वर तो घर ही आने हैं।

पहली बार जीता टीटी सिंगल्स का गोल्ड

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इस बार के कॉमनवेल्थ गेम्स में टीटी सिंगल्स का भी खाता खुल गया औऱ यह खाता खोला मनिका बत्रा ने।

मनिका बत्रा ने कॉमनवेल्थ गेम्स इतिहास में टेबल टेनिस की महिला सिंगल्स स्पर्धा का गोल्ड जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं। इसी के साथ मनिका बत्रा ने गोल्ड कोस्ट में चार मेडल जीते। किसी भी कॉमनवेल्थ गेम्स में चार मेडल जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी बन गईं। वे इस समय भारत की नंबर वन टेबल टेनिस प्लेयर हैं।

मैरीकॉम बनी गोल्ड जीतने वाली पहली मुक्केबाज

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कॉमनवेल्थ गेम्स में मुक्केबाजी में गोल्ड जीतक कर मैरीकॉम पहली मुक्केबाज बन गई हैं। पांच बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता एम. सी. मैरीकॉम कॉ मनवेल्थ गेम्स इतिहास में गोल्ड जीतने वाली पहली महिला मुक्केबाज बन गई हैं। यह इनका पहली कॉमनवेल्थ गेम्स था।

स्कैवश में जीती महिला जोड़ी

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इसके अलावा भारत हॉकी के सेमीफाइनल में पहुंचा जिसने एक उम्मीद जताई। दीपिका पल्लिकल कार्तिक और जोशना चित्नप्पा की जोड़ी को अंतिम दिन महिला युगल के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा और वे स्वर्ण पदक से चूक गईं नहीं तो यह भी एक इतिहास बन जाता। जोशना-दीपिका की जोड़ी को स्वर्ण पदक के मुकाबले में न्यूजीलैंड की जोले किंग और अमांडा लैंडर्स मर्फी की जोड़ी से हार मिली।

खैर कोई नहीं... इस बार का कॉमनवेल्थ गेम्स सबसे अच्छा रहा। इस बार महिलाओं ने ही गोल्ड मेडल का खाता खुलवाया। अब सबको इंतजार है अगले कॉमनवेल्थ गेम्स का।

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