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मंदिर की परिक्रमा लगाने का क्‍या होता है महत्‍व पंडित जी से जानें

पंडित जी से मंदिर की परिक्रमा लगाने के नियम-कायदे जानें। साथ ही इससे जुड़ी एक रोचक कथा भी सुने। 
Editorial
Updated:- 2021-06-17, 19:21 IST

हिंदू धर्म में मंदिर को बहुत महत्‍व दिया गया है। इसे भगवान का घर कहा जाता है। वैसे तो सभी के घरों में भी भगवान को रखने का एक स्‍थान होता है, मगर मंदिर जैसे विधि और विधान के साथ घर में पूजा-पाठ करना मुमकिन नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि घर के मंदिरों में परिक्रमा करने के लिए स्‍थान नहीं होता है। मंदिर की परिक्रमा करने की विधियां अलग-अलग होती हैं और इसे हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और महत्‍वपूर्ण कार्य माना गया है।

धार्मिक महत्‍व के साथ-साथ मंदिर की परिक्रमा करने के वैज्ञानिक महत्‍व भी हैं, मगर उज्‍जैन के पंडित एंव ज्‍योतिषाचार्य मनीष शर्मा ने मंदिर की परिक्रमा करने के कुछ विशेष लाभ बताए हैं। पंडित जी कहते हैं, 'अगर भगवान की पूजा करने के बाद मंदिर की परिक्रमा लगाई जाए तो शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।'

मंदिर की परिक्रमा लगाने के और भी कई लाभ हैं। चलिए पंडित जी से जानते हैं-

  • मन की शांति के साथ-साथ परिक्रमा लगाने से दिमाग भी शांत हो जाता है।
  • परिक्रमा लगाने से आपके अंदर एकाग्रता बढ़ती है। आप किसी भी काम को ज्‍यादा ध्‍यानपूर्वक कर पाते हैं।
  • ईश्‍वर की परिक्रमा करना मतलब उन्‍हें सम्‍मान देना होता है। ऐसे में आपको अपने ईष्‍ट देवी-देवता की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। इससे आपको उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।

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कैसे करें परिक्रमा-

  • जिस तरह भगवान की पूजा करने के कुछ नियम होते हैं उसी तरह ईश्‍वर की परिक्रमा (परिक्रमा करने के लाभ) करने के भी कुछ नियम होते हैं। चलिए पंडित जी से जानते हैं-
  • पंडित जी कहते हैं, 'भगवान जी की आरती करनी हो या फिर परिक्रमा, हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में ही करनी चाहिए। यानी कि लेफ्ट से राइट की ओर। यदि आप इस तरह से मंदिर की परिक्रमा करते हैं तो आपको उस स्‍थान पर मौजूद ऊर्जा को ग्रहण करने की क्षमता मिलती है।'
  • किसी भी मंदिर या देवी-देवता की परिक्रमा करते वक्‍त उनसे जुड़े पवित्र मंत्रों का उच्‍चारण करें। मंत्र नहीं आते हैं तो उनके नाम का जाप करें।
  • परिक्रमा करते वक्‍त मन में केवल ईश्‍वर का ध्‍यान करें बाकी उलझनों और कार्यों को कुछ समय के लिए भूल जाएं। साथ ही जल्‍दबाजी में परिक्रमा न करें।

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परिक्रमा से जुड़ी कथा-

एक बार देवताओं के बीच पूरी सृष्टि के चक्‍कर लगाने की प्रतिस्‍पर्धा हुई। सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार हो प्रतिस्‍पर्धा को जीतने के लिए निकल पड़े। भगवान गणेश जी के पास वाहन के रूप में चूहा था। ऐसे में अगर वह चूहे पर सवार हो सृष्टि का चक्‍कर लगाने के लिए निकलते तो हार जाते। तब उन्‍हें विचार आया कि एक पुत्र का संसार उसके माता-पिता होते हैं। इस विचार के तहत गणेश जी ने भगवान शिव और माता पार्वती के 3 चक्‍कर काट लिए। गणेश जी के इस कार्य से भगवान शिव और माता पार्वती बहुत अधिक प्रभावित हुए और उन्‍होंने गणेश जी को प्रतिस्‍पर्धा का विजेता घोषित कर दिया।

आज भी सभी देवताओं में गणेश जी को सबसे अधिक सम्‍मान दिया जाता है और सबसे पहले उन्‍हीं की पूजा की जाती है।

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किस देवी-देवता की कितनी बार करें परिक्रमा

हर देवी-देवता के मंदिर की परिक्रमा करने की भी एक निश्चित गिनती होती है। चलिए पंडित जी से जानते हैं-

  • सूर्य देव- 7 बार
  • देवी दुर्गा- 1 बार
  • भगवान गणेश- 4 बार
  • श्री विष्‍णु भगवान-4 बार
  • हनमान जी- 3 बार
  • भगवान महादेव- आधी प्रदक्षिणा परिक्रमा करनी चाहिए।

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Image Credit: Freepik

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