जानें सावन के महीने में कब है कामिका एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

आइए इस लेख में जानें सावन के महीने में कब मनाई जाएगी कामिका एकादशी और इसका क्या महत्व है। 

kamika ekadashi puja vidhi

हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि बहुत अधिक महत्व रखती है। एक महीने में दो बार यह तिथि आती है पहले कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। ऐसी ही एकादशी तिथियों में से एक है सावन के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली कामिका एकादशी। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी में पूरे श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करना भक्तों को विशेष फल देता है।

हालांकि, मान्यतानुसार आषाढ़ महीने की देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं लेकिन पूजा पाठ जैसे सभी कार्य उन्हें स्वीकार्य होते हैं और सावन महीने में शिव जी के साथ एकादशी वाले दिन विष्णु जी की भी विधि विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कामिका एकादशी के दिन व्रत नियमों का पालन और विधि विधान से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। पूरे भक्ति भाव से पूजन करने वाले लोगों की आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं। आइए विश्व के जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल सावन के महीने में कब पड़ रही है कामिका एकादशी और इस दिन पूजन का क्या महत्त्व है।

कामिका एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

kamika ekadshi puja

  • साल 2021 में सावन महीने की कामिका एकादशी 4 अगस्त, बुधवार को मनाई जाएगी।
  • हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन के महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 अगस्त, मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से प्रारंभ
  • एकादशी तिथि समाप्त 4 अगस्त, बुधवार, दोपहर 3 बजकर 17 मिनट पर
  • उदया तिथि के अनुसार, कामिका एकादशी तिथि 4 अगस्त को है इसलिए इसी दिन व्रत एवं पूजन करना फलदायी होगा।
  • 4 अगस्त सुबह 05 बजकर 44 मिनट से अगले दिन 05 अगस्त को सुबह 04 बजकर 25 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
  • कामिका एकादशी व्रत का पारण 05 अगस्त, गुरुवार सुबह 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट के बीच।

कामिका एकादशी का महत्व

kamika ekadashi significance

मान्यता है कि कामिका एकादशी के दिन व्रत और पूजन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और सावन के महीने में पड़ने की वजह से इसका महत्त्व और ज्यादा बढ़ जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस एकादशी का महत्त्व स्वयं भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। इसलिए इस दिन यदि पूरे विधि विधान से विष्णु जी का पूजन किया जाता है तो विष्णु जी रुके हुए कार्यों में सफलता दिलाते हैं और संतान की इच्छा रखने वाले लोगों की संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है। कहा जाता है कि इस एकादशी तिथि में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी फलदायी होता है।

कामिका एकादशी में कैसे करें पूजन

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  • इस दिन व्रत करने वाली भक्तों को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान आदि से मुक्त होकर पूजन शुरू करना चाहिए।
  • पूजन के लिए एक साफ़ चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की माता लक्ष्मी समेत तस्वीर या मूर्ति रखें।
  • विष्णु जी की मूर्ति को शुद्ध गंगाजल से स्नान कराएं।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल करें और इससे विष्णु जी को स्नान कराएं ।
  • स्नान कराने के बादविष्णु भगवान को पीले फूल, दीप और नैवेद्य अर्पित करें और विष्णु जी को चन्दन का तिलक लगाएं।
  • विष्णु जी को भोग अर्पित करें और उसमें तुलसी दल अवश्य शामिल करें।
  • विष्णु पूजन समापन करते समय भगवान विष्णु को नमस्कार करें।
  • इस दिन विष्णु सहस्रनाम पाठ का जाप अवश्य करें।

कामिका एकादशी में पूरे मनोयोग से विष्णु पूजन करने से शुभ फलों को प्राप्ति होती है। इसलिए पूरे मनोयोग से व्रत और पूजन करें।

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Image Credit: pixabay and freepik

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