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प्रॉपर्टी की मालकिन बनने के लिए क्या रजिस्ट्री ही काफी है? जानिए क्या कहता है कानून

जब घर खरीदा जाता है, तो सबसे पहले उसकी रजिस्ट्री कराई जाती है। रजिस्ट्री के बाद, अक्सर लोग उस पर मालिकाना हक जमाने लगते हैं, लेकिन यह कानूनी रूप से मान्य नहीं होता है। प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक जमाने के लिए आपको रजिस्ट्री के अलावा कुछ और डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है। 
Editorial
Updated:- 2025-04-30, 22:25 IST

जब आप कोई घर या जमीन खरीदते हैं, तो सबसे पहला और जरूरी कदम होता है उसकी रजिस्ट्री कराना। रजिस्ट्री से उस सौदे को कानूनी मान्यता मिलती है, जिससे यह साबित होता है कि प्रॉपर्टी का ट्रांसफर एक कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है। कई लोग यह समझते हैं कि रजिस्ट्री हो जाने के बाद वे पूरी तरह से मालिक बन चुके हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। प्रॉपर्टी पर पूरा अधिकार साबित करने के लिए कुछ और जरूरी डॉक्यूमेंट्स और प्रोसेस सो होकर गुजरना पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट की राय क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि रजिस्ट्री केवल यह साबित करती है कि संपत्ति का लेन-देन कानून के तहत हुआ है और यह दस्तावेज सिर्फ खरीदार और बेचने वाले के अधिकारों की रक्षा करता है। इसका मतलब यह नहीं कि रजिस्ट्री के आधार पर आप प्रॉपर्टी के मालिक बन चुके हैं।

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किन डॉक्यूमेंट्स से साबित होता है असली मालिकाना हक?

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भारत में कानूनी रूप से प्रॉपर्टी का मालिक बनने के लिए नीचे दिए गए डॉक्यूमेंट्स का होना बेहद जरूरी है-

1.सेल डीड (Sale Deed)

यह सबसे अहम कागजात है, जो बताता है कि प्रॉपर्टी को सेलर से बायर को बेचा गया है। यह गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर तैयार होता है और इसे स्थानीय रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड कराना जरूरी होता है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत, उसकी स्थिति, शर्तें और दोनों पक्षों के नाम दर्ज होते हैं।

2.इनकंब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate - EC)

यह सर्टिफिकेट यह बताता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन, बकाया या कानूनी विवाद नहीं है। इसे सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से प्राप्त किया जाता है। यह यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद नहीं है और इसका टाइटल स्पष्ट है।

3.खाता प्रमाणपत्र (Khata Certificate / Extract)

यह सर्टिफिकेट लोकल नगरपालिका द्वारा जारी किया जाता है और इसमें प्रॉपर्टी का टैक्स रिकॉर्ड दर्ज होता है। यह प्रमाणपत्र बिल्डिंग परमिट, बिजली-पानी के कनेक्शन आदि के लिए जरूरी होता है और यह साबित करता है कि संपत्ति का रिकॉर्ड नगरपालिका में भी दर्ज है।

4.म्यूटेशन रजिस्टर एक्सट्रैक्ट (Mutation Register Extract)

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म्यूटेशन प्रोसेस में प्रॉपर्टी के ओनरशिप में बदलाव को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। इससे पता चलता है कि खरीदी गई संपत्ति अब कानूनी रूप से आपके नाम पर है और राजस्व विभाग में दर्ज हो चुकी है।

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5.प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदें (Property Tax Receipts)

अगर आप समय पर property tax का भुगतान कर रहे हैं और आपके पास उसकी रसीदें हैं, तो यह दिखाता है कि आप उस संपत्ति कानूनी तौर पर मालिक हैं।

6.अधिभोग प्रमाणपत्र और पूर्णता प्रमाणपत्र(Occupancy & Completion Certificate)

अगर आपने नया फ्लैट या मकान खरीदा है, तो यह दो सर्टिफिकेट बेहद जरूरी होते हैं।

  • Completion Certificate (CC) यह साबित करता है कि कंस्ट्रक्शन का काम नियमों के अनुसार पूरा किया गया है।
  • Occupancy Certificate (OC) यह बताता है कि बिल्डिंग रहने के लिए सही है और सभी शर्तें पूरी की गई हैं।

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Image Credit - freepik, jagran 


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