Satyanarayan Vrat: सत्यनारायण व्रत कथा महत्व

सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण करने वाले भगवान सत्यनारायण के कथा और महत्व के बारे में आप जानते हैं क्या? यदि नहीं तो आप इस लेख को पढ़ें इसमे हमने संक्षेप में कथा और इसके महत्व के बारे में बताया है। 

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भगवान सत्यनारायण की पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा में से एक है। संकद पुराण के विवाह खंड में सत्यनारायण व्रत कथा का उल्लेख किया गया है। सत्यनारायण व्रत कथा में यह कहा गया है कि जो कोई भी सत्यनारायण व्रत कथा कहता है भगवान उसकी सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। हिंदू धर्म में लोग विशेष अवसर, मासिक पूर्णिमा, गुरुवार और मासिक संक्रांति को सत्यनारायण व्रत करते हैं। आइए जानते हैं इस कथा का महत्व..

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सत्यनारायण व्रत कथा महत्व

सत्य को ही भगवान मानक सच्ची निष्ठा और श्रद्धा के साथ जो कोई भी सत्यनारायण कथा का पाठ करता है, सुनता है या दूसरों को सुनाता है भगवान हरी उनकी रक्षा करते हैं और उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। शास्त्रों में इस कथा के महत्व को बताते हुए ये कहा गया है कि इस कथा को करने से व्यक्ति को हजार यज्ञ करने के बराबर पुण्य मिलता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कथा बताई गई है। सत्यनारायण व्रत को करने से जीवन में सुख समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के दुख दरिद्र दूर होते हैं। सत्यनारायण व्रत 5 अध्यायों में बटा हुआ है। कथा के अनुसार व्रत में दो बातों का विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए पहला किए गए संकल्प को भूलना नहीं है और दूसरा कथा सुनने के बाद भगवान का प्रसाद लेकर ही जाना चाहिए।

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सत्यनारायण व्रत कथा संक्षेप में

एक समय भगवान नारायण क्षीरसागर पर विश्राम कर रहे थे तभी वहां नारद जी पहुंचे। नारद जी ने भगवान को प्रणाम किया तब विष्णु जी आशीर्वाद देते हुए नारद जी से पूछे कि आपके आगमन का कारण क्या है देवर्षि? तब नारद जी बोले आप तो पालनहार और सर्वज्ञाता हैं। आपको सब कुछ पता है, आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे धरती के लोगों का कल्याण हो सके, उन्हें दुखों से मुक्ति मिले। इस पर श्री हरी विष्णु बोले हे देवर्षि! जो भी मनुष्य सांसारिक सुखों का भोग करना चाहते हैं और मृत्यु के बाद परलोक जाना चाहते हैं। उन्हें सत्यनारायण व्रत जरूर करना चाहिए।

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भगवान नारायण द्वारा बताए गए सत्यनारायण व्रत कथा के बारे में नारद जी ने स्कंद पुराण में बताया है। बाद में सुखदेव मुनी ने नैमिषारण्य तीर्थ में अन्य ऋषि मुनियों को इस व्रत के बारे में बताया है। सुखदेव जी ने कथा सुनाते हुए मुनियों से कहा की इस सत्यनारायण के व्रत को जिन लोगों ने भी किया जैसे बुजुर्ग लकड़हारा, धनवान सेठ, ग्वाला, लीलावती और कलावती ये सभी सत्यनारायण कथा के भाग बन चुके हैं और इनके ही बारे में कथा के अलग अलग अध्यायों में वर्णन किया गया है। सत्यनारायण व्रत कथा का उद्गम भगवान नारायण और नारद जी के संवाद को बताया गया है।

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ये रही भगवान सत्यनारायण की व्रत कथा और महत्व। आप भी इस कथा का पाठ कर सकते हैं। इस लेख को पढ़ने के बाद यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं। इस लेख को लाइक और शेयर जरूर करें और जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।

Image Credit: Herzindagi, shutterstock and freepik

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