दुनिया के हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है, जो देश के लोगों की आजादी, आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य देश की भांति भारत का अपना नेशनल फ्लैग है। यह भारत के इतिहास, संघर्ष और मूल्यों को दर्शाता है। राष्ट्रीय मौके पर ध्वज को फहराकर सम्मान दिया जाता है। तिरंगे की शान के खातिर देश की सशस्त्र बलों के जवान इसकी और देश के लोगों की रक्षा के लिए खुद का बलिदान देने से पीछे नहीं हटते हैं। 15 अगस्त, 1947 को देश को आजादी मिली थी, जिसके बाद भारत के नागरिकों ने खुली हवा में सांस ली थी। बता दें, कि इस साल देश अपना 77वां वर्षगांठ मना रहा है। इस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और किसने बनाया था। साथ ही इसमें कब-कब बदलाव किए गए।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को किसने बनाया?
भारत देश की गर्व राष्ट्रीय ध्वज को बनाने और उसकी कल्पना पिंगली वेंकैया ने की थी, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और एक स्वतंत्रता सेनानी थे। साल 1921 में, वेंकैया ने गांधी को एक ध्वज बनाकर महात्मा गांधी को भेंट स्वरूप दिया था, जिसमें उस समय दो रंग लाल और हरा शामिल थे। ये रंग भारत के दो समुदाय, हिंदू और मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करते थे। शांति के प्रतीक के लिए राष्ट्रपिता ने पिंगली वेंकैया से उसमें सफेद रंग की पट्टी जोड़ने के लिए कहा था। वहीं चरखा के प्रतीक को आत्मनिर्भरता के लिए जोड़ा।
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इन वर्षों में जानें कितना बदला राष्ट्रीय ध्वज
- राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार 07 अगस्त, 1906 में कलकत्ता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। उस दौरान ध्वज को स्वामी विवेकानंद की आयरिश शिष्य निवेदिता ने बनाया था।
- दूसरी बार राष्ट्रीय ध्वज को मैडम कामा और उनके निर्वाचित क्रांतिकारियों के दल ने फहराया था। यह नेशनल फ्लैग के सामान था, उस दौरान इसमें कमल के स्थान पर सितारा बना हुआ था। इस फ्लैग को पहला भारतीय झंडा का दर्जा मिला था, जो किसी दूसरी यानी विदेशी भूमि पर फहराया गया था। उस दौरान इसे "बर्लिन समिति ध्वज" भी कहा जाता था।
- डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा साल 1917 में तीसरी बार झंडा फहराया गया था। इस समय झंडे में लाल, हरे रंग की क्षैतिज पट्टियां और 'सप्तऋषि' तारामंडल के आकार में इसमें सात तारे थे। साथ ही ऊपर अर्धचंद्र और एक तारा होता है।
- 1921 में बेजवाड़ा में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा तैयार किया और उसे गांधीजी के पास ले गया। यह झंडा दो रंगों लाल और हरे रंग से बना था जो दो प्रमुख समुदायों हिंदू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करते हैं। उस समय गांधीजी ने झंडे में एक सफेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया जो भारत के अन्य समुदायों का प्रतिनिधित्व करेगी और राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक चरखा होगा। हम कह सकते हैं कि झंडे को 1921 में अनौपचारिक रूप से अपनाया गया था।
- तमाम बदलाव होने के बाद साल 1931 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने औपचारिक रूप से तिरंगा झंडा अपना लिया। इसमें सबसे ऊपर केसरिया, सफेद और नीचे हरा रंग, बीच में अशोक चक्र बना था।
- 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और बदलाव के रूप में चरखे की जगह सम्राट अशोक के धर्म चक्र को राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीक के रूप में अपनाया गया। आखिरकार, कांग्रेस पार्टी का तिरंगा झंडा स्वतंत्र भारत का तिरंगा झंडा बन गया।
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