अपनी पहचान बनाने के लिए एक इंसान को कितनी मेहनत करनी पड़ती है? यहीं अगर वह इंसान बाकियों से अलग हो तब तो उसे हर एक कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही कुछ होता आया है असम की प्रियंका शर्मा के साथ। प्रियंका अपनी जिंदगी में बहुत कुछ बनना चाहती हैं और उसके लिए बहुत मेहनत भी कर रही हैं। प्रियंका असम के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं और वह अपने गांव की पहली ट्रांसजेंडर थीं।
हमने मित्र ट्रस्ट प्रोजेक्ट के एनजीओ में जाकर प्रियंका से खास बातचीत की। Living With Pride सीरीज के तहत हम आप तक LGBTQIA+ कम्युनिटी के लोगों की जिंदगियों से जुड़ी कई बातें बता रहे हैं। इसी कड़ी में मिलिए प्रियंका से।
सवाल: आप खुद को कैसे डिफाइन करती हैं?
जवाब: जन्म से तो समाज ने हमेशा से लड़का ही माना, लेकिन प्रियंका तो एक लड़की है। वैसे ट्रांस वुमन हूं।
सवाल: आपका सबसे बड़ा डर क्या है?
जवाब: लोग क्या कहेंगे। एक शब्द में कहूं तो यही है मेरा डर। हम हमेशा इन चीजों से घिरे रहते हैं और डरते रहते हैं। हमारे ड्रेसअप से लेकर हाव-भाव तक लोगों का डर लगता है। घर की चिंता नहीं है, घर को तो मैं छोड़ चुकी हूं। हां, अब वो डर भी खत्म हो रहा है क्योंकि जब से मैं यहां आ गई हूं मुझे कुछ अच्छा लग रहा है। मैं धीरे-धीरे बदलाव महसूस कर रही हूं।
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सवाल: लोगों का डर है, लेकिन इतनी बातों के बाद आपको लगता है कि कुछ बदलाव आ रहा है?
जवाब: बदलाव कहें तो सिर्फ 5% ही आया है। कुछ लोग बहुत एजुकेटेड हैं, लेकिन बात ऐसे करते हैं जैसे पढ़े-लिखे ही ना हों। कुछ लोग बहुत कम पढ़े हैं, लेकिन उनकी समझ ज्यादा है। जैसे हाल ही की एक बात बताती हूं मेरे साथ एक इंसिडेंट हुआ। मैं एक इवेंट में तीन दिन में अपना चाय का स्टॉल लगाने गई। उन तीन दिनों में मैं इतना टॉर्चर हुई कि बता नहीं सकती। मैंने आखिर में उन्हें बोला कि अगर आपको नॉलेज नहीं है ट्रांसजेंडर के बारे में तो आप क्यों हायर करते हैं। हमेशा मुझे सर-सर कहकर पुकार रहे थे। मुझे अजीब तरह से देख रहे थे।
भले ही मैं फीमेल गेटअप में हूं, मैं प्रियंका शर्मा नाम यूज कर रही हूं तो आप सर क्यों बोल रहे हैं। जिस कारण से मैं घर छोड़कर आई अगर वो यहां भी महसूस होगा तो मैं क्या कहूं।
सवाल: आपने कभी अपने या अपने किसी कम्युनिटी मेंबर के लिए आवाज उठाई?
जवाब: अपने लिए तो बहुत बार उठाई पर सरकारी कागजों पर ही लिखा जाता है कि कुछ कर रहे हैं। असलियत यहां बहुत अलग है।
सवाल: अपने दिन के बारे में बताइए, क्या है आपका रूटीन?
जवाब: कुछ नहीं मैं सुबह जल्दी उठती हूं, अपने कानों में इयरफोन लगाकर गाने सुनते हुए सफाई करती हूं। फ्रेश वगैरह होकर पूजा-पाठ कर लेती हूं फिर अपने ऑफिस में काम करते हैं। ऑफिस का काम करने के बाद अपने चाय के बिजनेस पर ध्यान देती हूं और चाय की ब्लेंडिंग मुझे पसंद है, तो मैं उसपर ध्यान देती हूं कि कैसे मेरा काम खत्म हो रहा है, मुझे किन चीजों को मंगवाना है, क्या खत्म हो रहा है सब कुछ ध्यान देना जरूरी है।
सवाल: अपने चाय के बिजनेस के बारे में कुछ बताएं।
जवाब: मैं असम से हूं, इसी पार्ट से हूं तो मुझे पता है कि चाय की प्योरिटी कैसी है। मुझे पता है कि चाय में केमिकल कैसे होते हैं, किस तरह से चाय को बेहतर बनाया जा सकता है। हमेशा क्या करना चाहिए। अभी 10-15 ब्लेंडिंग फ्लेवर हैं मेरे पास। मैं इवेंट्स आदि में अपना स्टॉल लगाती हूं और बाकी दुकानों के जरिए ऑफलाइन भी बेचती हूं। मैं अपनी चाय को लेकर प्रेजेंटेशन भी करती हूं।
मेरा ड्रीम था चाय का सपना, लेकिन पहले फाइनेंस के कारण मुझे पूजा सामग्री का बिजनेस करना पड़ा। मुझे पैसों के कारण क्लास 9 में पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी थी। मैं यहां (दिल्ली) आकर अपनी 10वीं की पढ़ाई पूरी की। मुझे चाय की ओर आगे बढ़ने का मौका मिला। मेरी क्रिएटिविटी मुझे इंस्पायर करती है अलग-अलग तरह के चाय के ब्लेंड्स देखने के लिए।
सवाल: बिजनेस बढ़ाने के लिए कोई स्ट्रगल महसूस होता है?
जवाब: शुरुआत में हुआ था, लेकिन अब ज्यादा नहीं होता। मैं जहां भी जाती हूं लोग समझते हैं कि मैं कौन हूं और क्या हूं। बिजनेस ऐसा तो है नहीं कि सिर्फ किसी एक ही जेंडर के लिए होता है। जैसे कहते हैं ना कि भगवान सबके लिए हैं, वैसे ही मैं भी सबके लिए हूं और अगर मुझे खुलकर चांस दे तो मैं बहुत कुछ कर सकती हूं।
सवाल: आपकी सेल्फ एक्सेप्टेन्स की जर्नी बताएं
जवाब: मैं अपनी जर्नी के बारे में बताऊं तो घर वालों ने कोई सपोर्ट नहीं किया। पहले मुझे लगता था कि इस दुनिया में अकेली मैं ही एक इंसान हूं, लेकिन मुझे कुछ ऐसे लोग मिले जिन्होंने सपोर्ट किया। मुझे समझा और आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। मुझे समझाया कि मैं कौन हूं। पहले मुझे लगता था कि इस दुनिया में अकेली मैं ही एक ऐसी इंसान हूं, लेकिन बाद में समझ आया कि ऐसा नहीं है। फिर हिम्मत करके आगे बढ़ी और काउंसिलिंग करी। मुझे पता चला कि और भी है। मैंने अन्य लोगों को देखा जिन्होंने अपना ट्रांजिशन करवा लिया है।
सवाल: अगर कोई हमसे अलग है तो उसे लेकर लोग कई तरह की धारणाएं बना लेते हैं, उन्हें किस तरह से तोड़ना चाहिए?
जवाब: शुरुआत सबसे पहले खुद से करनी चाहिए। उपदेश देना आसान होता है, लेकिन खुद का काम करना आसान नहीं होता है। अगर मेरे घर वाले मुझे एक्सेप्ट कर लेते, तो मैं भी कुछ अलग होती। मैं अपने गांव की पहली ट्रांसजेंडर हूं जिसे TG (Transgender certificate) मिला है। मैं भी किसी के लिए इंस्पिरेशन हो सकती हूं। मेरे लिए तो न्यूज में भी हेडलाइन्स आई हैं। मेरे घर वालों ने पूछा कि क्या है? उनके लिए तो ट्रांसजेंडर मतलब जाति व्यवस्था है उसमें सबसे नीचे है।
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सवाल: आप सरकार से क्या उम्मीद रखती हैं?
जवाब: मुझे जो मौके मिले हैं वो मेहनत से मिले हैं, लेकिन मैं सरकार से भी चाहती हूं कि वो कोई स्कीम चलाएं। लोग समझते हैं कि ट्रांसजेंडर तो सिर्फ भीख मांगने के लिए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर हमारे लिए भी योजनाएं आएंगी, तो हम भी कुछ करके दिखाएंगे।
सवाल: चाय आपको इतनी पसंद है तो उसके बारे में टिप्स भी दें
जवाब: मैं चाय बनाना ही नहीं पसंद करती हूं मुझे इससे जुड़ी क्लास देना भी पसंद है। मैं लोगों को सिखाती हूं कि चाय को बनाने का सही तरीका क्या है। जैसे अगर आप चाय बनाएं, तो पत्ती डालने के बाद चाय को ढक दें। ऐसे में चाय का अरोमा उड़ेगा नहीं और फ्लेवर ज्यादा अच्छा आएगा।
प्रियंका बहुत ही हंसमुख और जॉली नेचर की रही हैं और उन्हें अब बस आगे बढ़ना है। प्रियंका की कहानी आपको कैसी लगी हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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