आप चाहें किसी छोटे से ऑफिस में काम करती हों या फिर किसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में, आपको अपने कार्यस्थल पर कुछ toxic कलीग्स तो जरूर मिल ही जाएंगे। अगर ऐसे लोगों से आपका कभी-कभी और कम ही वास्ता पड़ता हो तो आपके लिए काम करना आसान होता है, लेकिन अगर वह आपके साथ ही टीम में हैं और आपको हर वक्त उनके साथ मिलकर काम करना हो तो। यकीनन ऐसा सोचने से ही परेशानी होने लगती है। ऐसे लोगों का साथ आपके काम की क्वालिटी और प्रॉडक्टिविटी पर तो असर डालता ही है, साथ ही उनके कारण आपको मानसिक रूप से भी परेशानी झेलनी पड़ती है। जब आप ऑफिस जाती हैं और आपको अपने सामने वह टॉक्सिक कलीग्स दिखते हैं, तो दिन की शुरूआत में ही आपका मूड ऑफ हो जाता है। दूसरों के व्यवहार को नियंत्रित करना या उसे बदलना तो आपके हाथ में नहीं है, लेकिन आप उनके व्यवहार पर किस तरह रिएक्ट करती हैं, यह पूरी तरह आप पर निर्भर है। दरअसल, कुछ ऐसी साइकोलॉजिकल ट्रिक्स होती हैं, जिनकी मदद से आप ना सिर्फ उन्हें अच्छी तरह हैंडल कर सकती हैं, बल्कि उनके व्यवहार का असर भी आपके काम और दिलो-दिमाग पर नहीं पड़ता। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
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जब आप एक ही ऑफिस में काम करते हैं तो कलीग्स के साथ इमोशनली बॉन्डिंग होना स्वाभाविक है। अगर आप भी एक टॉक्सिक कलीग्स के साथ इमोशनली जुड़ती हैं तो वह माइंड ट्रिक्स के जरिए आपकी प्रोफेशनल इमेज को डैमेज करने का काम करते हैं। मसलन, वह आपको यह जताए कि वह आपके लिए बहुत सर्पोटिव है और हो सकता है कि वह आपसे कुछ अच्छी जानकारी भी प्राप्त कर ले, वहीं दूसरी ओर वह बॉस के सामने उसी जानकारी को अपनी मेहनत बताए या फिर आपकी प्रोफेशनल इमेज को डैमेज करने का काम कर सकता है। ऑफिस कलीग का इस तरह का व्यवहार यकीनन आपको गुस्सा दिलाएगा या दुखी करेगा। इसलिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप भावनात्मक रूप से उनसे ना जुड़ें और ना ही ऐेसे लोगों पर भरोसा करके अपने सीक्रेट्स उन्हें बताएं।
ऑफिस में हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता। अगर आपके आसपास टॉक्सिक लोग हैं तो आप हरदम सिर्फ उनके चारों ओर ही न घिरी रहें। अपना दायरा थोड़ा बढ़ाएं, ऑफिस में मौजूद अन्य लोगों से घुले-मिलें। इससे एक तो आपको अच्छा लगेगा और जब आप खुश होंगी तो उसका सकारात्मक असर काम पर भी होगा। वहीं, दूसरी ओर ऐसा करने से सामने वाले व्यक्ति का प्रभाव आप पर कम होगा और वह आपको नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।
जब आपके आसपास ऐसे लोग होते हैं, जो आपको मानसिक रूप से कष्ट देते हैं तो आप उन्हें गलत साबित करने में लग जाती हैं। यकीन मानिए, ऐसा करके आप अपनी एनर्जी और समय ही नष्ट कर रही होती हैं और इससे आपका काम और मानसिक शांति प्रभावित होनी शुरू हो जाती हैं। इतना ही नहीं, जब आप ऐसा करती हैं तो इससे सामने वाले व्यक्ति को और भी अधिक मोटिवेशन मिलता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप ऑफिस में दूसरों के व्यवहार को ठीक करने की बजाय खुद को संयमित रखें, क्योंकि आप दूसरों को नियंत्रित नहीं कर सकतीं, लेकिन खुद को करना आपके हाथ में है।
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ऐसे लोगों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है, उन्हें नजरअंदाज करना। जितना हो सके, ऐसे लोगों से दूरी बना लें। अगर आप एक टीम में भी काम कर रहे हैं तो उनसे कम से कम ही वास्ता रखें। इस तरह आपका पेशेंस लेवल भी बिल्डअप होगा। साथ ही आप ऐसे लोगों को आसानी से इग्नोर कर पाएंगी। जब भी आप ऐसे लोगों से डील करें तो मन ही मन दोहराएं कि भगवान का शुक्र है, मैं उसके जैसा नहीं हूं। यह एक लाइन आपके भीतर सकारात्मकता और धैर्यशीलता का संचार करेगी। साथ ही आप यह भी कल्पना करें कि क्या आप दूसरों के साथ उस तरह से व्यवहार करना पसंद करेंगी जिस तरह से आपके टॉक्सिक सहकर्मी आपके साथ कर रहे हैं। बिल्कुल नहीं। जैसे ही आप खुद से इस बात का अहसास कर लेंगी तो आपके लिए ऐसे लोगों को नजरअंदाज करना आसान हो जाएगा।
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