बदरीनाथ मंदिर चार धामों में से एक है। बद्री नाथ पूरी दुनिया में हिंदू आस्था के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है। चार धामों में से पहले बद्रीनाथ धाम में हर साल लाखों श्रद्धालु विश्व भर से दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी से लेकर सोल्हवीं शताब्दी तक हुआ था और कई सारे परिवर्तन भी हुए थे। चलिए आपको इस मंदिर की कुछ खास बातें बताते हैं।
कैसे शुरू हुई थी पूजा?
हिंदू धर्मिक ग्रंथों के अनुसार, बदरीनाथ की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई है। यह मूर्ति चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में है। जब बौद्धों का प्राबल्य हुआ तब उन्होंने इसे बुद्ध की मूर्ति मानकर पूजा आरम्भ की थी। शंकराचार्यजी अपने बदरीधाम निवास के दौरान छह महीने यहां रुके थे। इसके बाद वह केदारनाथ चले गए थे।
कई बार पहुंचा है मंदिर को नुकसान
बदरीनाथ मंदिर को भारी बर्फबारी और बारिश के कारण कई बार नुकसान पहुंचा है, लेकिन गढ़वाल के राजाओं ने मंदिर के नवीनीकरण के साथ ही इसका विस्तार भी किया। सन् 1803 में इस क्षेत्र में आए भूकंप से मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा। आपको बता दें कि इस घटना के बाद जयपुर के राजा ने मंदिर का पुन: निर्माण करवाया था।
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मंदिर के नीचे है गर्म पानी का कुंड
इस मंदिर के ठीक नीचे औषधीय गुणों से युक्त गर्म पानी का कुंड भी मौजूद है। इस कुंड के पानी में सल्फर की अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है। श्रद्धालु भगवान बद्रीनाथ के दर्शनों से पहले इस कुंड में जरूर स्नान करते हैं। माना जाता है कि इस कुंड में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो श्रद्धालुओं को चर्म रोग जैसी समस्याओं को ठीक कर देते हैं। भगवान बद्रीविशाल के इस मंदिर का उल्लेख तमाम प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। इन ग्रंथों में भागवत पुराण, स्कंद पुराण और महाभारत आदि प्रमुख हैं।
तो ये थी बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी हुई रोचक बातें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
image credit- uttarakhand tourism
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