दिवाली का त्योहार करीब आते ही मन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के नए-नए तरीके तलाशने लगता है। मगर देवी को प्रसन्न करना बेहद आसान है। इसके लिए न तो आपको अधिक मेहनत करने की जरूरत है और न ही आपको समय और पैसे व्यर्थ करने की जरूरत है।
देवी लक्ष्मी स्वयं ही धन की देवी हैं, उन्हें धन अर्पित करने की जगह श्रद्धा और भक्ति अर्पित करने पर आपको फायदा होगा। ऐसे में उनके सबसे प्रिय श्री यंत्र की पूजा दिवाली पर अवश्य करें।
देवी लक्ष्मी का प्रिय श्री यंत्र केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता है बल्कि इसमें मन को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने की भी शक्ति होती है।
वर्ष 2016 में Pezzottaite Journals में प्रकाशित हुए एक शोध 'The Comparative Study Of Quantum Theory And Shree Yantra' में भी इस बात को सिद्ध किया गया है कि इस यंत्र का संबंध विज्ञान से भी है। इस यंत्र में एक ऊर्जा है जो मन को शांत करती है और यह बहुत ही शक्तिशाली यंत्र होता है।
इस लिहाज से यदि दिवाली पर आप देवी लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ श्रीयंत्र की स्थापना और पूजा भी करती हैं, तो यह आपके लिए हर मायने में शुभ होगा। दिवाली पर श्रीयंत्र की पूजा विधि जानने के लिए हमने पंडित एवं ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी जी से बात की है।
वह कहते हैं, 'श्रीयंत्र को नव चक्र और श्रीचक्र भी कहा जाता है। यह सभी यंत्रों में महा यंत्र है। यदि आप रोज इस यंत्र को ध्यान से देख भर भी लेती हैं, तो भी आपका मन-मष्तिस्क शुद्ध हो जाएगा। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इतना ही काफी है।'
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श्री यंत्र की स्थापना कब करनी चाहिए?
दिवाली के अवसर पर आमतौर पर लोग सोने, चांदी, पीतल और तांबे जैसी धातु का सामान खरीदते हैं। ऐसे में आप इनमें से किसी एक धातु से बना श्रीयंत्र खरीद लें। इस बात का ध्यान रखें कि श्रीयंत्र में 9 बड़े त्रिभुज और 43 लघु त्रिभुज होते हैं। जो श्रीयंत्र आप खरीद रही हैं, उसके असली होने की यही पहचान होती है।
दिवाली के दिन आप श्रीयंत्र की स्थापना कर सकती हैं। वैसे इस यंत्र को घर में स्थापित करने के लिए गुरु या रवि पुष्य योग सबसे शुभ माना गया है।
श्री यंत्र की पूजा कैसे करते हैं?
- श्रीयंत्र की पूजा करने का सबसे पहला नियम है कि आपको लोभ त्यागना होगा। अगर आप किसी लालच के तहत श्रीयंत्र की स्थापना और पूजा कर रही हैं, तो न आपको श्रीयंत्र की पूजा का लाभ प्राप्त होगा ना आपका मनत्वय सिद्ध होगा।
- श्रीयंत्र की स्थापना के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। दिवाली के पर्व पर आप श्रीयंत्र की स्थापना लक्ष्मी पूजन के वक्त ही आप कर सकती हैं।
- श्रीयंत्र को महालक्ष्मी के साथ कभी भी स्थापित न करें। महालक्ष्मी को तिजोरी में रखा जाता है जबकि श्रीयंत्र आपको हमेशा ऐसे स्थान पर रखना होता है, जहां से उसके सभी त्रिभुज स्पष्ट नजर आएं।
- श्रीयंत्र को लाल कपड़े पर रखें और पंचामृत अर्पित करें। इसके बाद गंगाजल से उसे साफ करें और तिलक एवं अक्षत लगाकर उसकी पूजा विधि शुरू करें।
- इसके बाद आपको 'ओम श्री' मंत्र का जाप करना है। आप 108 मनकों की माला 1 बार भी जप सकती हैं और 21 बार जप कर भी श्रीयंत्र को सिद्ध कर सकती हैं। दिवाली के दिन इसकी स्थापना करने के बाद आपको हर दिन इस मंत्र का जाप करना है।

- श्रीयंत्र की पूजा विधि का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है, श्रीयंत्र को अच्छी तरह से देखना। आपको श्रीयंत्र के सभी त्रिभुजों को अच्छी तरह से आंखों से देखना है। यह एक प्रकार की मेडिटेशन है। इस दौरान श्रीयंत्र से निकलने वाली ऊर्जा आपके मन को पवित्र करती है और आप अंदर से शांति और सुख की अनुभूति करती हैं।
श्रीयंत्र को घर में कहा रखें?
आमतौर पर लोगों की धारणा होती है कि श्रीयंत्र देवी लक्ष्मी का प्रिय है तो उसे उन्हीं के आस-पास रखना चाहिए, मगर यह धारणा गलत है। श्रीयंत्र को घर की उत्तर-पूर्व दिशा (वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा) में ही रखना चाहिए। यंत्र को इस तरह से रखें कि उसका और आपकी आंखों का स्तर एक बराबर हो और आप उसे ठीक प्रकार से देख पाएं।
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