Unique Temple: उत्तर प्रदेश के इस अनोखे मंदिर में क्यों होती है फीमेल डॉग की पूजा

आज हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि बल्कि फीमेल डॉग की पूजा की जाती है। 

female dog temple

Jay Kutiya Maharani Maa Mandir: भारत में कई अनोखे मंदिर हैं जिनके बारे में या तो कभी आपने सुना नहीं होगा या उनसे जुड़ी बातें सुनने के बाद उसपर विश्वास नहीं हुआ होगा। ऐसा ही एक मंदिर है उत्तर प्रदेश के झांसी का, जहां फीमेल डॉग की पूजा की जाती है।

इस मंदिर का नाम है 'जय कुतिया महारानी मां'। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें इस मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताईं। साथ ही, उन्होंने इस मंदिर में फीमेल डॉग के पूजे जाने के पीछे का कारण भी बताया जिसे आज हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं।

  • झांसी जिले के मऊरानीपुर तहसील 'जय कुतिया महारानी मां' नाम का एक मंदिर है। इस मंदिर में फीमेल डॉग की प्रतिमा स्थापित है और यहां गांव के सभी लोग पूजा करने भी आते हैं। यह मंदिर बहुत छोटा है और सड़क किनारे स्थापित है।
  • यह मंदिर कोई बड़ा या भव्य मंदिर (मंदिर की सीढ़ियों को झुककर क्यों छुआ जाता है) नहीं है। सफेद रंग के चबूतरे पर यह मंदिर बना हुआ है और इसमें काले रंग की फीमेल डॉग की मूर्ति विराजमान है। खास बात यह है कि इस मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है और यहां लोग माथा टेकने भी आते हैं।
female dog temple in jhansi
  • इस मंदिर की ही तरह इसकी कहानी भी बड़ी विचित्र है। इस कहानी के अनुसार, रेवन और ककवारा नाम के इन दोनों गांव की सीमा पर यह मंदिर है। कहा जाता है कि इन दोनों गांवों में जब भी किसी के भी घर खाने का कोई भी कार्यक्रम होता था।
kutiya maharani mandir
  • तब वहां अचानक ही एक फीमेल डॉग (कुतिया) पहुंच जाया करती थी। माना जाता है कि उस फीमेल डॉग के भोजन करने से उस घर की सुख-समृद्धि (सुख-समृद्धि के लिए हटाएं ये वास्तु दोष) हमेशा बनी रहती थी। लेकिन एक बार दोनों गांव में भोजन का आयोजन किया गया पर कुतिया उसे खा न सकी।
female dog temple in uttar pradesh
  • जब तक वह फीमेल डॉग खाने के लिए एक-एक कर दोनों गांवों में पहुंची तब तक खाना खत्म हो गया था। लिहाजा उस दिन उसे खाना न मिला और वह भूख के कारण मर गयी। चूंकि लोगों को न सिर्फ उस फीमेल डॉग की ऐसी हालत देख दुःख हुआ बल्कि उसके प्रति उनकी आस्था भी थी।
  • तो दोनों गांवों के लोगों ने उसका मंदिर दोनों गांव की सीमा पर बना दिया और उसकी पूजा करने का विधान चल पड़ा। आज भी यह रीति निभाई जाती है कि जब भी किसी के घर खाने का कोई भी कार्यक्रम होता है तो सबसे पहले मंदिर में जाकर फीमेल डॉग को खाना चढ़ाया जाता है।

तो इस कारण होती है इस मंदिर में फीमेल डॉग की पूजा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Wikipedia

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