बचपन किसी भी इंसान के जीवन की नींव होती है। बच्चे छोटी उम्र में जो कुछ भी सीखते हैं उसे ताउम्र याद रखते हैं। बच्चे अपने आसपास के माहौल और माता-पिता से काफी कुछ सीखते हैं। हमें बच्चों को वही सीख देनी चाहिए जिससे उनकी जिंदगी बेहतर बनें। अगर आप भी अपने बच्चे को नैतिक ज्ञान देना चाहती हैं तो आप उनको भारतीय पौराणिक कहानी सुनाए या उन्हें पढ़ने के लिए दें। ये कहानियां बच्चों का सही मार्गदर्शन करेंगी। इस लेख में हम उन कहानियों के बारे में बातएंगे, जिसे आपको अपने बच्चे को जरूर पढ़ानी चाहिए।
बलशाली भीमसेन का अभिमान
महाभारत की कथा में भीमसेन को बलशाली बताया गया है। माना जाता था कि उनके अंदर कई हाथियों का बल है जिसकी वजह से दुश्मन उनसे डरते थे। भीम को अपने बल पर बहुत अभिमान था। उनके इस घमंड को हनुमान जी ने चूर-चूर कर दिया था। आइए जानते हैं कैसे टूटा भीमसेन का घमंड।
महाभारत काल के समय में द्रौपदी के कहने पर भीम कमल का फूल लेने के पर्वत के पास सरोवर जा रहे थे। लेकिन रास्ते में उन्हें वृद्ध वानर मिलता है। भीमसेन उसकी पूंछ को लांघकर जाना नहीं चाहते थे, तो उन्होंने वानर से पूंछ हटाने के लिए कहा लेकिन वानर ने कहा कि इस उम्र में बार-बार हिल नहीं सकता हू। तुम तो काफी बलशाली हो, तो एक काम करो तुम ही मेरी पूंछ हटाकर चले जाओ। इसके बाद भीम पूंछ को हटाने की कोशिश करते है लेकिन पूंछ एक इंच भी नहीं हिल पाती है। इसके बाद भीम समझ जाते हैं कि यह कोई साधारण वानर नहीं है वह हाथ जोड़ प्रणाम करते हैं। इसके बाद वह उनसे परिचय देने का निवेदन करते हैं। वृद्ध वानर अपने असली रूप में आते हैं। पवन पुत्र हनुमान भीम को अहंकार छोड़ने की सीख देते हैं।
टिप्सः इस कहानी से बच्चों को ये समझ दें कि कभी भी अपने ज्ञान और बल पर घमंड नहीं करना चाहिए।
एकलव्य की कहानी
बच्चों को ज्ञान देने के लिए महाभारत और रामायण काव्य की मदद ले सकते हैं। एकलव्य महाभारत का एक पात्र है जो जंगल में अपने कबीले के साथ रहता था। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनना उसके जीवन का लक्ष्य था। वह गुरु द्रोणाचार्य के पास शिक्षा लेने गए लेकिन उन्होंने उसे मना कर दिया है। इसके बाद एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बनाकर धनुर्विद्या में महारत हासिल की। जब गुरु द्रोणाचार्य को इस बात का पता चला था, तो उन्होंने गुरु दक्षिणा में एकलव्य से उनका अंगूठा मांगा लिया था। एकलव्य ने दक्षिणा में अपना अंगूठा काटकर गुरु को दे दिया था। इसके बाद उन्होंने उंगलियों से तीरंदाजी का अभ्यास किया।
टिप्सः इस कहानी से ये सीख मिलती है को अगर हम अपना लक्ष्य तय कर लें तो कोई भी बाधा उसको पूरा होने से रोक नहीं सकती हैं। इसके अलावा एक सीख और मिलती है कि हमें हमेशा अपने गुरु, टीचर्स का सम्मान करना चाहिए।
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श्रवण कुमार की कहानी
श्रवण कुमार रामायण का पात्र है। जब भी अच्छे बेटे की बात आती है तो श्रवण कुमार का ज्रिक जरूर होता है। श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें टोकरियों में बैठाकर तीर्थ यात्रा कराई। तीर्थ यात्रा के दौरान राजा दशरथ से अनजाने में श्रवण कुमार की मौत हो जाती है, जिसके बाद श्रवण कुमार के माता-पिता उनको श्राप देते हैं, कि आप भी बेटे का वियोग में तड़प-तड़प कर अपने प्राण त्याग देंगे। इस श्राप की वजह से राजा दशरथ के बड़े बेटे राम को 14 साल का वनवास काटना पड़ा था। राम के वियोग में तड़पते हुए राजा दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए थे। (बच्चों को कैसे रखें बिजी)
टिप्सः इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमेशा माता-पिता का आदर करना चाहिए।
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सुदामा की कहानी
दोस्त के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए। सच्ची दोस्ती की जब भी बात होती है श्रीकृष्ण और सुदामा का नाम जरूर आता है। सुदामा बेहद गरीब परिवार से थे, वहीं कृष्ण संपन्न परिवार थे, लेकिन इसके बाद भी उनकी दोस्ती में कभी कोई भेदभाव देखने को नहीं मिला है। इस कहानी से बच्चों को विनम्र रहने की सीख मिलेगी।
टिप्सः इस कहानी के माध्यम से आप अपने बच्चे को बता दें कि सभी लोग अच्छे होते हैं। लेकिन कभी-कभी इंसान की परिस्थितियां ठीक नहीं होती है।
बच्चे अक्सर अपने आस-पास और कहानियों से काफी कुछ सीखते हैं। किसी भी बच्चे की नैतिक शिक्षा में माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान होता है। बच्चों का दिमाग तेज करने और नैतिक ज्ञान देने के लिए आप बच्चों को जरूर पढ़ाएं ये पौरााणिक कथा। उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।
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Image Credit: Freepik,Shutterstock
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