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मकर संक्रांति 2022: क्या आप जानते हैं मकर संक्रांति से जुड़ी ये पौराणिक बातें

इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। आइए जानें इस पर्व से जुड़ी कुछ पौराणिक बातों के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2022-01-14, 13:49 IST

हिन्दू धर्म के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व का बहुत अधिक महत्त्व है। इस त्योहारको पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। जहां एक ओर उत्तर भारत में इस पर्व को मकर संक्रांति और खिचड़ी की तरह मनाया जाता है वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल के नाम से मनाया जाता है। नाम चाहे जो भी हो ये त्योहार पूरे देश में बड़ी ही धूम -धाम से मनाया जाता है।

मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव पूर्व दिशा से उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं और सूर्य के उत्तरायण होने की वजह से उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। मकर संक्रांति से जुड़ी बहुत सी पौराणिक बाते प्रचलित हैं। आइए अयोध्या के पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें मकर संक्रांति के पर्व से जुड़ी कुछ पौराणिक बातों के बारे में।

क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति

makar sankranti fest

मान्यता है कि इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होता है। सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इस पर्व को अलग-अलग प्रांतों में अलग तरह से मनाया जाता है। इस दिन लोग तिल का दान करते हैं और ऐसा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं।

भीष्म पितामह ने त्यागे थे प्राण

श्री कृष्ण ने इस दिन की महिमा बताते हुए गीता में कहा है कि उत्तरायणके 6 मास के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायणहोते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है, तो इस प्रकाश में शरीर का परित्याग करने से व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता है। कहा जाता है कि इस दिन प्राण त्यागने वाले लोगों को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि भीष्म पितामह ने इसी दिन अपने प्राण त्यागे थे जिससे उन्हें मुक्ति मिल सके। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था और जब महाभारत के युद्ध के दौरान वो घायल हो गए तब उन्होंने शरीर तब तक नहीं त्यागा था, जब तक कि सूर्य उत्तरायणनहीं हो गया।

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गंगा स्नान का है विशेष महत्त्व

ganga snan makar sankranti

पौराणिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं और भागीरथ राजा के साथ पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई गंगासागर तक पहुंची थीं। तभी से यह मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन धरती पर पहुंची मां गंगा के पावन जल से स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का नाश होता है। गंगा के पावन जल में स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है। भक्तगण मकर संक्रांति के दिन मुख्य रूप से गंगा स्नान करते हैं और गंगा सागर में मेले का आयोजन भी किया जाता है।

सूर्य देव जाते हैं पुत्र शनि के घर

कहा जाता है कि मकर संक्रांति का एक और पौराणिक महत्व यह भी है कि इसी दिन सूर्य देवता अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते हैं। मकर संक्रांति का पर्व पिता और पुत्र के अनोखे मिलन को दर्शाता है। इसके अलावा मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन पर्व है, जो आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। कहा जाता है कि इस दिन देवताओं की पूरे श्रद्धा भाव से आराधना करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

हुआ था असुरों का संहार

एक और पौराणिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा है। इस दिन भगवान विष्णु का विशेष रूप से पूजन किया जाता है और उन्हें प्रसन्न किया जाता है। मान्यता यह भी है कि मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने से प्राणियों की आत्मा शुद्ध होती है और उनकी संकल्प शक्ति बढ़ती है।

दान का है विशेष महत्त्व

मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान जैसे पुण्य कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन कुछ विशेष चीज़ों का किया गया दान अक्षय फलदायी होता है। इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है इसलिए लोग शनि देव के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। इस दिन विशेष तौर पर तिल, खिचड़ी, घी, कम्बल,गुड़ और वस्त्रों का दान अत्यंत फलदायी माना जाता है।

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क्यों उड़ाते हैं पतंग

kite in makar sankranti

पतंग उड़ाने के पीछे कोई पौराणिक कारण नहीं है लेकिन कहा जाता है कि सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने से धूप की किरणें धरती पर पड़ती हैं और लोग थोड़ी देर धूप के संपर्क में आएं इसलिए पतंग उड़ाने की प्रथा का आरंभ किया गया। इसके अलावा मिलजुल कर पतंग उड़ाने से लोगों और रिश्तों में भी सामंजस्य बनता है इसलिए भी लोग साथ में पतंग उड़ाते हैं।

इस तरह मकर संक्रांति से जुड़ी कई प्रथाओं और मान्यताओं के साथ यह त्योहार विशेष रूप से भारत में पूरी धूम धाम से मनाया जाता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: freepik and shutterstock

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