भाई...घड़ी में समय कितना हुआ है? जी... 12 बजाने वाला है। कितना आसान है न किसी घड़ी में समय देखकर किसी को बताना, लेकिन अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि इंडियन स्टैंडर्ड टाइम कैसे तय हुआ, तब आपका क्या जवाब होगा?
शायद ऐसे बहुत कम लोग ही होंगे जो हाथों में घड़ी बंधाते हैं उनकों पता हो कि इंडियन स्टैंडर्ड टाइम कब और कैसे निर्धारित हुआ था। ऐसे में अगर आप भी अपनी जानकारी बढ़ाना चाहते हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं विश्व के अन्य देशों की तरह भारत का इंडियन स्टैंडर्ड टाइम कब और कैसे निर्धारित हुआ था। आइए जानते हैं।
इंडियन स्टैंडर्ड टाइम का इतिहास
इंडियन स्टैंडर्ड टाइम का इतिहास बेहद दिलचस्प है। कहा जाता है कि पहले भारत में कोई भी इंडियन स्टैंडर्ड टाइम नहीं हुआ करता था, लेकिन ब्रिटिश काल में पहली बार इसका जिक्र हुआ।
एक अन्य कहानी है कि ब्रिटिश काल में मुंबई (बम्बई), चेन्नई (मद्रास), कोलकाता (कलकत्ता) जैसे शहर और राज्य के अनुसार टाइम जोन को निर्धारित किया गया था।
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आजादी के बाद इंडियन स्टैंडर्ड टाइम
ऐसा माना जाता है कि 1947 में आजादी के बाद भारत सरकार के पूरे देश के लिए भारतीय मानक समय यानी इंडियन स्टैंडर्ड टाइम को स्थापित किया। यह विश्व के कॉर्डिनेटेड समय UTC (Coordinated Universal Time) के हिसाब से +5:30 घंटे आगे वाला टाइम जोन तय हुआ।(ऐसी घड़ी जिसमें कभी भी 12 नहीं बजते)
इंडियन स्टैंडर्ड टाइम को लेकर विवाद
कई लोगों का मानना है कि जब भारत में इंडियन स्टैंडर्ड टाइम तय हो रहा हुआ तब पूर्व भारत और पश्चिम भारत के समय को लेकर विवाद खड़ा होगा। ऐसे कहा जाने लगा कि अरुणाचल प्रदेश लेकर कच्छ तक का एक समय कैसे निर्धारित हो सकता है, क्योंकि दोनों के बीच लगभग 3 हजार किलोमीटर की दूरी है। इसलिए आपने ध्यान दिया होगा कि भारत के पूर्व में लगभग 2 घंटे पहले सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।
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इंडियन स्टैंडर्ड टाइम वर्तमान में
भारतीय मानक समय (IST) को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में जोड़कर देखा जाता है। जी हां, मिर्जापुर के स्थित घंटाघर से 82.5 डिग्री पूर्वी देशांतर के आधार पर इंडियन स्टैंडर्ड टाइम को तय किया जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय मानक समय की रेखा पांच राज्यों से होकर गुजरती है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।
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Image Credit:(@freepik)
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