शादी के बाद महिलाओं पर किस तरह की जिम्मेदारी आ जाती है? घर-गृहस्थी संभालने की, घर का खाना बनाने की, बच्चों को संभालने की, सास-ससुर का ध्यान रखने की और फिर सुपरवुमन बनकर ऑफिस का पूरा काम करने की। पर क्या कभी आपने सोचा है कि ये जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं के सिर ही क्यों दी जाती है?
हाल ही में एक मामला सामने आया है जहां बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक रूलिंग पेश की है कि अगर किसी महिला को शादी के बाद घरेलू काम नहीं करने हैं तो उसे शादी से पहले ये बात साफ कर देनी चाहिए ताकि दूल्हा और दुल्हन दोनों ही अपनी शादी को लेकर फैसले पर विचार विमर्श कर सकें।
इस बात को लेकर इंटरनेट पर बहस छिड़ गई है। ट्वीक इंडिया की एक इंस्टाग्राम पोस्ट में इसके बारे में डिटेल्स दी गई हैं। इसके बारे में कुछ भी कहने से पहले हम पूरा मामला जान लेते हैं।
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क्या था पूरा मामला?
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक केस को लेकर बात की है। ये केस घरेलू हिंसा से जुड़ा था और इस केस का फैसला बताया गया है कि शादीशुदा महिला से अगर घर के काम करने को कहा जाता है तो वो उसके खिलाफ हिंसा नहीं होती है। अगर किसी शादीशुदा महिला से कहा जाता है कि वो परिवार के लिए काम करे तो उसे मेड या सर्वेंट नहीं कहा जा सकता है।
जिस महिला ने शिकायत की थी उसका दावा था कि शादी के एक महीने बाद से ही उसे ससुराल की तरफ से प्रताड़ित किया जाने लगा जिसमें दहेज की मांग, घरेलू कामों की मांग आदि शामिल है। इसमें पति और सास-ससुर के खिलाफ भी शिकायत दर्ज थी, लेकिन हाईकोर्ट की बेंच ने मामले को खारिज कर दिया क्योंकि इसे लेकर कोई प्रूफ नहीं दिया जा सका।
कोर्ट का कहना था कि सिर्फ हैरेसमेंट शब्द इस्तेमाल कर लेने से वो मानसिक और शारीरिक शोषण नहीं हो जाता है और उसके लिए सेक्शन 498A के तहत मामला दर्ज नहीं हो सकता है।
इस मामले में दो पहलुओं पर गौर किया जा सकता है पहला ये कि हर बार प्रताड़ना का केस सही नहीं साबित हो सकता और दूसरा ये कि महिलाओं के लिए घर का काम करना अनिवार्य माना जाता है। पर अभी भी सवाल सिर्फ ये है कि क्या ये सिर्फ महिलाओं की ही ड्यूटी है?
क्या घरेलू काम का अधिकार सिर्फ महिलाओं का है और इसे मैं साफ तौर पर अधिकार इसलिए कह रही हूं क्योंकि घरेलू काम उन्हें ऐसे सौंपे जाते हैं जैसे उन पर अहसान किया जा रहा हो। शादी करके अगर कोई महिला अपने ससुराल जाती है तो उसे ये कहा जाता है कि 'अब तो तुम इस घर की मालकिन हो, संभालो इसे अपने हिसाब से,' ये तो बस एक उदाहरण है पर अधिकतर इसी तरह की बातें होती हैं।
अभी भी कई बार इस बारे में बहस होती है कि क्यों महिलाएं ऑफिस से आने के बाद खाना नहीं बना सकतीं। ये सही है कि शादी के पहले कुछ चीज़ों की जिम्मेदारी के बारे में डिस्कस कर लेना चाहिए, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की ही है। हाई कोर्ट के फैसले को लेकर लोग ये मान रहे हैं कि ये तो महिलाओं को पहले बताना चाहिए कि वो घर का काम नहीं कर सकतीं, लेकिन घर सिर्फ महिला का नहीं है। घर में उतनी ही भागीदारी पुरुषों की भी है और उन्हें भी काम में हाथ बंटाने की जरूरत है।
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इस बात पर ना जाने कब से बहस चली आ रही है और अब जब 2022 में मंगल पर जीवन की खोज और चांद की यात्रा की बातें चलती हैं तब भी पृथ्वी पर यही माना जाता है कि घर संभालने की ड्यूटी तो सिर्फ और सिर्फ महिला की ही है। घर संभालने का काम अगर उसका है तो उसे ही करना चाहिए। जितना जरूरी एक महिला के लिए शादी से पहले ये बातें डिस्कस करना है उतना ही जरूरी पुरुषों के लिए भी है।
जिस मामले में बहस हो रही है उसे लेकर अलग-अलग लोगों की अलग राय हो सकती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर चीज़ लड़कियों के जिम्मे हो। मेरा मानना है कि एक शादी दो लोगों का बंधन है तो हर तरह की जिम्मेदारी को दो लोगों के बीच बांटना चाहिए।
आपकी इस मामले में क्या राय है इसके बारे में हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आपको क्या लगता है कि घर के काम सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी है? अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Gallup/ Freepik
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