त्योहारों के इस मौसम में एक के बाद एक नए-नए फेस्टिवल आते जा रहे हैं। इसी कड़ी में एक त्योहार अहोई अष्टमी का भी जल्द ही आने वाला है। यह त्योहार करवा चौथ के बाद आता है और महिलाएं इस त्योहार पर अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं और उनके सुखी जीवन के लिए कामना करती हैं।
इस वर्ष 17 अक्टूबर को यह व्रत पड़ने वाला है। अहोई अष्टमी के दिन केवल व्रत या पूजा ही नहीं बल्कि कुछ और बातों का भी विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि इस पर्व पर आपको संतान के सुखी जीवन के लिए क्या-क्या जरूर करना चाहिए।
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भगवान गणेश की पूजा
वैसे तो इस अष्टमी में अहोई माता की पूजा होती है, मगर आपको सबसे पहले श्री गणेश भगवान की पूजा करनी चाहिए। दरअसल, भगवान गणेश सभी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ कहे गए हैं। ऐसे में सबसे पहले उनकी पूजा करना अनिवार्य है। भगवान गणेश सुख और समृद्धि के साथ-साथ विद्या, बुद्धि और ज्ञान का आर्शीवाद भी देते हैं। इसलिए अहोई अष्टमी पर यदि आप भगवान गणेश जी की पूजा करती हैं, तो आपकी संतान का जीवन न केवल सुखी होगा बल्कि वह अपनी बुद्धिमानी से जीवन में सभी कुछ हासिल कर लेगा।
क्या न करें
अहोई अष्टमी के दिन रसोई में कुछ यदि पक रहा है तो कोशिश करें कि उसे काटने के लिए छुरी का इस्तेमाल न करें। दरअसल, अहोई अष्टमी के दिन धारदार चीजों को प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आपकी संतान को हानि पहुंचाता है। इतना ही नहीं, जो महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना है कि न धारदार वस्तु का इस्तेमाल करना है न इसके इस्तेमाल से कटी किसी वस्तु का सेवन करना चाहिए।
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क्या खरीदें और क्या न खरीदें
आपको अहोई अष्टमी के दिन लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए।लोहा शनि को रुष्ट करता है इसलिए आपको अहोई अष्टमी के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए। इस दिन आप संतान के लिए नए वस्त्र, पढ़ाई-लिखाई का सामान या कोई नया खिलौना भी खरीद सकती हैं। आप बच्चे को इस दिन दूध की मिठाई भी जरूर खिलाएं।
जरूर करें ये कार्य
आपको इस दिन पूजा के वक्त 7 अनाज के दाने अपनी एक मुट्ठी में लेकर बैठना चाहिए और तब अहोई अष्टमी की पूजा आरंभ करें। ऐसी मान्यता है कि हाथ में 7 अनाज लेना शुभ माना गया है। मुट्ठी में लिए इन सातों अनाज को फेंके नहीं बल्कि पूजा के बाद आप अपनी संतान की सिर के ऊपर से उसे 7 बार उल्टी और सीधी दिशा में घुमा कर बहते पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए। इतना ही नहीं अहोई अष्टमी के दिन आप करवे में जो पानी भरती हैं, उसे दिवाली के दिन आप पूरे घर में छिड़क भी सकती हैं। ऐसा करने घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
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