केरल के पथनमथिट्टा जिले में एक दलित किशोरी के साथ हुए रेप केस में पुलिस ने अब तक 40 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। कथित तौर पर नाबालिग ने जांचकर्ताओं को बताया है कि उसके साथ 13 वर्ष की उम्र से कई बार यौन शोषण और सामूहिक बलात्कार हो चुका है। अब नाबालिग 18 साल की है।
मामले में पकड़े गए आरोपियों में लड़की का बचपन का साथी, पड़ोसी और परिवार के दोस्त शामिल हैं। उसके स्कूल और कॉलेज के पांच छात्र भी शामिल हैं।
इस केस ने एक बार फिर लोगों में आक्रोश भर दिया है और साथ ही सालों से पूछा जा रहा सवाल फिर खड़ा हो गया है कि महिलाएं और बच्चियां आखिर कब सुरक्षित होंगी?
यह घटना न केवल बलात्कार की घिनौनी हरकत को उजागर करती है, बल्कि यह समाज में प्रचलित जातिवाद और असमानता की समस्या को भी रेखांकित करती है। हैरानी की बात यह थी कि पीड़िता के परिवार को जब इस बारे में पता चला, तो उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं था। आइए इस लेख में जानें क्या है पूरा केस!
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, इस मामले का पता एक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट द्वारा पता चला। एजुतेशनल इंस्टीट्यूट जब लड़की से मिली, तो उन्होंने लड़की के व्यवहार में बड़ा बदलाव देखा। जब काउंसलर ने नाबालिग से पूछा, तो उसने अपने साथ हुए शोषण की जानकारी दी। इसके बाद, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को इसकी सूचना दी थी। लड़की ने काउंसलर को बताया कि पिछले 5 साल में 62 लोगों ने उसके साथ रेप किया।
लड़की ने बताया कि उसके साथी ने पहली बार उसका शोषण किया और उसकी तस्वीरें और वीडियो बना लिए, जिन्हें उसने दूसरों के साथ साझा किया। इसके बाद उसे ब्लैकमेल करने के लिए उसका इस्तेमाल किया।
लड़की के बताए आरोपियों में से 40 लोगों पर POCSO के तहत केस दर्ज किया गया है। इनमें उसके कोच, साथी एथलीट, क्लासमेट और घर के आसपास रहने वाले कुछ लड़के भी हैं।
केरल पुलिस ने 30 ऑफिसर्स की टीम की गठित
केरल पुलिस ने आरोपों की जांच के लिए 30 अधिकारियों की एक टीम को काम सौंपा है। लड़की के कथित शोषण के संबंध में अब तक विभिन्न भारतीय कानूनों के तहत कम से कम 18 मामले दर्ज किए गए हैं - जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम भी शामिल है।
नाबालिग को उसकी सुरक्षा के लिए सीडब्ल्यूसी से एसोसिएटेड शेल्टर होम में रखा गया है। साथ ही, उसकी लगातार काउंसलिंग भी की जा रही है।
इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग भी आगे आया। आयोन ने सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है और तीन दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने न्याय दिलाने के लिए निष्पक्ष और टाइम-बाउंड जांच की आवश्यकता पर बल दिया।
सिर्फ शरीर पर हमला नहीं है रेप!
बलात्कार सिर्फ शरीर पर हमला नहीं है, यह आत्मा पर भी हमला है। जब किसी महिला के साथ रेप होता है, तो यह उसकी सुरक्षा, विश्वास और व्यक्तिगत गरिमा की भावना को मिटा देता है। यह उल्लंघन कल्पना की जा सकने वाले सबसे गहरे विश्वासघात में से एक है। चाहे कितना भी समय बीत जाए, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक निशान जीवन भर रह सकते हैं, कभी-कभी उनके अस्तित्व की दिशा बदल देते हैं। पीड़ित द्वारा अनुभव किया गया आघात अथाह होता है और अक्सर घटना घटने के बाद भी उन्हें परेशान करता रहता है।
मानसिक स्थिति को हिलाकर रख देती है ऐसी वीभत्स घटना
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी बताती हैं, "ऐसी भयावह घटना मानसिक रूप से व्यक्ति पर गहरा असर डालती है और उसका मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह से प्रभावित हो जाता है। जब किसी को इस तरह की घटना का शिकार होना पड़ता है, तो उसकी सुरक्षा और विश्वास की भावना बहुत कमजोर हो जाती है। उसकी मानसिक स्थिति में इतना गहरा आघात होता है कि उसे समाज पर और इंसानियत पर से विश्वास उठने लगता है।
इस तरह के आघात से पीड़ित महिला अक्सर गहरे मानसिक दर्द का सामना करती है, जिसमें चिंता, अवसाद और असहायता की भावना हो सकती है। वह हर छोटी बात को भी खतरनाक या डरावना समझ सकती है। यह आघात लंबे समय तक उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है और उसे घेर सकता है।
इस स्थिति से उबरने के लिए केवल समय ही नहीं चाहिए, बल्कि एक सशक्त और दयालु वातावरण की भी आवश्यकता होती है, जहां वह पीड़ित महसूस कर सके कि उसे सहारा दिया जा रहा है। इसके लिए सिर्फ मानसिक समर्थन ही नहीं, बल्कि सही मार्गदर्शन और चिकित्सा सहायता भी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं।"
जरूरी है 'Action'
जब हम ऐसी घटनाओं के बारे में सुनते हैं, तो हमें इसे सिर्फ "एक और घटना" के रूप में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हम कैसे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि ऐसी घटनाएं फिर से न हों। चाहे वह शिक्षा के माध्यम से हो, अपराधियों के खिलाफ खड़े होकर हो, पीड़ितों का समर्थन करने से हो या मजबूत कानूनों की वकालत करके हो, हम सभी को एक ऐसे समाज बनाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए जहां रेप न केवल अस्वीकार्य हो, बल्कि असंभव लगे।
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बलात्कार की शर्म केवल मानवता से जुड़ी नहीं है, यह अपराधियों और उनके आसपास की चुप्पी से जुड़ी है। मानवता का सम्मान करने के लिए हमें सबसे कमजोर लोगों की रक्षा और समर्थन के लिए एक साथ खड़ा होना चाहिए। तभी हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं, जहां शर्म का बोझ पीड़ित पर नहीं, बल्कि उन लोगों पर होगा जो ऐसे घृणित कृत्य करते हैं।
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Image Credit: Freepik
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