हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में कई सारे अधिकार लड़कियों के लिए बनाए गए हैं। हमारे देश में भी कई सारे कानून बनाए गए हैं और उनमें से कई कानूनी अधिकार लड़कियों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को कम करने के लिए बनाए गए हैं। इस लेख में हम आपको 5 ऐसे कानूनी अधिकार बताएंगे जो हर लड़की को जरूर पता होने चाहिए।
1)कार्यस्थल पर यौन-उत्पीड़न के खिलाफ कानून
अगर किसी लड़की के साथ उस के कार्यस्थल यानी ऑफिस पर कोई व्यक्ति सेक्सुअल हैरेसमेंट करता है तो कार्यस्थल के यौन उत्पीड़न के खिलाफ अधिनियम साल 2013 के तहत उस व्यक्ति के ऊपर यौन-उत्पीड़न से पीड़ित महिला पुलिस कंप्लेन कर सकती है। आपको बता दें कि इस के अनुसार महिलाओं को लिंग समानता और स्वतंत्रता का अधिकार मिलता है और वर्कप्लेस पर सुरक्षा भावना को बढ़ावा देने के लिए यह एक्ट मददगार साबित होता है।
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2) मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी के लिए कानून
आपको बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट साल 1972 में लागू हुआ था। बाद में साल 2002 में इसमें कुछ बदलाव भी किए गए। इस एक्ट से कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का प्रयास किया गया है। कई लोग गर्भ में पल रहे बच्चे की जांच करवाते हैं और फिर अगर उन्हें यह पता चलता है कि गर्भ में लड़की है तो उस गर्भवती महिला का गर्भपात करवा देते हैं।
इसके खिलाफ यह कानून बनाया गया है। इस एक्ट के अनुसार किसी भी लड़की या महिला का गैरकानूनी और जबरन तरीके से गर्भपात नहीं करवाया जा सकता है और अगर किसी भी लड़की के साथ ऐसा होता है तो वह कानून के खिलाफ है और इसके लिए उसे जेल भी हो सकती है।
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3)इंटरनेट पर सुरक्षा के लिए कानून
अगर किसी लड़की की आपत्तिजनक फोटो या फिर वीडियो कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर अपलोड करता है तो आपको बता दें कि यह वेबसाइट के संबंधित कानूनों के खिलाफ होता है और आपराधिक कानून अधिनियम 2013 की धारा 354 के तहत उसे सजा भी मिलती है क्योंकि यह अपराध की श्रेणी में आता है।
4)कानूनी सहायता का अधिकार
आपको बता दें कि इस कानून के अनुसार कोई भी लड़की हमारे देश में मुफ्त में कानूनी सहायता के लिए मांग कर सकती हैं। आपको बता दें कि यह कानूनी अधिकार हर राज्य के पास होता है कि वह अपने राज्य की लड़कियों को कानूनी सहायता प्रदान करें।
5)गोपनीयता का कानूनी अधिकार
आपको बता दें कि एक महिला या किसी भी लड़की की निजता को बनाए रखने के लिए भी गोपनीयता का अधिकार मिलता है ताकि बलात्कार या यौन शोषण को झेल चुकी महिला की पहचान को पूरा तरह से सार्वजनिक ना किया जाए। यह अधिकार आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत उसे मिलता है जिसमें वह अपना बयान महिला जिला मजिस्ट्रेट के सामने रख सकती है।
वैसे तो लड़कियों के कदमों की छाप हर क्षेत्र में मौजूद है लेकिन हमारे देश में अभी भी कई सारी ऐसी जगह अभी भी हैं जहां लड़कियों के जन्म से लेकर ऑफिस में काम के दौरान हमेशा लड़कों से कम समझा जाता है। ऐसे में उनके अधिकार के बारे में उन्हें जरूर जानकारी होनी चाहिए।
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image credit- freepik
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