हिंदू धर्म में माला से मंत्र जाप या फिर भगवान के नाम का जाप करना बहुत ही शुभ माना गया है। माला का जाप करने का तरीका हर किसी का अलग-अलग होता है, मगर जिस तरह से भगवान की पूजा करने के कुछ नियम होते हैं ठीक उसी प्रकार से माला का जाप करने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं।
माल का जाप करने का फल भी आपको तब ही मिलता है, जब आप उसे ठीक प्रकार से नियम अनुसार ही करें। इसलिए आज हम आपको माला का जाप करते वक्त कुछ सावधानियां बताएंगे।
इस विषय में हमारी बात उज्जैन के पंडित एवं ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा से हुई है। पंडित जी कहते हैं, 'यह एक तरह की ध्यान लगाने की प्रक्रिया है। इसके धार्मिक लाभ भी हैं और सेहत के लिए भी इसके कई लाभ हैं। मगर माला का जाप करते वक्त आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।'
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आमतौर पर जब माला जपने के लिए कोई जातक विचार करता है, तो तुलसी के मोती या फिर रुद्राक्ष के मोती की माला से जाप करना शुरू करता है। मगर पीले रंग के मोती की माला से जाप करने से मन शांत रहता है और दिमाग भी फोकस रहता है। पीले रंग की माला में आप मूंगे के मोती की माला से भी जाप कर सकती हैं।
जब भी आप जाप करना शुरू करें खुद पर गंगाजल का छिड़काव करें और साथ ही मंत्र जाप से पहले माला की भी गंगाजल से शुद्धि अवश्य करें। जहां बैठ कर जाप करना है उस स्थान को भी साफ करें और एक स्वच्छ आसन पर बैठकर ही जाप करें।
सामान्यतः माला में 108 मनके होते हैं, हालांकि कुछ माला ऐसी भी होती हैं जिसमें 21 अथवा 51 मनके भी होते हैं। आप जिनती बार माला जपना चाहें, उतने मानक वाली माला बाजार से खरीद सकती हैं।
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माला का जाप हिंदू धर्म के हिसाब से आपको 108 बार करना चाहिए। वैसे आप इससे ज्यादा बार भी माला का जाप कर सकती हैं। इतना ही नहीं, आप 51 बार या फिर 151 बार भी माला का जाप कर सकती हैं।
हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं के लिए विभिन्न प्रकार की माला का इस्तेमाल किया जाता है। आप तुलसी, वैजयंती, रुद्राक्ष, कमलगट्टे, स्फटिक, पुत्रजीवक, अकीक, रत्न आदि किसी भी तरह की माला से मंत्रों का जाप कर सकती हैं।
अगर आप गले में जप करने वाली माला पहन रही हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि आपको हमेशा खुद को साफ-सुथरा रखना है। जब भी आप नित क्रिया के लिए जाएं, तो आपको इस माला को उतार कर पहले ही रख देना चाहिए और दोबारा खुद को साफ करने के बाद ही आपको इस माला को धारण करना चाहिए।
जब आप माला से जाप करते हैं तब आपके अंगूठे और उंगलियों में एक अलग तरह की वाइब्रेशन होती है और ये वाइब्रेशन आप धीरे से पूरे शरीर में महसूस करते हैं, जो आपके मन को शांत करती है।
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