गर्मी का मौसम शुरू होते ही एसी की डिमांड तेजी से बढ़ने लग जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि, गर्मियों में चिलचिलाती धूप और लू भरी हवाओं से राहत पाने के लिए एयर कंडीशनर आज के समय की जरूरत बन चुका है। यही वजह है कि ज्यादातर घरों में एसी देखने को मिल जाता है, खासकर शहरी घरों में। एयर कंडीशनर यानी एसी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए बाजार में तरह-तरह के एसी आने लगे हैं। जिनमें इनवर्टर एसी और नॉन इनवर्टर एसी भी शामिल हैं, जो खरीददारी के समय कंफ्यूजन पैदा करते हैं।
बाजार में जब भी एसी लेने जाते हैं तो दुकानदार या डीलर का पहला सवाल होता है कि विंडो या स्पिल्ट। इसके बाद दूसरा सवाल होता है इनवर्टर या नॉन इनवर्टर, इस सवाल पर कई लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। अगर आप इस गर्मी के सीजन में एसी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं और इनवर्टर एसी-नॉन इनवर्टर एसी के बीच कंफ्यूज हो रहे हैं, तो अब टेंशन न लें। ऐसा इसलिए, क्योंकि आज हम आपको इन दोनों एयर कंडीशनर में से कौन-सा घर के लिए बेहतर हो सकता है इस बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या होता है इनवर्टर एसी और नॉन-इनवर्टर एसी के बीच फर्क?
इनवर्टर एसी और नॉन इनवर्टर एसी के बीच का फर्क समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है। अगर आप एसी में इनवर्टर शब्द का मतलब यह समझ रहे हैं कि बिजली जाने के बाद आप एसी का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो ऐसा नहीं है। जी हां, इनवर्टर एसी और नॉन-इनवर्टर एसी के बीच का फर्क कंप्रेसर और बिजली की खपत से जुड़ा है।
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इनवर्टर एसी और नॉन-इनवर्टर एसी के बीच पहला फर्क यह होता है कि इनवर्टर एसी में कंप्रेसर की स्पीड बदलती रहती है। जिसकी वजह से बिजली की बचत और टेंपरेचर आसानी से कंट्रोल हो जाती है। वहीं, नॉन-इनवर्टर एसी में कंप्रेसर की स्पीड एक जगह पर फिक्स यानी स्टेबल रहती है। ऐसे में नॉन-इनवर्टर एसी ज्यादा बिजली खाता है।
इनवर्टर एसी और नॉन-इनवर्टर एसी के बीच कीमत का फर्क
इनवर्टर एसी और नॉन-इनवर्टर एसी के बीच कीमतों में बड़ा अंतर देखने को मिल सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनवर्टर एसी के एनर्जी एफिशियंट होता है और कई फीचर्स के साथ आता है, ऐसे में यह नॉन-इनवर्टर एसी से ज्यादा महंगा होता है। अगर आप नॉन-इनवर्टर एसी खरीदते हैं तो यह पहली बार में महंगा लग सकता है। लेकिन, यह बिजली का बिल काफी हद तक कम करने में मदद कर सकता है।
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दरअसल, इनवर्टर एसी ज्यादा बिजली खाता है और नॉन-इनवर्टर एसी को लो पावर कंजप्शन के लिए जाना जाता है। इसका साफ-साफ मतलब है कि अगर एसी कम यूनिट खाएगा तो बिजली का बिल भी कम आएगा।
किसकी सर्विस महंगी पड़ती है?
इनवर्टर एसी और नॉन-इनवर्टर एसी की सर्विस लगभग एक जैसी होती है। लेकिन, अगर इनवर्टर एसी की पीसीबी खराब हो जाए या काम करना बंद कर दे तो 5 से 7 हजार का खर्च आ सकता है। वहीं, नॉन-इनवर्टर एसी का पीसीबी खराब हो जाए तो यह खर्च काफी कम हो सकता है। यही वजह है कि आज के समय में ज्यादातर लोग इनवर्टर एसी खरीदना पसंद करते हैं। अगर आप इनवर्टर एसी खरीदना नहीं चाहते हैं तो उसका इस्तेमाल स्लीप मोड पर करें और टेंपरेचर को 24 से 28 डिग्री के बीच सेट करके सोएं, इससे आप गर्मी से भी बच पाएंगे और बिजली का बिल भी कर पाएंगे।
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